ईसाइयत से भी पुराना गुजरात का शहर मांस-मछली से हुआ मुक्त
17 July 2024
गुजरात के भावनगर में स्थित पालिताना शहर में मांसाहारी भोजन और मांस की बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। पालिताना शहर जैन धर्म के सबसे पवित्र नगरों में से एक है। इसी के साथ पालिताना दुनियां का पहला ऐसा शहर बन गया है, जहां मांसाहारी भोजन पर संपूर्ण प्रतिबंध लग गया है।
भावनगर जिले में स्थित पालिताना में 250 से अधिक मांस बिक्री केंद्र चल रहे थे, जिसका विरोध जैन धर्म के साधु-संत लगातार कर रहे थे। जैन साधुओं ने कहा कि अहिंसा जैन धर्म का मुख्य सिद्धांत है। ये जगह जैन धर्म के लिए पवित्र है, खासकर शत्रुंजय पहाड़ियों का क्षेत्र,इसलिए यहाँ मांसाहार,पशु वध पर पूरी तरह से बैन लगना चाहिए। प्रशासन ने उनकी माँगों को सुना और पालिताना में मांस पर संपूर्ण बैन का आदेश जारी कर दिया। पालिताना शहर में मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का भी समर्थन मिला है।
पालिताना जैनियों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है और यह स्थान, जो शत्रुंजय पहाड़ियों में स्थित है, इसको जैन मंदिर शहर के रूप में भी जाना जाता है।
पालिताना शहर में 800 जैन मंदिर हैं। शहर में सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिर आदिनाथ मंदिर है,जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। पालिताना न केवल पर्यटन के लिए बल्कि अपने धार्मिक महत्व के कारण भी ऐतिहासिक शहरों में से एक है। यह मंदिर,इस क्षेत्र के अन्य मंदिरों के समूह के साथ, जैनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक रहा है और यह 5वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व का है।
जैन धर्मियों के लिए पालिताना का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए राम जन्मभूमि, ईसाइयों के लिए येरुशलम और मुस्लिमों के लिए मक्का का है। जैन, पालिताना को पवित्र मानते हैं क्योंकि यह शत्रुंजय पहाड़ियों का उद्गम स्थल है, जिसे ‘शाश्वत भूमि’ कहा जाता है जो समय के उतार-चढ़ाव से बच जाएगी और आने वाले समय में अरबों आत्माओं के लिए धार्मिकता और मोक्ष का प्रतीक बनी रहेगी।
जैन धर्म के अनुसार, अनगिनत आत्माओं ने पवित्र शत्रुंजय तीर्थ के माध्यम से मोक्ष या ‘निर्वाण’ प्राप्त किया है। जिसमें वर्तमान चक्र के पहले तीर्थंकर,भगवान आदिनाथ, इक्ष्वाकु वंश के संस्थापक शामिल हैं – यह नाम एक घटना से लिया गया है जिसमें एक जैन श्रावक ने भगवान आदिनाथ की 400 दिनों से अधिक की कठोर तपस्या को तोड़ने के लिए इक्षु रस (गन्ने का रस) चढ़ाया था, जिसे जैन भाषा में ‘वर्षिप्तप’ के रूप में जाना जाता है। जैनियों के अनुसार, यह धार्मिक तीर्थस्थल अरबों साल पुराना है और आने वाले समय तक अनंत काल तक सुरक्षित रहेगा।
जैन धर्म के मूल में अहिंसा, सिर्फ इंसान ही नहीं जानवरों के लिए भी नियम मान्य है।
शत्रुंजय पहाड़ियों की यह पवित्रता और शीर्ष पर स्थित धार्मिक मंदिर, साथ ही जैन धर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा है जो पालिताना में मांस की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने की मांग का आधार बनता है।
अहिंसा जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो इसकी नैतिकता की आधारशिला है। इसका अर्थ है, पूरी तरह से हानिरहित होना, न केवल अपने प्रति बल्कि दूसरों के प्रति भी, जिसमें जीवन के सभी रूप शामिल हैं, सबसे विकसित जीवों से लेकर पृथ्वी पर के सबसे छोटे सूक्ष्मजीवों तक।
जैन धर्म सभी जीवित प्राणियों के लिए समान अधिकारों का दावा करता है, चाहे उनका आकार, रूप या आध्यात्मिक विकास कुछ भी हो। किसी भी जीवित प्राणी को किसी अन्य जीवित प्राणी को नुकसान पहुँचाने, घायल करने या मारने का अधिकार नहीं है, चाहे वह जानवर, कीड़े या पौधे क्यों न हों। सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि प्रत्येक जीवित प्राणी का जीवन पवित्र है। – जतिन जैन
आपको बता दे की पशु-प्रेमी संस्थाओं ने मिलकर एनिमल किल क्लॉक नाम की वेबसाइट तैयार की, जो अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के साथ मिलकर काम करती है। रोज कितने जानवर मारे जा रहे हैं, यहां उसका डेटा और लाइव अपडेट भी रहता है। फिलहाल इसका बड़ा हिस्सा अमेरिका में एनिमल किलिंग पर फोकस करता है लेकिन इसमें दुनियां में मारे जाने वाले जानवरों के आंकड़े भी दिए जाते हैं।
एनिमल किल क्लॉक के अनुसार रोज 20 करोड़ जानवरों की (हमारी प्लेट में आ सकें) इसलिए हत्या हो रही है। ये आंकड़े केवल ऑफिशियल है बाकी तो कितने जानवर कट जाते है उसकी कोई गिनती नहीं है।
सनातन संस्कृति और मानवी संवेदना के अनुसार जीव हत्या करना गुनाह और बड़ा पाप है, इसलिए केवल शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करे।
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