सनातन धर्म के उद्देश्य क्या हैं ? जानिए…..

22 September, 2023

 

🚩सनातन धर्म से विचारधारा है जो हिंदू धर्म का मूल आधार है। इसके तत्व और सिद्धांतों में विभिन्न दर्शनशास्त्रों का समावेश होता है, जो मनुष्य के जीवन के संपूर्ण क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। यह एक अनन्य धार्मिक परंपरा है जिसकी भूमिका है नैतिकता, दायित्व, आध्यात्मिकता, ध्येय सम्प्रेषण, समर्पण और सामरिकता की प्रोत्साहना करना।

 

🚩सनातन धर्म के उद्देश्य हैं- मनुष्य के सामर्थ्य और उद्यम को प्रोत्साहित करना, स्वाधीनता में जीने का हौसला देना, सभी जीवों के प्रति सम्मान और प्रेम का विकास करना, एकाग्रता स्थिति में संपूर्ण ब्रह्मांड के साथीपन अनुभव करना और मुक्ति की प्राप्ति के लिए मार्ग दर्शन करना।

 

🚩सनातन धर्म के चार मुख्य सिद्धांत हैं:

 

🚩1. योग: योग ध्यान और आध्यात्मिक एकाग्रता के माध्यम से मन, शरीर और आत्मा का मिलान करने का एक विज्ञान है। यह आत्म और परमात्मा के साथ मिलन करने का मार्ग प्रदान करता है, जिससे चित्तशांति, मनोवृत्ति का नियंत्रण और सामरिकता की अनुभूति होती है।

 

🚩2. कर्म: कर्मयोग धार्मिक कर्मों को समर्पित और ईश्वर के प्रति समर्पित रहने का मार्ग है। यह आदर्श है कि हम किसी भी कर्म को भाग्य के रूप में स्वीकार करें और भावना पूर्ण समर्पण से कार्य करें।

 

🚩3. ज्ञान: ज्ञान उद्घोष के माध्यम से हमारे अन्तरात्मा के साथीपन का विकास करता है। इसका अर्थ है कि हमें अपनी असली स्वभाव को पहचानना चाहिए, खोज करना कि हम कौन हैं और हमारा आध्यात्मिक स्वभाव क्या है।

 

🚩4. आचार्य: गुरु या आचार्य के मार्गदर्शन में रहकर हम सनातन धर्म के सिद्धांतों का सदुपयोग कर सकते हैं। उनके ज्ञान, प्रेरणा और परामर्श के माध्यम से हम आगे बढ़ सकते हैं और आध्यात्मिक विकास के पथ पर चल सकते हैं।

 

🚩इस प्रकार, सनातन धर्म का महत्वपूर्ण तत्व है स्वयं का सम्मान, कर्म, ज्ञान, ध्यान, साधना और सामरिकता के माध्यम से आपसी सद्भाव, प्रेम, शांति और पूर्णता की प्राप्ति करना।

 

🚩सनातन धर्म, भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण धार्मिक सिद्धांत है। इसमें विभिन्न वैदिक साहित्यों, जैसे कि वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि के माध्यम से निर्मित धार्मिक आचारों और तत्वों का पालन किया जाता है।

 

🚩वैदिक साहित्य सनातन धर्म के मूल स्रोत हैं और वेदों में विभिन्न विधियाँ, मन्त्रों, उपास्यताओं और देवताओं के बारे में ज्ञान है। ये भारत की सबसे प्राचीन और पवित्रतम ग्रंथ हैं और हजारो वर्षों से यहां के धर्मीय जीवन का आधार रहे हैं।

 

🚩सनातन धर्म की धार्मिक प्रतिष्ठान अधिकांशतः मंदिरों में स्थापित होती हैं। ये मंदिर विभिन्न देवताओं के समर्पित होते हैं और साधकों को उन देवताओं की पूजा, आराधना और अनुष्ठानों के लिए आवंटित किए जाते हैं। इन मंदिरों में आरती, पूजा, हवन, प्रवचन आदि करने की परंपरा चलती है और ये आध्यात्मिक स्थान ही नहीं, व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान हैं।

 

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