धनतेरस का त्योहार क्यों मनाया जाता हैं ? काली चौदस का इतिहास क्या हैं ? जानिए…..

10 November 2023

 

 

🚩दिवाली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन घर और आस-पास की जगहों को दीपों से रोशन किया जाता है। दिवाली एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, जो धनतेरस से लेकर भाई दूज तक चलता है। पांच दिन का ये पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इन सभी दिनों का विशेष महत्व है। साथ ही इससे जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं। इस साल 10 नवंबर 2023 को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। इस खास दिन पर लोग सोना, चांदी व बर्तन की खरीदारी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि, धनतेरस के दिन आप जो भी सामान खरीदेंगे उसके दोगुना वृद्धि होने की संभावना होती है।

 

🚩कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इसे धनतेरस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, कुबेर और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि, धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं, इस दिन किसकी पूजा की जाती है, सभी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

 

🚩क्यों मनाया जाता है धनतेरस ?

 

🚩शास्त्रों के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि हाथों में कलश लिए समुद्र से प्रकट हुए थे। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का ही अंश माना जाता है। इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया था। इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

 

🚩धनतेरस में किसकी पूजा होती है?

 

🚩धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। साथ ही माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देव की भी पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि, धनतेरस पर माता लक्ष्मी की विधि अनुसार पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है। साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

 

🚩कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

 

🚩लगभग सभी जानते हैं कि भगवान विष्णु ने कई अवतार लिए हैं। विष्णु जी ने धन्वंतरि रूप में भी अवतार लिया था। ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि वैद्यों में शिरोमणि हैं। इसलिए स्वास्थ्य लाभ के लिए भी भगवान धन्वंतरि की पूजा करना शुभ माना जाता है।भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से हाथों में अदरक का पौधा और अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

 

🚩क्यों खरीदे जाते हैं धनतेरस में बर्तन?

धनतेरस के शुभ दिन पर बर्तन खरीदने की मान्यता है क्योंकि, कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि जन्म के समय अमृत कलश लिए हुए थे। इसी कारण इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।

 

🚩काली चौदस

 

🚩धनतेरस के पश्चात आती है ‘नरक चतुर्दशी (काली चौदस)’। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को क्रूर कर्म करने से रोका। उन्होंने 16 हजार कन्याओं को उस दुष्ट की कैद से छुड़ाकर अपनी शरण दी और नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया। नरकासुर प्रतीक है – वासनाओं के समूह और अहंकार का। जैसे, श्रीकृष्ण ने उन कन्याओं को अपनी शरण देकर नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया, वैसे ही आप भी अपने चित्त में विद्यमान नरकासुररूपी अहंकार और वासनाओं के समूह को श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दो, ताकि आपका अहं यमपुरी पहुँच जाय और आपकी असंख्य वृत्तियाँ श्री कृष्ण के अधीन हो जायें। ऐसा स्मरण कराता हुआ पर्व है नरक चतुर्दशी।

 

🚩इस दिन रात के अंधकार में उजाला किया जाता है। जो संदेश देता है कि , हे मनुष्य ! तेरे जीवन में चाहे जितना अंधकार दिखता हो, चाहे जितना नरकासुर अर्थात् वासना और अहं का प्रभाव दिखता हो, तू अपने आत्मकृष्ण को पुकारना। श्रीकृष्ण रुक्मिणी को आगेवानी देकर अर्थात् अपनी ब्रह्मविद्या को आगे करके नरकासुर को ठिकाने लगा देंगे।

 

🚩काली चौदस के सुबह में तिल के तेल से मालिश करके सप्तधान्य उबटन लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने का भी विधान है । काली चौदस की रात्रि में मंत्र जप करने से मंत्र सिद्ध होता है।

 

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