इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को किया खत्म, कहा सेक्युलरिज्म के है खिलाफ यह एक्ट

26  March 2024

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को खत्म कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता विरोधी और असंवैधानिक भी बताया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मदरसे की शिक्षा सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों के विरुद्ध है और सरकार को ये कार्यान्वित करना होगा कि मदरसों में मजहबी शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को औपचारिक शिक्षा पद्धति में दाखिल करें। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने इसके साथ ही यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

 

अंशुमान सिंह राठौड़ नामक शख्स ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। उन्होंने इस एक्ट की कानूनी वैधता को चुनौती दी थी। इसके साथ-साथ उन्होंने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई थी। इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से पूछा था कि मदरसा बोर्ड को शिक्षा विभाग की जगह अल्पसंख्यक विभाग द्वारा क्यों संचालित किया जा रहा है।

 

देश से आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है ।

 

मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए ।

 

सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।

 

जनता का कहना है की मदरसे बंद करके उसी जगह स्कूल खोल देना चाहिए। जिससे बच्चों और देश का भविष्य उज्ज्वल बने।

 

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