05 August 2018
दुनिया में किसी भी प्राणी का मल-मूत्र पवित्र नहीं माना जाता । यहाँ तक कि मनुष्य का भी मल-मूत्र पवित्र नहीं माना जाता है, केवल गाय ही ऐसी प्राणी है, जिसका गोबर और गौ-मूत्र पवित्र माना जाता है । यहाँ तक कि #पूजा पाठ में भी गोबर और गौ-मूत्र का उपयोग किया जाता है ।
Trendy dress made of cow dung |
विदेशों में गौमाता के गोबर से फैशनेबल ड्रेस बनाना शुरू हो गया है, उसके लिए स्टार्टअप करने वाली महिला को बड़ा अवार्ड भी मिला और उसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की जा रही है, और कई लोग इसकी फैक्टरी भी बनाने के लिए तैयार हो रहे हैं ।
जानिए क्या है पूरा मामला…
आइंडहोवन : नीदरलैंड के एक स्टार्टअप ने गाय के गोबर से सेल्युलोज अलग कर फैशनेबल ड्रेस बनाने का तरीका ढूंढ निकाला है । यह स्टार्टअप बायोआर्ट लैब जलिला एसाइदी चलातीं हैं । सेल्युलोज से जो फैब्रिक बनाया जा रहा है, उसे ‘मेस्टिक’ नाम दिया गया है । इससे शर्ट और टॉप तैयार किए जा रहे हैं । स्टार्टअप ने गोबर के सेल्युलोज से बायो-डीग्रेडेबल प्लास्टिक और पेपर बनाने में भी कामयाबी हासिल की है ।
एसाइदी का कहना है कि यह फ्यूचर फैब्रिक है । हम गोबर को वेस्ट मटेरियल समझते हैं । गंदा और बदबूदार मानते हैं, परंतु फैब्रिक बनाने में, शुरुआती स्तर पर जो तेल इस्तेमाल होता है, वह भी बहुत अच्छा नहीं होता है । हमें गोबर के सेल्युलोज में छिपी सुंदरता दुनिया को दिखानी ही होगी । एसाइदी फिलहाल १५ किसानों के साथ प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं । वे इसी साल औद्योगिक स्तर पर मैन्योर रिफाइनरी यूनिट शुरू करने जा रही हैं । उनके इस इनोवेशन को दो लाख डॉलर (१.४० करोड़) का चिवाज वेंचर एंड एचएंडएम फाउंडेशन ग्लोबल अवॉर्ड भी मिला ।
प्रकृति का संरक्षण होगा : क्लोदिंग रिटेलर एच.एंड एम. के फाउंडेशन के कम्युनिकेशन मैनेजर मालिन बोर्न का कहना है कि दुनिया हर साल प्राकृतिक संसाधनों का आवश्यकता से ज्यादा इस्तेमाल कर रही है । इसलिए जल्द ही उस मॉडल पर शिफ्ट होना होगा, जहां पर जरूरी मटेरियल को रिकवर किया जा सके । केवल कॉटन के भरोसे नहीं रहा जा सकता । कई कपड़ा निर्माताओं ने एसाइदी को भरोसा दिलाया कि वे मेस्टिक से कपडे बनाएंगे क्योंकि यह बहुत ही किफायती है । प्रोजेक्ट से जुड़े किसानों ने भी कहा कि हम जब पूरे दिन गोबर के बीच रह सकते हैं तो इससे बने कपडे पहनने में कोई हर्ज नहीं है ।
मेस्टिक से बना ड्रेस:-
ऐसे बनाया जाता है गोबर से रेशा : जलिला एसाइदी बतातीं हैं कि सेल्युलोज बनाने की प्रक्रिया कैमिकल और मैकेनिकल है । हमें जो गोबर और गोमूत्र मिलता है, उसमें ८०% पानी होता है । गीले और सूखे हिस्से को अलग किया जाता है। गीले हिस्से के सॉल्वेंट से सेल्युलोज बनाने के लिए फर्मेंटेशन होता है । इसमें ज्यादातर हिस्सा घास और मक्के का होता है, जो गाय खाती है । सामान्य कपड़ा उद्योग से हमारी प्रक्रिया कहीं बेहतर है, क्योंकि गाय के पेट से ही फाइबर के नरम बनने की शुरुआत हो जाती है। यह ऊर्जा की बचत करनेवाला तरीका भी है । वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया से मिला सेल्युलोज उच्च तकनीकवाला होता है ।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर
विदेशी लोग तो गौमाता की महत्ता समझने लगे, भारत कब समझेगा?
गौमाता सनातन धर्म की मूल है । जिस गौमाता के दूध की खीर से भगवान राम अवतरित हुए, जिस गौमाता के पीछे भगवान कृष्ण भागते रहे, जिस गौमाता की रक्षा के लिए भगवान परशुराम ने हत्या का प्रतिशोध लिया, जिस गौमाता के कारण ही हमारे 16 संस्कार पूर्ण होते है, जो गौमाता भारत माता का साकार स्वरूप है, जो गौमाता आज़ादी की क्रांति का मूल है, जो गौमाता धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाली है, जो गौमाता भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो गौमाता भारत को विश्वगुरु बना सकती है, जो गौमाता किसानों को गोबर का मूल्य दिला सकती है, जो गौमाता दूध से ही कुपोषण को दूर कर सकती है, जो गौमाता प्रकृति को प्राणवायु दे सकती है, जो गौमाता आरोग्य की मूल है, जो गौमाता स्वयं प्रकृति है, जो गौमाता भारत का स्वरूप है, उस गौमाता को 70 वर्षो से काटा जा रहा है, इससे बड़ा शर्म, दुर्भाग्य और पाप क्या होगा भला।
गौ-माता भारत देश की रीढ़ की हड्डी है । जो सभी को स्वस्थ्य #सुखी जीवन जीने में मदद रूप बनती है । सभी को आजीवन गौ-माता की रक्षा के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए ।
गौमाता की इतनी उपयोगिता है और उसकी हत्या हो रही है, ये सब देख कर लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सभी को मिलकर #गौ-माता को #राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाकर तन-मन-धन से इसकी रक्षा करनी चाहिए ।
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गौमाता के दूध, गौमूत्र आदि गव्य अत्यंत लाभकारी है लेकिन इनको अच्छे से छानने के बाद ही प्रयोग में लाना चाहिए अन्यथा गौमाता का रोम कूप अगर गलती से उसके साथ पी लिया तो नीच योनि की गति होती है – #राष्ट्र_हितैषी_संत श्री @AsaramBapuJi https://t.co/Vl5t0jZAq9