श्रावण मास का महत्व

16 August 2024

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श्रावण मास का महत्व

 

श्रावण मास, जिसे सावन का महीना भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना भगवान शिव की आराधना और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए जाना जाता है। इस दौरान सोमवार के दिन का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में शिव की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्री शिव महापुराण में लिखा है, “द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभः,” जिसका अर्थ है, बारह महीनों में श्रावण शिव के लिए अतिप्रिय है।

 

श्रावण मास की 10 विशेषताएं इस प्रकार हैं:

 

1. भगवान शिव की विशेष आराधना: श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह वर्ष का पांचवां महीना है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, सावन का महीना जुलाई-अगस्त में आता है।

 

2. सावन सोमवार व्रत: इस मास में सावन सोमवार व्रत का सर्वाधिक महत्व है। श्रावण मास में बेल पत्र से शिवजी की पूजा और जल अर्पण अति फलदायी मानी जाती है।

 

3. शिव पुराण की महिमा: शिव पुराण के अनुसार, सावन सोमवार व्रत करने से शिवजी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। इस महीने में लाखों भक्त ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हैं।

 

4. प्रकृति से संबंध: सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है, जो धरती को हरियाली से भर देता है। ग्रीष्म ऋतु के बाद होने वाली बारिश मानव समुदाय को राहत देती है।

 

5. नारियल पूर्णिमा का उत्सव: भारत के पश्चिम तटीय राज्यों में श्रावण मास के अंतिम दिन नारियल पूर्णिमा मनाई जाती है।

 

6. कांवड़ यात्रा: श्रावण के पावन मास में शिव भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं, जिसमें गंगा जल से भरी कांवड़ को कंधों पर उठाकर तीर्थ स्थलों से लाते हैं और शिवजी को अर्पित करते हैं।

 

7. पौराणिक कथाएं: पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल विष को शिव ने पीकर अपनी कंठ में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और उनका नाम नीलकंठ पड़ा।

 

8. व्रत की विविधता: सावन में भक्त तीन प्रकार के व्रत रखते हैं – सावन सोमवार व्रत, सोलह सोमवार व्रत, और प्रदोष व्रत। इन व्रतों से भक्तों को शिव और पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।

 

9. ज्योतिष महत्व: श्रावण मास में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है, जो सभी राशियों को प्रभावित करता है।

 

10. माँ पार्वती की आराधना: सावन मास माँ पार्वती को भी समर्पित है। विवाहित महिलाएं वैवाहिक जीवन की सुख-शांति के लिए और अविवाहित महिलाएं अच्छे वर के लिए शिवजी का व्रत रखती हैं।

 

श्रावण मास का यह पवित्र महीना भक्तों के लिए आस्था, श्रद्धा, और भक्ति से भरा होता है, जिसमें भगवान शिव और माँ पार्वती की कृपा प्राप्ति की कामना की जाती है।

 

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