17 March 2024
हिंदू मंदिरों को वापस से उनकी सही पहचान दिलाने के लिए आज जहाँ उत्तर भारत में वरिष्ठ वकील हरी शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने अपनी जी जान लगाई हुई है, तो वहीं दक्षिण में भी हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की ओर से लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों का एक समूह आ खड़ा हुआ है। अयोध्या-काशी के कारण हम पिता-पुत्र की जोड़ी को तो जान गए लेकिन केरल के इन वकीलों को अभी जानना हमारे लिए बाकी है।
हाल में केरल की विभिन्न अदालतों में हिंदू मंदिरों की खोई संपत्ति वापस दिलाने के लिए सैंकड़ों याचिकाएँ दायर की गई। ये याचिका इन्हीं वकीलों की मेहनत का परिणाम है। यही वकील एकजुट होकर हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी वजह से आज इनकी चर्चा है। द न्यूज मिनट पर तो इन्हें लेकर विस्तार से खबर भी प्रकाशित हुई है।
इस समूह में एक वकील कृष्णा राज भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में हिंदू मंदिरों की जमीन पर अतिक्रण करने वाले लोगों, ट्रस्टों और संगठनों को लक्षित करते हुए 100 केसों को उठाया गया है। इस समूह के प्रयास के चलते ही ईसाई मिशनरी नेटवर्क सेंट फिलोमेना साधु जन संगम को अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने खुद धोखाधड़ी से कोन्नमकुलंगरा भगवती मंदिर की जमीन खरीदी थी और अब इस समूह के प्रयास ने उन्हें कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया है।
बता दें कि केरल के वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले कृष्णा राज अपने हिंदुत्व विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी टीम में प्रथीश विश्वनाथ जैसे साथी वकील हैं और कुछ अन्य दक्षिणपंथी कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने अपने इस अभियान के लिए SaveDeities नाम का संगठन भी खोला हुआ जिसमें 7 वकीलों का समूह है।
इस संगठन की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इस टीम का हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के वकील आर कृष्णा राज तो हैं हीं, इनके अलावा केरल हाई कोर्ट के बीएन शिवशंकर, प्रथीस विश्वनाथन, के ए बालन, वकील ई एस सोनी, कुमारी संगीता एस नायर और राजेश वीआर भी हैं। ये सारे वकील इस संगठन से जुड़कर और मिलकर हिंदू मंदिरों को पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।
SaveDeities पर इस बात को भी विस्तार से बताया गया है कि इस समूह ने किन केसों को अदालतों में उठाया है। कहाँ-कहाँ मंदिरों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है और कैसे केरल में स्थिति यह है कि सरकार के हस्तक्षेप से राजस्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमणकारियों को पट्टायम (खरीद प्रमाण पत्र) और अन्य कानूनी कब्ज़ा/स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करके मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमण को वैध बनाया जा रहा है।
यही साइट ये भी बताती है कि इन वकीलों ने इस काम की शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि ये केरल राज्य में किसी ने भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को देवताओं, असली मालिकों को वापस करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। ऐसी परिस्थितियों में, ये समूह कब्जे वाले क्षेत्रों से मंदिरों की खोई संपत्ति को बचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं।
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, वकील कृष्ण राज कहते हैं, “मैं किसी संघ परिवार से जुड़ा नहीं हूँ। कानूनी मामलों में मैं बस उनकी सहायता करता हूँ। मैं गौरवान्वित हिंदू हूँ पर क्षमाप्रार्थी नहीं। मेरा उद्देश्य भगवान की खोई संपत्तियों को पुन: प्राप्त करना है। अकेले मैं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूँ।”
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