07 September 2018
ज्योतिषियों की गणना अनुसार भगवान हनुमानजी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था ।
केवल भारत ही नहीं विदेश में भी लोग हनुमानजी को आदरपूर्वक मानते हैं, अर्चन-पूजन करते हैं ।
An international seminar will be to learn the art of living by Hanumanji. |
अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा संचालित एक पत्रकारिता विश्वविद्यालय में भगवान हनुमानजी पर इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन हो रहा है । विश्वविद्यालय चाहता है कि, यहां के छात्र भगवान हनुमानजी से जीने की कला सीखें । भगवान हनुमानजी का लाइफ मैनेजमेंट उन्हें बताया जाएगा । वर्तमान परिदृश्य में उनके लाइफ मैनेजमेंट की व्याख्या की जाएगी । इन सब के साथ यहां कम्यूनिकेशन स्किल पर भी बात होगी । इसके लिए पूरे विश्व से रिसर्च पेपर आमंत्रित किए गए हैं । सेमिनार का थीम “हनुमानजी जी का लाइफ मैनेजमेंट” और “हनुमानजी जी का वर्तमान और प्राचीन स्वरूप” है ।
विश्वविद्यालय के कुलपति एम.एस. परमार कहते हैं, “इस कार्यक्रम का आयोजन अयोध्या रिसर्च इंस्टीट्यूट और कल्चर डिपार्टमेंट के द्वारा उत्तर प्रदेश के कल्चर डिपार्टमेंट के इंडोलॉजी एंड हेरिटेज मैनेजमेंट विभाग के साथ मिलकर किया जा रहा है । इसमें शामिल होने के लिए विदेश से भी लोग आ रहे हैं । पूरे विश्व से हमने लगभग 60 रिसर्च पेपर प्राप्त किए हैं ।” बता दें कि एक ऋषि और भगवान विष्णु के भक्त नारद मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित मखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल है । वहां उन्हें पहले पत्रकार के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्हें समाचार एकत्र करने की कला में महारत प्राप्त थी । स्त्रोत : जनसत्ता
भगवान हनुमानजी के अनेक गुण है उनका बखान कितना भी करो कम पड़ेगा ।
हनुमानजी के पास अष्ट सिद्धयाँ और नव निधियां भी थीं ।
हनुमानजी को जिन अष्ट सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-
1.अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं ।
2. महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है ।
3. गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं ।
4. लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं ।
5. प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं ।
6. प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं । इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे । साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को धारण कर सकते हैं । इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं ।
इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल का प्राप्त कर लिया है ।
7. ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं ।
ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था । इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा । साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं ।
8. वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं ।
वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं । हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं ।
नौ निधियां :
हनुमान जी प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार है
1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है ।
2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है ।
3. नील निधि : नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है । उसकी संपत्ति तीन पीढ़ी तक रहती है ।
4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है ।
5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।
6. मकर निधि : मकर निधि से संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है ।
7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है, वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है ।
8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रीत फल दिखाई देते हैं ।
ईसाई मिशनरियों द्वारा भोले-भाले लोगों को बहकाया जाता है कि हनुमानजी एक बंदर हैं, पशु हैं, किंतु सत्य तो ये है कि वे भी अगर ईमानदारी से उनकी शरण हो जाएं तो हनुमानजी की प्रत्यक्ष कृपा का अनुभव कर सकते हैं और फिर वे आरोग्यता का दान लेकर, अपने गले से क्रॉस का चिह्न हटाकर सुंदर, सुखद, विनयमूर्ति, प्रेममूर्ति, पुरुषार्थमूर्ति, सज्जनता तथा सरलता की मूर्ति श्री हनुमानजी को ही गले में धारण करेंगे ।
श्री हनुमानजी को बंदर कहकर भारत की संस्कृति पर आस्था रखनेवालों के प्रति अपराध करनेवालों ! तुम्हारे अपराध के फलस्वरूप रोग, पीड़ा, अशांति आती है । अतः सावधान हो जाओ । श्रीरामजी और हनुमानजी की कृपा आप भी पाइए और भारतवासियों को धर्मान्तरित मत कीजिए । आप इस देव की शरण आइए, इसीमें आपका भला है।
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वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं । हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं ।