14 फ़रवरी दूर है , पर देशभर में लोगों ने अभी से उत्साहपूर्वक मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम मनाना शुरू किया…

28 January 2024

 

भारत में अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने(  और भारत को आंतरिक रूप से, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप  से खोखला करके पुनः अपना गुलाम बनाने के उद्देश्य से )के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां यहाँ मीडिया और अन्य माध्यमों में करोड़ो रूपए देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं जिसके कारण उनका व्यापार लाखों, करोड़ों, अरबों नहीं खरबों में हो जाता है। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगते हैं, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना तेजी से बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपयों का फायदा होता है।

 

वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है, इसलिए अब तो देशभर में लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के निमित्त कार्यक्रम मनाने की शुरूआत कर दी है।

 

गौरतलब है कि पिछले 60 वर्षों से सनातन संस्कृति के सेवाकार्यों में रत रहने वाले तथा सनातन संस्कृति की महिमा से विश्वमानव को परिचित करवाने वाले हिन्दू संत श्री आशारामजी बापे ने जब अपने देश के युवावर्ग को पाश्चात्य अंधानुकरण से चरित्रहीन होते देखा तो उनका हृदय व्यथित हो उठा और उन्होंने साल 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू किया। उन्होंने वर्षों से एक नयी दिशा की ओर युवावर्ग को अग्रसर करते हुए एक विश्वव्यापी अभियान चलाया। 14 फरवरी मातृ पितृ पूजन दिवस आज विश्वव्यापी बन चुका है और करोड़ों लोगों के द्वारा मनाया जा रहा है।

 

आशाराम जी बापू का कहना है कि भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है।

 

अब युवक-युवतियों का यह कहना कि “क्या हम प्यार न करें?”, तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने। आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आजतक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये , उनको ठुकरा दिया। जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया। आपके ऊंचे से ऊंचे सपने पूरे करने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई। उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी बड़ा तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने। उनका ऐसा अनमोल प्यार भुलाकर आप किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार के चक्कर में आकर वैलेंटाइन डे न मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें।

 

हे भारतवासी भाइयों – बहनों ! आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं, एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।

अपने सनातनधर्म की आन, बान और शान बढ़ाएं। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे न मनाकर , सनातन संस्कृति के रक्षक पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू द्वारा विश्वमानव के हित की भावना से शुरू किए गए… “मातृ-पितृ पूजन दिवस” को ही मनाएं और अपने सच्चे प्यार , अपने वास्तविक हितैषी माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं।

आओ भारत को विश्व गुरु पद की ओर ले जाएं और संतों के शुभ संकल्प को साकार बनाएं ।

 

जय हिंद  !

जय माँ भारती !!

 

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