जिन्होंने बदला धर्म उनको ST से बाहर करो : राँची में हुआ जुटान…

30 December 2023

 

डी लिस्टिंग यानी धर्मांतरण कर ईसाई अथवा मुस्लिम बनने वाले जनजातीय समाज के लोगों को अनुसूचित जनजाति (ST) के दायरे से बाहर करने को लेकर देशव्यापी आंदोलन चल रहा है। फरवरी 2024 में जनजातीय समाज के लोग अपनी माँगों के समर्थन में दिल्ली में जुट सकते हैं। 25 dec ईसाइयों के त्योहार क्रिसमस से ठीक पहले 24 दिसंबर 2023 को झारखंड की राजधानी राँची में इकट्ठे हो कर वो अपना इरादा जता चुके हैं।

 

अनुसूचित जनजाति के लोगों का यह अभियान जनजाति सुरक्षा मंच (JSM) के बैनर तले चल रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस अभियान को हिंदुवादी संगठनों का भी समर्थन हासिल है। इसी रिपोर्ट में देशभर के जनजातीय समाज के लोगों का दिल्ली में फरवरी में जुटान होने की बात कही गई है। हालाँकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है।

 

जनजातीय समाज के लोगों का कहना है कि धर्मांतरण करने वाले लोग ST का लाभ उठाकर उनके अधिकार को छीन रहे हैं। उनके अनुसार ईसाई बनने वाले ST बीते 75 साल से अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण लाभ का 80 फीसदी फायदा उठा रहे हैं। जेएसएम का कहना है कि ईसाइयों अथवा मुस्लिमों का एसटी आरक्षण पर अधिकार नहीं हैं। लेकिन वे जनजातीय समाज के लोगों को मिले संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं।

 

इन्हीं माँगों के समर्थन में जनजातीय समाज के करीब 5000 लोगों का जुटान गत 24 दिसंबर 2023 को राँची के मोरहाबादी मैदान में हुआ। उलगुलान आदिवासी डीलिस्टिंग नामक इस महारैली का आयोजन JSM की ओर से किया गया था। झारखंड के अलग-अलग हिस्सों से आए अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों ने पारंपरिक पोशाकों और तीर-धनुष जैसे पारंपरिक हथियारों के साथ इस रैली में शिरकत की थी।

 

रैली की अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने की। उनके अलावा बीजेपी के लोकसभा सांसद सुदर्शन भगत, राज्यसभा सदस्य समीर ओरांव, जेएसएम के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत भी मौजूद थे। करिया मुंडा ने कहा, “झारखंड में ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों का प्रतिशत लगभग 15-20% होगा, लेकिन अगर हम सरकारी नौकरियों और आईएएस सहित प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को देखें, तो 80-90% वे हैं जो धर्मांतरित हैं।”

 

जनजातीय समाज के लोगों की डी-लिस्टिंग की डिमांड नई नहीं है। मुंडा ने बताया कि राँची की तरह ही नागपुर, नासिक, मुंबई जैसे कई जगहों पर इन्हीं माँगों को लेकर जनजातीय समाज के लोगों का जुटान हो चुका है। वहीं जेएसएम के राष्ट्रीय सह संयोजक राजकिशोर हांसदा ने कहा , कि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने देश के 700 से अधिक जनजातीय समूहों के अधिकारों की रक्षा के लिए बेहतरीन कोशिशें की थीं, लेकिन ये फायदा मुट्ठी भर उन लोगों को मिल रहा है जो धर्म बदल चुके हैं। जिन्हें चर्च का समर्थन हासिल है।

 

जनता का कहना है,कि सरकार को भी इस विषय पर ध्यान देना चाहिए,क्योंकि महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। आप कहते थे…

“यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।

 

इस बात को ध्यान रखते हुए धर्मान्तरण करने वालों को सरकारी सुविधाएं बंद कर देनी चाहिए।

 

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