करोड़ो लोगों ने क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस क्यों मनाया !? जानिए

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28 December 2023

अंग्रेजों ने भारत में आकर बड़ी चालाकी से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए अपने आकर्षक और चकाचौंध से भरपूर त्योहारों के सहारे हिन्दू संस्कृति के रीति-रिवाजों और त्योहारों को लगभग हटाकर अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपने का कुचक्र रचा। गत वर्षों तक इसका प्रभाव जनमानस पर देखने को मिला, लेकिन आज देश की जनता जागरूक होने लगी है। धीरे-धीरे जनता पश्चिमी संस्कृति को भूल रही है और भारत की दिव्य संस्कृति की तरफ लौट रही है ।

यूरोप आदि देशों में पहले 25 दिसंबर को सूर्यपूजा होती थी लेकिन सूर्यपूजा को खत्म करने के लिए और ईसाईयत का बढ़ावा देने के लिए क्रिसमस- डे शुरू किया।

इस बार पिछली बार से भी दोगुने जोशो-खरोश के साथ देश-विदेश में क्रिसमस की जगह विद्यालयों में, गांवों में, शहरों में, मन्दिरों आदि जगह-जगह पर तुलसी पूजन दिवस मनाया गया ।

आपको बता दें कि केवल भारत में ही नहीं दुबई, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, लंदन आदि कई देशों में भी तुलसी पूजन दिवस मनाया गया। सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि मुस्लिम, ईसाई, फारसी लोगों ने भी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया ।

बता दें कि केवल जमीनी स्तर पर ही नहीं बल्कि ट्वीटर, फेसबुक,इंस्ट्राग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब आदि सोशल साइट्स पर भी तुलसी पूजन दिवस की धूम मची है ।

गौरतलब है कि 2014 से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन हिंदू संत आसाराम बापू ने शुरू करवाया था और उनके करोड़ो अनुयायियों द्वारा जगह-जगह पर मनाना प्रारंभ किया गया । उसके बाद तो 2015 से इस अभियान ने विश्वव्यापी रूप धारण कर लिया और इस बार तो देश-विदेश में अनेक जगहों पर हिन्दू मुस्लिम और अन्य धर्मों के भाई-बहनों ने भी उत्साहित होकर इस दिन को एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाया है ।

संत श्री आशारामजी बापू आश्रम द्वारा बताया गया , कि उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा और आम जनता द्वारा विश्वभर के विद्यालयों, महाविद्यालयों और जाहिर जगहों के साथ-साथ करोड़ों घरों में भी तुलसी पूजन त्योहार मनाया जा रहा है ।

ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल साइट्स पर तुलसी पूजन दिवस निमित्त देशभर के स्कूल, कॉलेज, गांवों, शहरों में हुए तुलसी पूजन तथा यात्राओं के साथ हुए तुलसी वितरण के फोटोज़ अपलोड हुए हैं ।

25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस की बधाई का ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड करता दिखाई दिया।

आम जनता के साथ राष्ट्रवादी नेताओं, पत्रकारों, डॉक्टरों, वकीलों,सरकारी कर्मचारियों, बिजनेसमैन, आदि ने भी ट्वीट करके इस दिन तुलसी पूजन करने का समर्थन किया।

इस प्रकार से अनेकों ट्वीटस हमें देखने को मिली जिसके जरिये लोगों ने बापू आसाराम जी द्वारा प्रेरित तुलसी पूजन दिवस को सराहा भी और इस दिन को हिन्दू संस्कृति अनुसार मनाने का खुद भी आह्वाहन किया तथा औरों को भी प्रेरित किया ।

बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ अनेक हिन्दू संगठन और देश-विदेश के लोग भी मना रहे थे तुलसी पूजन महापर्व। 

आपको बता दें कि डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल जी और सुदर्शन न्यूज के सुरेश चव्हाणके जी और भी कई बड़ी हस्तियां 25दिसंबर को तुलसी पूजन का न सिर्फ समर्थन करते हैं , बल्कि स्वयं भी तुलसी पूजन विशेषरूप से करते हैं।

आज भले आसारामजी अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत जेल में हों, लेकिन आज भी उनके द्वारा प्रेरित उनके अनुयायियों ने हमेशा विदेशी अंधानुकरण का विरोध किया है और हिन्दू संस्कृति के उत्थान के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं। इनके आश्रमों व समितियों द्वारा आयोजित राष्ट्रसेवा के कार्यों की सुवास समाज में देखने को मिलती रहती है। जैसे 14 फरवरी को #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस, 25 दिसम्बर तुलसी पूजन दिवस, घर घर गीता पठन,गौ-पूजन, आदिवासी गरीबों में जीवानोपयोगी सामग्री देना व भंडारा, गीता जयंती निमित्त रैलियां, हरि नाम संकीर्तन यात्राएं आदि।

पर मीडिया का कैमरा कभी उस सच्चाई तक नहीं गया। कभी उन सेवाकार्यों तक नहीं गया जिससे समाज का हर वर्ग आज लाभान्वित हो रहा है । अगर आप गौर करेंगे तो मीडिया ने जब भी बापू आशाराम जी के लिए कुछ बोला तो हमेशा समाज में उनकी छवि धूमिल करने का ही प्रयास किया। उनकी ही क्या , हर हिन्दू संत, हर हिन्दू कार्यकर्ता की छवि को धूमिल करने का प्रयास मीडिया द्वारा होता ही आया है !

मीडिया के इस दोगलेपन के पीछे का राज है कि मीडिया विदेशी फंड से चलती है । इसलिए ये समाज को वही दिखाती है जो इसे दिखाने के लिए कहा जाता है । इन्हें सत्य से कुछ लेना-देना नहीं, हर न्यूज के दाम फिक्स होते हैं । ऐसी बिकाऊ मीडिया पर आप यह उम्मीद करेंगे कि वो तुलसी पूजन दिवस समारोह की खबरें दिखाएगी !??

बेशक ! हमारे देश की ( बिकाऊ) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तो क्रिसमस की ही बधाइयाँ देती नज़र आएगी न…

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