ASI सर्वे: भोजशाला में ब्रह्मा-गणेश-नरसिंह-भैरव की मिली प्रतिमाएं

ASI सर्वे: भोजशाला में ब्रह्मा-गणेश-नरसिंह-भैरव की मिली प्रतिमाएं

18 July 2024

Home

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की सर्वे रिपोर्ट को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जमा कर दिया गया है। इस रिपोर्ट में सर्वे में मिली सभी संरचनाओं की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में सर्वे के दौरान मिली मूर्तियों, सिक्कों और चिन्हों के विषय में जानकारी दी गई है।

आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सर्वे के दौरान चाँदी, तांबे, एल्युमिनियम और स्टील के 31 सिक्के पाए गए है। यह सिक्के अलग-अलग ऐतिहासिक समय के है। इसमें दिल्ली के सल्तनत काल, मुग़ल काल और अलग-अलग समय के हैं। सिक्कों के अलावा 94 वास्तुशिल्प भी मिले है। इनमें मूर्तियाँ, मूर्तियों के खंडित हिस्से और पत्थरों पर उकेरी प्रतिमाएं शामिल है।

इस सर्वे में यह भी पाया गया है कि यहाँ के स्तम्भों पर मूर्तियां उकेरी गई थी। इन पर बने हुए देवता सशस्त्र थे। बताया गया कि इन छवियों में ब्रम्हा, गणेश, नरसिंह और भैरव के साथ ही पशुओं की आकृतियाँ भी है। इनमें कुछ मानव आकृतियाँ भी है।

इसके अलावा इस परिसर के एक हिस्से में भित्तिचित्रों में मानव औए सिंह समेत कई पशुओं के मुख वाली आकृतियाँ भी है। एक हिस्से में यह विकृत की गई थी जबकि कुछ जगह यह सुरक्षित थी। यहाँ कई शिलालेख भी मिले है। इनमें कई रचनाएँ लिखी हुई है। इन रचनाओं से भोजशाला के रूप में जानकारी मिलती है।

बताया गया है कि सर्वे में मिले एक शिलालेख में यहां परमार वंश के राजा नरवर्मन का शासन था। इससे इंगित होता है कि यहां मुस्लिमों के शान करने से पहले हिन्दू शासक, शासन कर रहे थे। रिपोर्ट में यहाँ से मिले अन्य कई शिलालेख और चिन्ह को रिपोर्ट में जगह दी गई है। यह रिपोर्ट 2000 पेज की है।

इस मामले में हिन्दू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने ऑपइंडिया को बताया, “हिन्दू पक्ष की याचिका पर हाई कोर्ट ने यहाँ सर्वे का आदेश ASI को दिया था। यहाँ 98 दिन तक सर्वे चला। इस सर्वे में 1700 से अधिक अवशेष मिले है। इनमें 39 से अधिक मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ है। इनमें गदा, पद्म, कमल और स्तम्भ के टुकड़े है। अब इस विषय में 22 जुलाई, 2024 को कोर्ट में सुनवाई है। हम इस मामले में कोर्ट से रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अपील करेंगे।”

मालूम हो कि इस संबंध में हिंदू पक्ष ने याचिका डाली हुई है कि भोजशाला उनकी माँ वाग्देवी का मंदिर है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे अपना मजहबी स्थल बताकर सर्वे के खिलाफ बोल रहे है। इस मामले में 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सर्वे की अनमुति दी थी। 22 मार्च से सर्वे शुरू हुआ, 1 अप्रैल को मुस्लिम पक्ष इसे रोकने सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, 29 अप्रैल को एएसआई के आवेदन पर सर्वे की समयसीमा और बढ़ाई गई, अब इस मामले में ASI ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है।

वाग्देवी मंदिर कैसे बना कमालुद्दीन मस्जिद

गौरतलब है कि भोजशाला विवाद बहुत पुराना विवाद है। हिंदू पक्ष का मत है कि ये माता सरस्वती का मंदिर है जिसकी स्थापना राजा भोज ने सन् 1000-1055 के मध्य कराई थी। सदियों पहले मुसलमान आक्रांताओं ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहाँ मौलाना कमालुद्दीन (जिस पर तमाम हिंदुओं को छल-कपट से मुस्लिम बनाने के आरोप है) की मजार बना दी थी जिसके बाद यहाँ मुस्लिमों का आना जाना शुरू हो गया और अब इसे नमाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है। हालाँकि हिंदू पक्ष का कहना है कि ये उनका मंदिर ही है क्योंकि आज भी इसके खंभों पर देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे साफ दिखते हैं। इसके अलावा दीवारों पर ऐसी नक्काशी है जिसमें भगवान विष्णु के कूर्मावतार के बारे में दो श्लोक हैं।

Follow on

Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg

Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

http://youtube.com/AzaadBharatOrg

Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Translate »