जानिए भारत में वेलेंटाइन डे क्यो लाया गया? हमें क्या करना होगा?

26 जनवरी 2020

 
भारत देश को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतें अलग-अलग प्रकार से हथकंडे अपना रही हैं, कभी स्कूलों में गलत इतिहास पढ़ाया जाना तो कभी मीडिया द्वारा भारतीय संस्कृति विरोधी एजेंडे चलना, कभी जातिवाद के नाम पर तोड़ना तो कभी विदेशी त्यौहारों को मनाकर भारतीय संस्कृति को तोड़ने का प्रयास करना ।
 

 

 
हाल ही में गए विदेशी त्यौहार क्रिसमस में केवल दिल्ली में दिसंबर में दारू की 1,000 करोड़ रुपये की खपत हुई। उत्पाद शुल्क में राजस्व विभाग के पास इस साल दिसंबर में अधिक राजस्व था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 से 31 दिसंबर के बीच सबसे बड़ी शराब की बिक्री हुई।
 
इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि देशभर में हुई मात्र शराब की खपत से  विदेशी कंपनियों ने कितने अरबों रुपये कमा लिये होंगे । मीडिया ने भी खूब जमकर प्रचार-प्रसार किया, जिसके कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ी, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा और युवावर्ग का चारित्रिक पतन हुआ ।
 
इसी तरह अभी एक और बड़ा विदेशी त्यौहार आने वाला है वैलेंटाइन-डे । जिसमें युवक-युवतियां एक दूसरे को फूल देंगे, महंगे गिफ्ट देंगे, ग्रीटिंग कार्ड देंगे, शराब पीएंगे, मांस खाएंगे, व्यभिचार करेंगे, पार्टियां करेंगे । जिससे देश के युवावर्ग की तबाही होगी और देश के अरबों-खबरों रुपये फिर पहुँच जाएंगे विदेशी कम्पनियों के पास ।
 
पाश्चात्य संस्कृति के इस त्यौहार वैलेंटाइन-डे को रोकने के लिए पिछले साल से झारखंड सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसमें सभी सरकारी स्कूलों में 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाएगा ।
 
पिछले साल झारखंड राज्य के लगभग 50 हजार सरकारी स्कूलों में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
 
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने तो पिछले कई सालों से पूरे राज्य के स्कूलों में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन लागू कर दिया है और हर साल 14 फरवरी को माता-पिता का पूजन किया जाता है ।
 
गौरतलब है कि पाश्चात्य सभ्यता की गन्दगी से युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देखकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने वर्ष 2006 से 14 फरवरी को वैलेंटाइन-डे की जगह “मातृ-पितृ पूजन दिवस” की अनूठी पहल की । जिसे उनके करोड़ो समर्थकों द्वारा देशभर में बड़े धूमधाम से स्कूलों, कॉलेजों, घरों, मंदिरों, पूजा स्थलों आदि पर मनाया जाने लगा । धीरे-धीरे इसमें कई हिन्दू संगठन व आम जनता जुड़ती चली गई और आज ये विश्वव्यापी अभियान के रूप में देखने को मिल रहा है ।
 
भारत में ही नहीं अमेरिका, दुबई, केनेडा आदि अनेक देशों में भी 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाने लगा है ।  इस विश्वव्यापी अभियान से लाखों युवावर्ग पतन से बचे हैं एवं उनके जीवन में संयम व सदाचार के पुष्प खिले हैं ।
 
आज हम सभी का कर्तव्य बनता है कि पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण न करके अपनी महान संस्कृति की महानता समझे और दूसरों तक भी अपनी संस्कृति की सुवास पहुचाएं तथा उन्हें भी वैंलेंटाइन डे के दिन ‘मातृ-पितृ दिवस’ मनाने की सलाह दें। जिससे हमारी संस्कृति व युवापीढ़ी सुरक्षित रहें।
 
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