जन्मदिन इस तरीके से मनाएंगे तो जीवन महक उठेगा…

16 Apirl 2023

 

🚩हम पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर प्रकाश, आनंद व ज्ञान की ओर ले जाने वाली अपनी सनातन संस्कृति का अनादर करके अपना जन्मदिवस अंधकार व अज्ञान की छाया में मना रहे हैं। केक पर मोमबत्तियाँ जलाकर उन्हें फूँककर बुझा देते हैं, प्रकाश के स्थान पर अंधेरा कर देते हैं।

 

🚩पानी का गिलास होठों से लगाने मात्र से उस पानी में लाखों किटाणु प्रवेश कर जाते हैं तो फिर मोमबत्तियों को बार बार फूँकने पर थूक के माध्यम से केक में कितने कीटाणु प्रवेश करते होंगे ? अतः हमें पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण का त्याग कर भारतीय संस्कृति के अनुसार ही जन्मदिवस मनाना चाहिए।

 

🚩तमसो मा ज्योतिर्गमय।

हे प्रभु ! तू हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चल ! सनातन संस्कृति के इस दिव्य संदेश को जीवन में अपना कर अपना जीवन प्रकाशमय बनाने का सुअवसर है जन्मदिवस।

🚩यह शरीर, जिसका जन्मदिवस मनाना है, पंचभूतों से बना है जिनके अलग-अलग रंग हैं। पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला।

 

🚩थोड़े से चावल, हल्दी, कुंकुम आदि उपरोक्त पाँच रंग के द्रव्यों से रँग लें। फिर उनसे स्वास्तिक बनायें और जितने वर्ष पूरे हुए हों, मान लो 11, उतने छोटे दीये स्वास्तिक पर रख दें तथा 12वें वर्ष की शुरूआत के प्रतीक के रूप में एक बड़ा दीया स्वास्तिक के मध्य में रखें।

 

🚩फिर घर के सदस्यों से सब दीये जलवायें तथा बड़ा दीया कुटुम्ब के श्रेष्ठ, ऊँची समझवाले, भक्तिभाव वाले व्यक्ति से जलवायें। इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें। फिर आरती व प्रार्थना करें।

 

🚩आप अपने बच्चों का जन्मदिवस भारतीय संस्कृति के अनुसार ही मनायें ताकि आगे चलकर ये मासूम नौनिहाल पाश्चात्य संस्कृति के गुलाम न बनकर भारत के सम्माननीय नागरिक बन सकें।

 

🚩ध्यान दें- जन्मदिवस के अवसर पर पार्टियों का आयोजन कर व्यर्थ में पैसा उड़ाना कहाँ तक उचित है ? इससे देश के ये भावी कर्णधार कौन सा आदर्श लेंगे ? आप आज से ही जन्मदिवस भारतीय संस्कृति के अनुसार मनाने का दृढ़ निश्चय कर लें। इस दिन बच्चे के हाथों से गरीब बस्तियों, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर बच्चे में अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें। लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्टस) लेने के बजाये अपने बच्चे को दान करना सिखायें, ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सवृत्ति विकसित हो। बच्चे में भगवदभाव एवं देशभक्ति के विकास हेतु उस दिन उसे बालभक्तों की कहानियाँ सुनायें, गीता-पाठ करायें, बड़े बुजुर्गों को प्रणाम करवाकर उनसे आशीर्वाद दिलवायें। वृक्षारोपण जैसे पर्यावरण के प्रति प्रेम उत्पन्न करने वाले एवं समाज हित के कार्य करवायें।

 

🚩बच्चा उस दिन अपने गत वर्ष का हिसाब करे कि उसने वर्ष भर में क्या-क्या अच्छे और बुरे काम किये ? जो अच्छे कार्य किये हों उन्हें भगवान के चरणों में अर्पण कर दे और जो बुरे कार्य हुए उनको आगे भूलकर भी न दोहराने और सन्मार्ग पर चलने का शुभ संकल्प करे।

 

🚩उस दिन बालक से कोई भी एक संकल्प करवायें जैसे – ʹआज से स्वस्तिक या सदगुरुदेव के श्रीचित्र पर नियमित रूप से त्राटक करूँगा इत्यादि। बच्चे से यह भी संकल्प करवायें कि वह नये वर्ष में सदगुण सदाचारों के पालन में पूरी लगन से लगकर अपने माता पिता व देश के गौरव को बढ़ायेगा।

 

🚩ये बच्चे ऐसे महकते फूल बन सकते हैं कि अपनी निष्काम कर्मरूपी सुवास से वे केवल अपना घर, पड़ोस, शहर, राज्य व देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को सुवासित कर सकते हैं।

 

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