क्या आप भी जानना चाहते हैं , कि आख़िर क्यों हैं आशारामजी बापू कारागृह में !!???

11  May 2023

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🚩“भारत” नाम सुनते ही दो चीजें आंखों के सामने आती हैं । एक तो भारत की स्वर्णिम सनातन संस्कृत और यहां की सबसे प्राचीनतम् सभ्यता और दूसरे सनातन संस्कृति के महान वाहक , पोषक व रक्षक संतजन ।

 

🚩भारत कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए अपने मूल से ही जाना जाएगा । पर क्या भारत पर हुए विभिन्न देशी-विदेशी शासकीय अत्याचारों को भुलाया जा सकता है…?

…….नहीं ना !!

 

🚩विभिन्न धर्मों के आक्रमणकारियों ने भारत को अपने-अपने मजहब में ढालने का,हमारी संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयत्न किया परंतु भारत के अस्तित्व को आहत ना कर पाए।

पर ये सब इतनी आसानी से न हुआ। जाने कितनी महान हस्तियों ने बलिदान दिए। कितने-कितने देश-भक्त और धर्म-प्रेमी विधर्मियों के अत्याचार की बली चढ़ गए, पर भारत की वैदिक संस्कृति को हानि नहीं पहुंचाने दी बल्कि और भी बुलंद कर दिया।

🚩आज भी आधुनिकता की अंधी दौड़ के बावजूद भी भारत में अगर स्थिरता बनी हुई है तो उसका एकमात्र कारण है वंदनीय साधु-संतों के त्याग,तपस्या,बलिदान, उनके द्वारा दी जाने वाली संयम-सदाचार की शिक्षा और…उनकी अनवरत समाज सेवाएं । ऐसे महापुरुषों के लोक-मांगल्य के कार्यों की वजह से ही “सनातन-संस्कृति आज तक दैदिप्यमान सूर्य की भांति प्रकाशित है।

 

🚩21वीं सदी के हिन्दू संत श्री आसारामजी बापू , जिनका नाम सुनते ही करोड़ों लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और आंखों में नमी आ जाती है । प्यार से देश-विदेश के वासी इन्हें बापू कहते हैं। भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य  इन्होंने किया है उतना शायद कोई सोच भी नहीं सकता। देश-विदेश के करोड़ों लोगों को सनातन हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी लाभान्वित होने का मार्ग प्रशस्त किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया।  https://youtu.be/wmswegtRqus

 

🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जाने वाले बापू आसारामजी का विशाल हृदय प्राणिमात्र…या यूँ कहें कि चराचर जगत के कल्याण और मंगल के लिए सदैव ही द्रवीभूत रहता है ।

जब दूरदृष्टा बापू आसारामजी ने देखा कि अनेकानेक प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे गुपचुप रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर सनातन संस्कृति से दूर किया जा रहा है ।

तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा।

 

🚩बापू आसारामजी ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस की सुन्दर सौगात देकर सम्पूर्ण मानवता पर जो उपकार किया है , उसका ऋण कभी उतारा नहीं जा सकता…

25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन दिवस जैसा पावन और मंगलकारी महापर्व प्रदान किया…

31 दिसंबर से 1जनवरी तक अंग्रेजी न्यू-ईयर वीक की जगह भारत-विश्व-गुरु अभियान का आयोजन करवा कर देशवासियों…खासकर युवाओं और किशोरवय के बालक-बालिकाओं को उत्सव के नाम पर भोग,वासना और व्यभिचार के गर्त में गिरने से बचाया है।

 

🚩आदिवासी क्षेत्रों जहाँ तक सरकार के सेवाएं भी नहीं पहुंच पाती , वहाँ वर्षपर्यंत लगातार चलने वाले उपक्रम…”भजन करो,भोजन करो और दक्षिणा पाओ चलाते हैं।इतना ही नहीं समय-समय पर त्योहारों के बहाने उन गरीबों में भण्डारा करना,उन्हें निशुल्क जीवनोपयोगी सामग्री और दवाएं आदि प्रदान करवाते हैं , उनका सहारा बनकर खड़े हैं ताकि धूर्त, चालबाज मिशनरीज उनका धर्म परिवर्तन न करवा दें ।

 

