क्या भारतीय कानून व्यवस्था में बदलाव तुरन्त और अत्यंत जरूरी है……❓❓

3 July 2022

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🚩झूठे आरोप में कोर्ट के चक्कर में 70 साल के बुजुर्ग ने बीता दी जवानी, 400 तारीखों के बाद बरी।

🚩भारत की न्यायिक व्यवस्था इतनी सड़-गल चुकी है कि एक निर्दोष व्यक्ति को दोषमुक्त साबित करने के लिए कई दशक लग जाते हैं। इस दौरान की आर्थिक, सामाजिक और मानसिक पीड़ा को समझने के लिए भारत की न्याय व्यवस्था के पास कोई उपाय नहीं है।

🚩आज भी हिन्दू संतो और सुप्रसिद्ध हस्तियों पर झूठे केस लगाए जा रहे है,जिस पररोक लगाना अत्यंत जरूरी हैं ।

🚩उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले 70 साल के रामरतन को लगभग तीन दशक तक ऐसी ही पीड़ा से गुजरना पड़ा। न्यायालय ने अपनी कछुआ चाल कारवाही के बाद फैसला सुनाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। इस पर मंथन करने की कभी जरूरत महसूस नहीं की कि आखिर एक सामान्य नागरिक न्याय पाने में तीन दशक क्यों लगे।

🚩बुजुर्ग रामरतन को मुजफ्फरनगर के कोतवाली थाना की पुलिस ने अवैध तमंचा रखने के झूठे आरोप में साल 1996 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। रामरतन करीब 3 माह तक जेल में रहे और उसके बाद जमानत पर बाहर आने के बाद 26 वर्षों तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते रहे।

🚩पुलिस की झूठी कहानी का प्रमाण तब सामने आया जब, इतने वर्षों में भी उसने बरामद तमंचे को साक्ष्य के रूप में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाई। इतना ही नहीं, विवेचना अधिकारी ने कोर्ट में गवाही तक नहीं दि। इसके बाद जिले की सीजेएम मनोज कुमार जाटव की अदालत ने 24 साल बाद फैसला सुनाते हुए सितंबर 2020 में रामरतन को सबूतों के अभाव में आरोपों से बरी कर दिया।

🚩इसके बाद राज्य सरकार की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता ने जिला जज की अदालत में मुकदमे की सुनवाई फिर से शुरू कर ने की याचिका दी। इसके बाद वहाँ मामले की सुनवाई शुरू की गई। करीब दो साल तक चली सुनवाई में दोनों तरफ से दलीलें सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-11 के जज शाकिर हसन ने इस अपील को खारिज कर दिया।

🚩इस तरह पुलिस द्वारा लगाए गए झूठे आरोप के कारण 26 सालों में 400 तारीखों के बाद रामरतन 27 जून 2022 को फिर बरी हो गए। इस अवधि में उन्होंने तमाम तरह की परेशानियाँ झेलीं और अपने जीवन के महत्वपूर्ण 26 साल कोर्ट-कचहरी के चक्कर में गँवा दिए।

🚩दिहाड़ी मजदूर रामरतन का कहना है कि पुलिस ने कट्टा और कारतूस की बरामदगी दिखाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस तरह वे केस के जाल में फँस गए और उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई। इस कारण उनकी दो बेटियाँ पढ़ नहीं पाईं और ना ही अपनी पितृ धर्म का उचित पालन करते हुए उनकी शादी ढंग के घर में पाए।

🚩रामरतन का कहना है कि उनकी पूरी जवानी मुकदमा लड़ने में बीत गई। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखकर फर्जी गिरफ्तारी करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता की भी माँग की है।

🚩बता दे कि ऐसे कई निर्दोषों को फर्जी केस में फंसाकर सालों से जेल में रखा है। ऐसे तो हजारों केस होंगे जहाँ निर्दोष होते हुए भी आरोपियों को निचली अदालत से सजा हुई और ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी किया लेकिन उनको इतने साल प्रताड़ना झेलनी पड़ी, परिवार बिखर गया, उनका परिवार, पैसे, समय व इज्जत गई उसकी भरपाई कौन करेगा❓

🚩आपको बता दें कि आम जनता की तरह हिंदू धर्म के मुख्य साधु-संतों को बदनाम करने के लिए भी झूठे आरोप लगाए जाते हैं जैसे कि सौराष्ट्र (गुजरात) के श्री केशवानन्द स्वामी के ऊपर यौन शोषण का झूठा आरोप थोप कर 12 साल की जेल की सजा करा दी। 7 साल जेल भोगने के बाद ऊपरी कोर्ट से निर्दोष साबित हुए।

🚩ऐसे ही 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू को झूठे आरोप में पॉक्सो लगाकर जेल भेजा गया है, क्योंकि उन्होंने धर्मांतरण विरोध में कार्य किया, देश समाज और संस्कृति की 55 साल तक सेवा की जो राष्ट्र विरोधी ताकतों को सहन नही हुआ और उनके खिलाफ षडयंत्र करके मीडिया में बदनाम करवाया और जेल भिजवाया और 9 साल में एक दिन भी जमानत नही दी गई।

🚩कानून की आड़ में आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी ब्लैकमेल कर झूठे आरोप लगाकर जेल में डलवा देते हैं । फर्जी केस करने वालों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए, निर्दोष को मुआवजा मिलना चाहिए और कानूनों में संशोधन होना चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

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