25 April 2024
सोशल मीडिया पर सिख इतिहास के विशेषज्ञ पुनीत साहनी ने एक तस्वीर शेयर की है। उन्होंने बताया कि ये सिखों की खालसा फ़ौज का हथियार है, जिसे चक्कर कहते हैं। ये लगभग 200 वर्ष पुराना है। साथ ही इस पर सोने से एक मंत्र अंकित है, जो गुरु अर्जुन देव द्वारा रचित है। इसे ‘रक्षा मंत्र’ कहा जाता है, अर्थात रक्षा के लिए इसमें प्रार्थना की गई है। ये सहस्कृति भाषा में रचित है, जो संस्कृत का ही एक रूप है। गुरु नानक देव जी ने इसका इस्तेमाल शुरू किया था।
पुनीत साहनी ने बताया कि इस मंत्र में भगवान विष्णु से प्रार्थना की गई है। बता दें कि खालिस्तानी अक्सर हिन्दुओं और सिखों को विभाजित करने में लगे रहते हैं। वो सिख धर्म को सनातन का हिस्सा नहीं मानते और इसे हिन्दू विरोधी बता कर प्रचारित करने में लगे रहते हैं। जबकि सच्चाई ये है कि सिखों के सभी गुरु हिन्दू देवी-देवताओं की उपासना करते थे। गुरु गोविन्द सिंह माँ दुर्गा की पूजा करते थे, उन्होंने रामकथा भी लिखी। उक्त चक्कर पर अंकित मंत्र है:
सिर मस्तक रख्या पारब्रहमं हस्त काया रख्या परमेस्वरह॥
आतम रख्या गोपाल सुआमी धन चरण रख्या जगदीस्वरह॥
सरब रख्या गुर दयालह भै दूख बिनासनह॥
भगति वछल अनाथ नाथे सरणि नानक पुरख अचुतह ॥५२॥
ये मंत्र सिखों की सबसे पवित्र पुस्तक गुरु ग्रन्थ साहिब में लिखा हुआ है। इसका अर्थ है – “सिर, माथा, हाथ, शरीर, जीवात्मा, पैर, धन-पदार्थ -जीवों की हर तरह से रक्षा करने वाला परमब्रह्म परमेश्वर गोपाल, स्वामी, जगदीश्वर, सबसे बड़ा दया का घर परमात्मा ही है। वही सारे दुःखों का नाश करने वाला है। हे नानक! वह प्रभु निआसरों का आसरा है, भक्ति को प्यार करने वाला है। उस अविनाशी सर्व-व्यापक प्रभु का आसरा ले।” बता दें कि गोपाल और जगदीश्वर भगवान श्रीकृष्ण/विष्णु को कहा जाता है।
Extremely RARE & INCREDIBLE find!
Atleast 200 years old weapon of #Khalsa army. A chakkar/quoit.
Engraved in gold are verses by fifth #Sikh Guru Shri Arjan Dev that serve as a #RakshaMantra (protective spell).
Each line of mantra makes multiple invocations to the #Hindu god… pic.twitter.com/O2uTyh5H0V— Puneet Sahani (@puneet_sahani) April 19, 2024
‘विष्णु सहस्रनाम’ में भगवान विष्णु के जो नाम दर्ज हैं, उन्हीं का यहाँ इस्तेमाल किया गया है। इस इतिहास को जानने के बाद लोगों ने लिखा कि खालिस्तानी अपनी जड़ों को नकार तो सकते हैं, उन्हें मिटा नहीं सकते। हालाँकि, पुनीत साहनी का मानना है कि ये सब खालिस्तानी गुरुद्वारों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये बिलकुल उन पाकिस्तानियों की तरह है जिन्हें न सिर्फ अपने इतिहास को नकारना, बल्कि मिटाना भी सिखाया जाता है।
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