11 August 2018
मुस्लिम शासक आक्रमणकारी बाबर 1527 में फरगना से भारत आया था, बाबर के आदेश से उसके #सेनापति मीर बाकी ने 1528 ई. में श्रीराम #मन्दिर को गिराकर वहाँ एक #मस्जिद बना दी थी । मंदिर तोड़ रहे थे, उस समय इस्लामी आक्रमणकारियों से मंदिर को बचाने के लिए रामभक्तों ने 15 दिन तक लगातार संघर्ष किया, जिसके कारण आक्रमणकारी मंदिर पर चढ़ाई न कर सके और अंत में मंदिर को तोपों से उड़ा दिया। इस संघर्ष में 1,36,000 रामभक्तों ने मंदिर रक्षा हेतु अपने जीवन की आहुति दी ।
भगवान श्री राम का मंदिर टूटने के बाद #हिन्दू समाज एक दिन भी चुप नहीं बैठा । वह लगातार इस स्थान को पाने के लिए #संघर्ष करता रहा, लेकिन आजतक मंदिर नहीं बन पाया । वहीं दूसरी ओर थाईलैंड में भव्य मंदिर बन रहा है ।
राम जन्मभूमि निर्माण न्यास ट्रस्ट थाईलैंड में मंदिर बनवा रहा है । बुधवार को अयुथया में इसके लिए भूमि पूजन किया गया ।
The grand temple of Lord Shriram is being built in Thailand, it is taught Ramayana. |
‘भारत को विश्वगुरु बनाएगा यह मंदिर’
महंत शरण ने कहा, ‘‘थाईलैंड में बन रहा राम मंदिर भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करेगा । इससे भगवान राम की विचारधारा का प्रचार भारत के बाहर भी होगा ।’’ महंत ने बताया कि यह मंदिर अयुथया शहर में सोराय नदी के किनारे बनाया जा रहा है । यह नदी शहर के बीच से होकर बहती है ।
अयोध्या ही है, अयुथया का अर्थ
इतिहासकारों के अनुसार, 15वीं सदी में थाईलैंड की राजधानी को अयुथया कहा जाता था । इसे स्थानीय भाषा में अयोध्या ही बोलते हैं । दक्षिण पूर्व एशिया के बौद्ध बहुल देश थाईलैंड के लोगों में हिन्दू धर्म के प्रति भी आस्था दिखती है । यहां के लोग अपने राजा को भगवान राम का वंशज मानते हैं और उन्हें विष्णु का अवतार कहते हैं । थाई संस्कृति और साहित्य का रामायण और श्रीराम से काफी जुड़ाव है । यहां के राजा अपने नाम के साथ राम लिखते थे । इसके अलावा थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक को ‘महेंद्र अयोध्या’ भी कहते हैं । लोगों का मानना है कि यह ‘अयोध्या’ इंद्र ने बसाई थी । स्त्रोत : दैनिक भास्कर
भगवान राम के समय ही राज्यों बँटवारा :-
थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है । इतिहास में बताया जाता है कि पश्चिम में लव को लवपुर (लाहौर ), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावती कहा जाता है । कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था । थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैं l इस वंश को “चक्री वंश कहा जाता है l चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है और विष्णु का आयुध चक्र है इसलिए थाईलैंड के लोग चक्री वंश के हर राजा को “राम ” की उपाधि देकर नाम के साथ संख्या दे देते हैं ।
राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण:-
बताया जाता है कि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है l जिसे थाई भाषा में “राम-कियेन” कहते हैं l जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है l इस ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी, जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था l थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रीय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले हिन्दू नहीं है, जो नाम के हिन्दू हैं, हिन्दुओं के दुश्मन यही लोग हैं l
आपको बता दे कि बैंकाक की सिल्पाकॉर्न विश्वविद्यालय के एसोसिएटेड प्राध्यापक बूंमरूग खाम-ए ने बताया कि थाईलैंड में रामायण लिटरेचर की तरह स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल है । विश्वविद्यालय के खोन (नाट्य) विभाग के छात्र सबसे अधिक रामलीला को पसंद करते हैं । थाईलैंड में रामायण को रामाकेन और रामाकृति बोलते हैं । जो वाल्मीकि रामायण से मिलती जुलती है, किंतु इसमें थाई कल्चर का समावेश है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थी रामायण पर पी.एच.डी. कर रहे हैं । इसमें से कुछ वर्ल्ड रामायण कांफ्रेंस में शामिल होने जबलपुर आए हैं ।
बौद्ध बाहुल्य देश में भगवान श्री रामजी और रामायण का महत्व है, तो भारत में कब भगवान श्री रामजी का मंदिर बनेगा और स्कूलों, कॉलेजों में रामायण पढ़ाई जायेगी ?
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बौद्ध बाहुल्य देश में भगवान श्री रामजी और रामायण का महत्व है, तो भारत में कब भगवान श्री रामजी का मंदिर बनेगा और स्कूलों, कॉलेजों में रामायण पढ़ाई जायेगी