अरबपति ने 200 करोड़ की प्रॉपर्टी दान करके पत्नी के साथ लिया संन्यास

24 April 2024

 

विश्व में एक तरफ पैसा कमाने की होड़ लगी हुई है और जीवन में पैसा ही सबकुछ है , पैसा नही है तो कुछ नही एक तरफ ऐसी विचारधारा चल रही है दूसरी तरफ अपनी अरबों की संपत्ति दान करके संन्यास ले रहे हैं, जैसे राज कुमार ने राजपाट छोड़कर संन्यास लिया और भगवान बुद्ध बन गए, राजा भृतहारी, राजा गोपीचंद जैसे अनेक उदाहरण है जिन्होंने राजपाट धन संपत्ति भोग विलास छोड़कर संन्यास ले लिया और कठोर तपस्या किया और भगवान की प्राप्ति कर लिया फिर समाज में ज्ञान, सुख, शांति बांटकर लाखो करोड़ो लोगो के दिलों में सुख शांति पहुंचाई। इसलिए जीवन में सबकुछ पैसे ही नही शांति और आनंद की अत्यंत आवश्कता है और वो केवल भगवान की भक्ति, ज्ञान से प्राप्त होती हैं।

 

200 करोड़ रुपयों दान करके बने संन्यासी

 

गुजरात के अरबपति व्यापारी और उनकी पत्नी ने अपनी जीवन भर की सारी कमाई (करीबन 200 करोड़ रुपयों) को दान करके जैन संन्यासी बनने का निर्णय लिया है। इस व्यापारी का नाम भावेश भंडारी है। वह गुजरात के हिम्मतनगर के रहने वाले हैं।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भावेश भंडारी का जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। जब उन्होंने कारोबार की दुनिया में कदम रखा तो कंस्ट्रक्शन समेत कई क्षेत्रों में अपनी किस्मत आजमाई। धीरे-धीरे वह भारत के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए। मगर, समय के साथ आगे बढ़ने की इच्छा की जगह उनका मन मोह-माया से उजड़ने लगा। नतीजतन उन्होंने खुद को अपने काम धंधे से दूर कर लिया और फिर जैन दीक्षा लेने का निर्णय लिया।

 

आपको जानकर शायद हैरानी हो कि भावेश भंडारी के साथ न केवल उनकी पत्नी ने संन्यासी होने का जीवन चुना है, बल्कि उनके 2 बच्चे भी उनसे पहले सांसरिक मोह-माया त्यागकर दीक्षा ले चुके हैं। हाल में दोनों पति-पत्नी ने 4 किलोमीटर की शोभा यात्रा भी निकाली थी जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।

 

बता दें कि पूरे परिवार द्वारा भिक्षु बनने का निर्णय लिए जाने के बाद भावेश भंडारी ने अपनी 200 करोड़ रुपए की संपत्ति को दान कर दिया। हालाँकि अभी उन्होंने औपचारिक रूप से दीक्षा नहीं ली है। 22 अप्रैल को संभवत: वह जैन भिक्षु बनने के लिए दीक्षा लेंगे। उसके बाद उन्हें भिक्षुओं जैसा जीवन ही जीना होगा। जैसे अपनी प्रतिज्ञा लेने के बाद उन्हें पारिवारिक रिश्तों से दूर रहना होगा। किसी सांसरिक वस्तु का भोग करने की अनुमति नहीं होगी। वो सिर्फ नंगे पाँव चलेंगे और भिक्षा माँगेंगे। उन्हें सिर्फ सफेद वस्त्र पहनने होंगे, वस्तु के नाम पर एक कटोरा रखना होगा और राज्यारोहण। इसका प्रयोग वह कहीं बैठने से पहले जगह साफ करने के लिए करेंगे।

 

पूर्व में भी कई अरबों पति और राजे महाराजे अपना धन वैभव छोड़कर ईश्वर के रास्ते चले है जिसके कारण उन्होंने वास्तविक सुख, आनंद और शांति पाई है।

 

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