स्वतंत्रता दिवस: इतिहास और महत्व

15 August 2024

 

Home

 

स्वतंत्रता दिवस: इतिहास और महत्व:

 

15 अगस्त 1947 का दिन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में अंकित है। यह वह दिन था जब भारत के लोगों ने पहली बार एक आजाद देश में सांस लेना शुरू किया। अंग्रेजों की 200 सालों की गुलामी के बाद, 15 अगस्त का दिन एक ‘स्वर्णिम दिन’ के रूप में देश के लिए प्रसिद्ध हो गया। आज, हमारे देश की आजादी को 77 वर्ष पूरे हो गए हैं।

 

आजादी का सफर

 

अंग्रेजों के अत्याचार और दो सौ वर्ष की गुलामी के पश्चात, भारतवासियों के मन में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी थी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अनेक वीरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर हमें आजादी दिलाई। इन वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देशवासियों को अंग्रेजों की बेड़ियों से मुक्त कराया। वहीं, सरदार पटेल और गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी। कई सत्याग्रह आंदोलनों और लाठियां खाने और जेल जाने के बाद अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। भारतीय जनता की एकजुटता और संघर्ष ने आखिरकार उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

 

स्वतंत्रता दिवस समारोह

 

स्वतंत्रता दिवस के इस ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, हम सन् 1947 से आज तक इस दिन को बड़े उत्साह और प्रसन्नता के साथ मनाते आ रहे हैं। इस दिन, हमारे प्रधानमंत्री राजधानी दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। इसके साथ ही शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और राष्ट्र के नाम संदेश दिया जाता है। विद्यालयों, महाविद्यालयों, सरकारी कार्यालयों, खेल परिसरों, स्‍काउट शिविरों पर भी भारतीय ध्‍वज फहराया जाता है। राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान गाए जाते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के सभी महानायकों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस अवसर पर मिठाइयां बांटी जाती हैं और देश के प्रति गर्व का माहौल होता है।

 

राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान

 

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” और राष्ट्रगान “जन गण मन” का गान किया जाता है। “वंदे मातरम्” का लेखन बंकिमचंद्र चटर्जी ने किया था, जो मातृभूमि के प्रति प्रेम और भक्ति को दर्शाता है। वहीं, “जन गण मन” को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा, जो भारत की विविधता और एकता को सलाम करता है। इन दोनों गीतों का स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष महत्व है, और इनका गान हमें देश की अखंडता और संप्रभुता की याद दिलाता है।

 

भारतीय झंडे का इतिहास

 

भारतीय तिरंगे का विकास एक रोचक यात्रा रही है। प्रथम चित्रित ध्वज 1904 में स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा बनाया गया था। 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता में इसे कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया। पिंगली वेंकैया ने 1916 से 1921 तक दुनियाभर के देशों के झंडों का अध्ययन कर भारतीय ध्वज के लिए 30 डिज़ाइन पेश किए। 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बेजवाड़ा सत्र में पिंगली वेंकय्या ने दो रंगों, लाल और हरे, से बना एक झंडा प्रस्तुत किया। महात्मा गांधी की सलाह पर इसमें सफेद पट्टी और चरखा जोड़ा गया।

 

22 जुलाई 1947 को तिरंगे को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। 15 अगस्त 1947 को, पंडित बीपी दुआ ने लाल किले पर तिरंगा फहराया, जो भारत की आज़ादी का प्रतीक था।

 

स्वतंत्रता दिवस: एक राष्ट्रीय गौरव

 

स्वतंत्रता दिवस का महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना 1947 में था। यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष की याद दिलाता है और हमें एकजुट होकर देश के विकास और उन्नति की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हुए देश के भविष्य के लिए अपने संकल्पों को दोहराते हैं।

 

Follow on

 

Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

 

Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg

 

Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg

 

Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

 

http://youtube.com/AzaadBharatOrg

 

Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Translate »