फिनलैंड की हेलसिंकी विश्वविद्यालय ने बीफ पर लगाई रोक,शाकाहार को बढ़ावा

22 नवम्बर 2019
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*विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है ।*
*आपको बता दें कि फिनलैंड में हेलसिंकी विश्वविद्यालय ने अपने कैफेटेरिया से बीफ हटाने का फैसला किया है ! छात्रसंघ द्वारा चलाए जा रहे यूनिसेफ कैफेटेरिया ने ऐलान किया कि वह फरवरी 2020 से अपने दोपहर के भोजन से बीफ को हटा देगा। इसके अलावा सैंडविच और रोल से भी बीफ को हटा दिया जाएगा !*

*यूनिसेफ के अनुसार, बीफ पर रोक लगाने से उसके भोजन से संबंधित कार्बन फुटप्रिंट में 11 प्रतिशत की कमी आएगी, जो सालाना 240,000 किलोग्राम CO2 कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर होता है ! विश्वविद्यालय दिन में लगभग 11,000 लोगों को भोजन परोसता है, जिसमें 15 प्रतिशत मांस परोसा जाता है।*
*यूनिसेफ की व्यापार संचालन निदेशक लीना ने कहा कि यह विचार कर्मचारियों के मन में तब आया जब हम अपने अगले सामाजिक कदम के बारे में सोच रहे थे ! हमें एहसास हुआ कि, यह कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण कटौती करने का एक तरीका होगा !*
*बीफ को अन्य जानवरों के प्रोटीन जैसे चिकन, पोर्क और साथ में शाकाहारी विकल्पों से बदल दिया जाएगा। हेलसिंकी विश्वविद्यालय के कैफेटेरिया में दिन-प्रतिदिन के संचालन को संभालनेवाली कंपनी यल्वा का लक्ष्य अगले वर्ष के अंत तक शाकाहारी और शाकाहारी भोजन की बिक्री को 50 प्रतिशत से अधिक करना है ! स्रोत : अमर उजाला*
*गौमांस छोड़ने से 5% मौतें हो जाएंगी कम:*
*वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने लोगों को गौमांस छोड़ने की सलाह दी है । उसका कहना है कि इससे न सिर्फ करोड़ों लोगों की जान बचेगी बल्कि ग्रीन हाउस गैस (Green House) उत्‍सर्जन में भी कमी आएगी । फोरम ने यह दावा एक अध्‍ययन के आधार पर किया है । WEF के लिए ऑक्‍सफोर्ड मार्टिन स्‍कूल (Oxford Martin School) ने यह अध्‍ययन कराया था । फोरम का कहना है कि बीन्‍स (फलियां), माइकोप्रोटीन और मटर (Peas) में कहीं अधिक सेहत में सुधार लाने वाले तत्‍व हैं । लाइवस्‍टॉक फार्मिंग से धरती को खतरा बढ़ रहा है ।*
*अध्‍ययन में यह बात सामने आई कि मांस खासकर गौमांस छोड़ने से लोगों की सेहत और पर्यावरण दोनों में सुधार होगा । फोरम का कहना है कि वैश्विक स्‍तर पर जो मौतें हो रही हैं उसका बहुत बड़ा कारण गौमांस का सेवन है । अगर गौमांस का सेवन बंद कर दिया जाए तो इससे वैश्विक स्‍तर पर 2.4% मौतें रुकेंगी । वहीं धनी देशों में, जहां इसे खाने का चलन ज्‍यादा है, करीब 5% मौतें रुकेंगी । अध्‍ययन में गौमांस के बजाय ऐसा आहार लेने की बात कही गई है, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन मौजूद हों ।*
*विश्व के लिए वरदानरूप : गौपालन*
*देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं । दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है । घी ओज-तेज प्रदान करता है । इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है । गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है । जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते । पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है । ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं । गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है ।*
*देशी गाय के दर्शन एवं स्पर्श से पवित्रता आती है, पापों का नाश होता है । गोधूलि (गाय की चरणरज) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं । ‘स्कंद पुराण’ में गौ-माता में सर्व तीर्थों और सभी देवताओं का निवास बताया गया है ।*
*गायों को घास देनेवाले का कल्याण होता है । स्वकल्याण चाहनेवाले गृहस्थों को गौ-सेवा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि गौ-सेवा में लगे हुए पुरुष को धन-सम्पत्ति, आरोग्य, संतान तथा मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं ।*
*गौमांस खाने के नुकसान और उसके दूध, दही,घी, मूत्र और गोबर और उसकी उपस्थिति के अनेक लाभ भी देखे तो अब देशवासियों को कुत्तों की जगह देशी गौमाता का पालन करना चाहिए और सरकार को भी गौहत्या पर रोक लगानी चाहिए।*
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