हिंदुओं की इस गलती के कारण फिर आया मुस्लिम तुष्टिकरण का ट्रेंड

01 December 2023

 

 

🚩देश में कुछ दिनों से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति खत्म हो रही थी। बीजेपी के उभार के बाद एक ट्रेंड देखने को मिल रहा था कि हर राजनीतिक दल खुद को सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर झुका दिखाने की कोशिश कर रहा था। यही कारण था समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने भी अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिये पर रखना शुरू कर दिया था। अपने आपको मुसलमानों का हितैषी कहने वाले दलों ने भी मुस्लिम कैंडिडेट उतारने में कटौती कर रखी थी। पर इस बार हो रहे विधानसभा चुनावों में फिर पुराना ट्रेंड जोर पकड़ रहा है। बीजेपी विरोधी सभी पार्टियां मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए खुलकर हर चाल चल रही हैं। तेलंगाना में बीआरएस ने मुस्लिम कम्युनिटी के लिए अलग आईटी पार्क बनाने की घोषणा की है तो कांग्रेस ने मुस्लिम मेनिफेस्टो ही जारी कर दिया। इसी बीच बिहार से ऐसी खबर आ रही है कि नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के लिए अलग छुट्टियों का कैलंडर ही जारी कर दिया है।

 

🚩राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम वोट बैंक को इसलिए महत्व देते है की हिंदू जाति पाती में बंटा है और मुस्लिम समुदाय अपनी एकता दिखाकर मुस्लिम समुदाय के पक्ष में खड़े रहने वाले को ही वोट देते है, अब हिंदुओं को भी इससे सिख लेनी चाहिए की जाती में नही बंटकर एक होकर रहना चाहिए नही तो फिर से गुलामी की जंजीरों में ना झकड़ना पड़े क्योंकि हमारे अनगिनत पूर्वजों ने अपना बलिदान देकर बड़ी मुश्किल से आजादी हासिल की है जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता की सांसे ले रहे हैं।

 

🚩बिहार सरकार का मुस्लिम तुष्टिकरण

 

🚩2024 में सरकारी स्कूलों के लिए नीतीश सरकार ने छुट्टी का जो कैलेंडर जारी किया है उससे पता चलता है कि रामनवमी, जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन जैसी छुट्टियाँ हटा दी गई हैं। वहीं बकरीद और मुहर्रम पर छुट्टी एक-एक दिन के लिए बढ़ा दी गई है। यह कैलेंडर बिहार के कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक के विद्यालयों पर लागू होगा।

 

🚩2023 में तीज पर दो दिन और जिउतिया पर एक दिन की छुट्टी थी, जो अब नहीं मिलेगी। दीपावली पर भी मात्र एक दिन की छुट्टी दी गई है। राज्य में इससे पहले अशोक अष्टमी और अंतिम श्रावणी की छुट्टी भी होती थी, लेकिन इस बार इन्हें भी रद्द किया गया है। भाईदूज और मकर संक्रान्ति जैसे त्योहारों की कोई छुट्टी नहीं होगी।

 

🚩आपको बात दे की बिहार सरकार, दिल्ली सरकार, आंध्र प्रदेश सरकार, केरल सरकार आदि मौलवियों को हर महीने वेतन देती है लेकिन किसी भी साधु संत को आजतक वेतन ही क्या देंगे ये लोग उनके दैवीय कार्य में सहयोग की कोई बात आजतक हमने तो नही देखी सुनी। जबकि मंदिरों के दान के पैसे हड़प कर ही मस्जिदों के मौलवियों को वेतन दिया जाता है।

 

🚩आपको बता दें कि विश्व में ऐसा कोई देश नहीं है जो बहुसंख्यक समाज को छोड़कर अल्प संख्यक समाज के लिए सारी योजनाएं चला रहा हो, भारत ही एक ऐसा देश है जहां बासुसंख्यक हिंदुओं को दबाया धकेला जा रहा है और उनके ही पैसे से अल्प संख्यक समुदाय को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है और हिंदुओं के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया किया जा रहा है ।

 

🚩अब आप सोचते होंगे कि सरकारें गलत कर रही है।

लेकिन बता दे की सरकार सिर्फ आपके वॉट देखती है जिस तरफ पलड़ा भारी होता है उस तरफ उनका झुकाव होता है ,अगर हिंदू चाहते हैं कि हमारा हक हमें मिलना चाहिए और हमारे पैसों के बल पर ही अल्पसंख्यकों के जिहाद को बढ़ावा न मिले,उसके लिए हिंदुओं को जात-पात से उपर उठकर ,आपस में अपनी एकता दिखानी होगी । एक दूसरे का सहयोग करना होगा तभी नेता आपके वॉट के लिए आपके हित की योजनाएं बनाएंगे और हिंदू समाज फिर से उन्नत होगा। इससे विश्व का भी मंगल होगा । जागो… अब गलती नही करना ! एकता बनाए रखना ! बस फिर सारी सफलताएं आपके कदमों में होगीं…!

 

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