वेटिकन के मुख्य पोप ने पहले सेक्स और अब दारू की दी छूट…

30 January 2024

 

भारतीय संस्कृति और पाश्चात संस्कृति में बहुत अंतर है। आइए देखें कुछ उदाहरण के द्वारा कि कैसे और क्या अन्तर है।

जब अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी तब आसपास के इलाकों में योगी जी ने दारू बंदी करवा दी और उस समय कई राज्यों में तो मांस बेचना बंद करवा दिया गया था। हमारी भारतीय संस्कृति में दारू पीने की छूट बिलकुल नही दी गई है। इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है और साथ ही बुद्धि भी मारी जाती है, तामसी स्वभाव हो जाता है , इसीलिए हिंदू साधु संत तो दारू जैसे व्यसन से बचने को कहते है और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन ईसाई धर्म के सबसे मुख्य पॉप ने पहले तो पादरियों के लिए सेक्स की छूट की पैरवी की और अब दारू पीने-पिलाने का भी खूब प्रोत्साहन कर रहे हैं ।

 

आपको बता दें कि चर्चों में बच्चों के साथ दुष्कर्म करते पादरियों के पकड़े जाने के अनगिनत मामले आए दिन सामने आते रहते हैं।

अब इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि उनके धर्म गुरु ही ये सब करने की छूट दे रहे हैं , व्यभिचार और व्यसन की छूट दे रहे हैं।

 

अब अगर यह सब जानने के बावजूद भी भारतीय लोग , दबाव, दहशत या लालच में आकर ऐसा धर्म अपनाते है तो उनकी और उनके परिवार की क्या दुर्दशा होगी आप समझ ही सकते हैं।

 

गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवारों का विदेशी भाषा, वेश-भूषा, रीति-रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है, पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”

 

आपको बता दे की हाल ही में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि दारू भगवान की देन है और यह आनंद का असली स्रोत है। पोप फ्रांसिस ने यह बयान वेटिकन सिटी में दिया है, जो ईसाइयों की धर्मनगरी है। उन्होंने इसके पहले भी शराब के समर्थन में कई बयान दिए हैं।

 

पोप फ्रांसिस ने यह बयान एक समारोह में दिया, जिसमें इटली से आए हुए तमाम शराब निर्माता शामिल थे। यह समारोह इतालवी शहर वेरोना के बिशप डोमेनिको पोम्पिली द्वारा आयोजित किया गया था। यह समारोह वेरोना में हर साल अप्रैल माह में होने वाली वाइन प्रतियोगिता के पहले आयोजित किया जाता है।

 

पोप फ्रांसिस ने शराब बनाने वालों से कहा कि वह इससे सम्बंधित नैतिक जिम्मेदारियों का वहन करें और साथ ही पीने की सही आदतों को बढ़ावा दें।

 

बता दें कि पोप फ्रांसिस इससे पहले भी शराब का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में भी शराब के समर्थन में बयान दिया था। उन्होंने शराब को शादी समारोह का प्रमुख अंग कहा था। उन्होंने कहा था, “नवविवाहित जोड़े की शादी में शराब ना हो तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है, जैसे आपने चाय पीकर आपने शादी समारोह पूरा कर लिया।”

 

आपको बता दें कि पोप ने पिछले साल एक वक्तव्य में कहा था कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी।

86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल यौनशोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।

 

कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल ही चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा तो पहले से ही थे , पर गुपचुप ढ़ंग से ।

पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।

 

देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो कर सनातन धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।

 

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