🚩हिंदुओं के पर्वों को देश द्रोही मौकापरस्त लोग और चालबाज विदेशी कंपनीज मिलकर अपने मकसद के लिए विकृत न कर सकें… इसलिए बापूजी ने इस क्षेत्र  में भी बड़े असरकारक,लाभदायक और सुन्दर उपाय हमारी वैदिक संस्कृति के खजाने से खोज निकाले और… विधर्मियों को मुह की खानी पड़ी। सारे उदाहरण बताने जाएं तो, समय व स्थान बौने हो जाएंगे,पर बापूजी के उपचारों का पूरा वर्णन न हो सकेगा…

 

होली में केमिकल्स के कलर नहीं, नैसर्गिक रंग, पलाश के रंग से वैदिक होली और दीवाली पर प्रदूषण न हो इसीलिए अपने घर के साथ सभी स्थानों पर दीप-दान के महत्व को बताया ।https://youtu.be/xo1H7M3mkq8

 

🚩संत का अर्थ ही है परम हितैषी और बापू आसारामजी ने न सिर्फ खुद का जीवन सेवा में लगाया , बल्कि सभी देशवासियों को प्रेरित किया है सेवा और लोक-हित के लिए… अपने मूल मंत्र “सबका मंगल सबका भला” के साथ ।

 

🚩14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे मनाकर जहां देश की युवा पीढ़ी अपना संयम और सदाचार खो रही थी और दुर्बल बन रही थी, अब वही युवा मना रहे हैं सच्चा और पवित्र-प्रेम दिवस अपने माता-पिता के साथ “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के रूप में । जिससे युवानों को मिला उनके बड़े-बुजुर्गों के स्नेह के साथ-साथ संयम और सदाचार पालन करने का आशीष । साथ हीआधुनकिता की आड़ में बिखर रहे परिवार के लोगों को मिला एक दूसरे का साथ । कई परिवारों ने अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम के हवाले कर दिया था उन्होंने भी इस आयोजन से प्रभावित हो अपनी गलतीं सुधारी । युवानो में संयम और उनके लिए परिवार का साथ देश के समुन्नत भविष्य और सर्वांगीण विकास हेतु बहुत जरूरी है…ये बात सिर्फ बापू आसारामजी ने आगे लाई ।

 

🚩31 दिसंबर और 1 जनवरी को विदेशी अंधानुकरण करते लोग जब अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे थे तब लोक-हितैषी बापू आसारामजी ने “भारत विश्वगुरु अभियान” को फैलाया ताकि देशवासियों की रक्षा हो सके और सभी को पतन से बचाया जा सके । 25 दिसंबर से 1 जनवरी विदेशी सभ्यता का अनुकरण करने से बहुत हानि हुई है भारतीयों की, पर यही 8 दिन अगर वैदिक संस्कृति से मनाएं जाएं तो अवश्य न केवल पतन से बचाव होगा अपितु सर्वांगीण उन्नति और मंगल होगा ।

इन 8 दिनों में :

तुलसी पूजन दिवस

गौ-गंगा-गायत्री जागृति यात्रा

सहज स्वास्थ्य व योग प्रशिक्षण

गीता-पाठ हवन कार्यक्रम

मंत्र-अनुष्ठान

सामूहिक सेवा

सत्संग आयोजन…

आदि आयोजन होते हैं ताकि मानव, प्रकृति, प्राणी सभी का मंगल हो ! तन तंदरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रगट हो !

न आत्महत्या हो , न गौ-हत्या हो और न ही यौवन-हत्या हो बल्कि आत्मविकास हो ! तुलसी, गौ, गंगा, देश की वैदिक संस्कृति और सच्चे संतों को पूजा जाए और इनकी रक्षा की जाए, सेवा की जाए ! लोग ओजस्वी-तेजस्वी बनें और गीता-ज्ञान से मुक्तात्मा, महानात्मा बन अपने स्वरूप को जानें !https://www.facebook.com/SantShriAsharamJiBapu/videos/10153460984402669/

 

🚩आज बापू आसारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से क्योंकि उन्होंने 57+ वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आसारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड़यंत्रों से बचा और करोड़ों देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई।

विभिन्न विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सहीं दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे लोक-मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आसारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच झूठे केस के जरिए देश और समाज से उन्हें दूर करने का कुचक्र रचा।

…और इसी षड़यंत्र को अंजाम देते हुए एक महान संत को इतना अपमानित और प्रताड़ित किया ।

 

🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आसारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी।

 

🚩दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आसारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं ! बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित , सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा ।

 

🚩भारत का स्वर्णीम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि, संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थशास्त्र ज्ञान, राजनीति ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे ।

 

अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत ज्ञान और अनवरत सत्य संकल्प युक्त अभियानों के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक “विश्वगुरु” बन कर रहेगा ।

 

 

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