23 नवम्बर 2019
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ईसाई मिशनरियां स्कूल में हिंदू संस्कृति विरोधी गतिविधियां चलाती हैं यह आपने कई बार सुना होगा, उसमें आपके बच्चे न तिलक लगा सकते हैं और ना ही मेंहदी लगा सकते हैं और ना ही पायल पहन सकते हैं और ना ही कोई हिंदू त्यौहार मना सकते हैं फिर भी जो हिंदू माता-पिता अपने बच्चों को मिशनरी स्कूल में भेज रहे हैं समझो अपने बच्चों को मानसिक रूप से अंग्रेज ही बना रहे है, उनके माता-पिता की बुद्धि पर तरस आती है।*
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आपको यहाँ कुछ ताजी घटनाएं बता रहे हैं, उसपर गौर कीजिए फिर अपने बच्चों को मिशनरियां स्कूल में बच्चों को भेजना चाहिए कि नहीं उसका निर्णय स्वयं करिये।*
*पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में एक मिशनरी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की जबरन लेगिंग्स उतरवा दी। यह घटना सोमवार (18 नवंबर) की है, लेकिन मामला सामने तब आया जब अगले दिन मंगलवार को छात्राओं के माता-पिता ने इस घटना के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि वह अपने बच्चों को ठंड से बचाने के लिए लेगिंग्स पहनाते हैं, ऐसे में स्कूल का ऐसा करना बेहद शर्मनाक है। बता दें कि यह स्कूल बोलपुर में स्थित है, जहाँ का तापमान काफ़ी कम रहता है।*
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कुछ अभिभावकों ने शिक़ायत की है कि उनके बच्चों ने लेगिंग्स के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था और स्कूल ने उन्हें शर्मिंदा करने का काम किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सोमवार को पाँच से नौ वर्ष की बच्चियाँ सुबह ठंड होने के कारण लेगिंग्स पहनकर स्कूल गईं थी, लेकिन प्रधानाचार्या और अन्य शिक्षकों ने उनकी ड्रेस से मेल न खाने के कारण लेगिंग्स उतरवा दी। इस घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए अभिभावकों ने स्कूल के ख़िलाफ़ शांतिनिकेतन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया।*
https://hindi.opindia.com/ national/girl-students-forced- to-take-off-leggings-in- bolpur-school-west-bengal/
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सेक्सुअल कंंटेंट खोलने के लिए किया मजबूर:*
*कोयम्बटूर में एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के एक 65 वर्षीय कैथोलिक पादरी एंटनी राज को पुलिस ने गुरुवार (21 नवंबर) को गिरफ़्तार कर लिया। पादरी की गिरफ़्तारी इसलिए हुई क्योंकि उसने कुछ छात्राओं को कथित तौर पर अपने मोबाइल फोन पर सेक्सुअल कंंटेंट (यौन सामग्री) खोलने के लिए मजबूर किया था।*
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कैथोलिक पादरी, जो शहर में एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के कॉरस्पॉण्डेन्ट के रूप में सेवा दे रहा था। पुलिस ने बताया कि मारिया एंटनी राज, जो शहर के गाँधीपुरम में सेंट मैरी हाई स्कूल में कॉरस्पॉण्डेन्ट के तौर पर कार्यरत था, उसने कई बार छात्राओं को अपने मोबाइल फोन पर सेक्सुअल कंटेंट खोलने के लिए मजबूर किया था। उसकी इस हरक़त से क़रीब पाँच छात्राएँ प्रभावित थी।*
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ख़बर के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (क़ानून-व्यवस्था) एल बालाजी सरवनन ने बताया कि आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। स्त्रोत : ऑप इंडिया*
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धर्मपरिवर्तन से मौत:*
*त्रिपुरा में पबियाछारा के कुम्हारघाट होली क्रॉस स्कूल में जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने से नौवीं कक्षा का एक छात्र परेशान था। इस बात को लेकर स्कूल मैनेजमेंट का उसने विरोध भी किया था। लेकिन उसका विरोध उस पर भारी पड़ा। उसे हॉस्टल में प्रताड़ित किया गया, जिसके कारण जीबीपी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक छात्र की पहचान हैप्पी देबबर्मा के रूप में हुई है।*
https://hindi.opindia.com/ national/forceful-conversion- in-christian-school-warden- killed-9th-student-in-tripura
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जय श्रीराम का नारा लगाने पर सस्पेंड*
*झारखंड के जमशेदपुर शहर में बिष्टुपुर के बेल्डीह चर्च स्कूल में मंगलवार को 12वीं के 17 छात्रों के एक ग्रुप ने खेल-खेल में जय श्री राम का नारा स्कूल कैंपस में लगाया। जब इसकी जानकारी प्रिंसिपल एल पीटरसन और अन्य सदस्यों को मिली, तो आनन-फानन में अनुशासन समिति की बैठक बुलाई गई। और नारा लगाने वाले छात्रों को 5 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया।*
https://www.hindujagruti.org/ hindi/news/147085.html
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सिर मुड़वा दिया*
*बिहार थाना क्षेत्र के खंदकपर के संत जोसेफ अकादमी में हिंदी बोलने पर एक छात्र का मुंडन करा दिया । नवमीं के छात्र सन्नी राज के अनुसार स्कूल में अंग्रेजी में ही बात करने का नियम है । इसका पालन न करने पर बच्चों को फाइन देना होता है और पैसे न भर पाने की स्थिति में सिर मुंडवा दिया जाता है ।*
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मेंहदी लगाने पर:*
*कुछ समय पूर्व उत्तरप्रदेश के फतेपुर में मिशनरी स्कूल में छोटी बच्चियां मेंहदी लगाकर पहुँची तो वहाँ के प्रिंसिपल ने बच्चीयों को बुलाकर हाथ में लगी मेंहदी को पत्थरो से रगड़कर निकलवाई जिससे बच्चियां के हाथो में खून खून हो गया और जो बच्चियां राखियां बांधकर आई थी उनकी राखियां कटवा के डस्टबिन में फेक दिया और घण्टों भर धुप में खड़ा रखा ।*
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भारत में आजकल बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने का प्रचलन बहुत चल रहा है सभी का कहना है कि बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में भेजो, लेकिन वास्तव में उनके माता-पिता कॉन्वेंट स्कूल का सच नहीं जानते है इसलिए अपने बच्चों को भेजते हैं । कान्वेंट स्कूलों के मामले में एक बात तो साफ तौर पर कही जा सकती है कि “दूर के ढोल सुहावने” ।*
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आपको यहाँ कुछ घटनाएं बताई गई उन पर गौर करिए और आप स्वयं निर्णय लीजिये कि हमारे बच्चों को ईसाई मिशनरियों के स्कूल में पढ़ना चाहिए कि नही?*
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