केमिकलों के रंगों से होली से घातक परिणाम और प्राकृतिक रंगों से होली से स्वास्थ्य लाभ, इसलिए प्राकृतिक रंगों से ही होली खेले

12 मार्च 2022

प्राकृतिक रंगों से होली खेले बिना जो लोग ग्रीष्म ऋतु बिताते हैं,उन्हें चिड़चिड़ापन, खिन्नता,डिप्रेशन,तनाव,अनिद्रा इत्यादि रोग आ घेरते हैं।

 

सूखे केमिकलों के रंगों से होली खेलने से स्किन एलर्जी,चमड़ी के रोग,आँखों में जलन, कैंसर, गुर्दे की बीमारी,दमा आदि रोग होते है।
प्राकृतिक रंग-पलाश के फूलों का रंग बनाकर होली खेलने से ऐसी भयंकर बीमारियों से रक्षा तो होती ही साथ ही स्वास्थ्य में भी व्रद्धि होती है।
इसलिए सभी भाई-बहनों  को स्वस्थ रहने के और रोगों से बचने के लिये प्राकृतिक रंगों से पलाश के फूलों के बने रंग से होली खेलना चाहिए।
आइए हम सभी स्वास्थ्य वर्धक  प्राकृतिक रंग बनाने की सरल विधियाँ जाने👇🏻
केसरिया रंगः पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है। पलाश के फूलों को रात को पानी में भिगो दें। सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें। यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढ़िया है। शास्त्रों में भी पलाश के फूलों से होली खेलने का वर्णन आता है। इसमें औषधिय गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, मूत्रकृच्छ, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। रक्तसंचार को नियमित व मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ ही यह मानसिक शक्ति तथा इच्छाशक्ति में भी वृद्धि करता है।
सूखा हरा रंगः मेंहदी या हिना का पाउडर तथा गेहूँ या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनायें। आँवला चूर्ण व मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है।
सूखा पीला रंगः हल्दी व बेसन मिला के अथवा अमलतास व गेंदे के फूलों को छाया में सुखाकर पीस के पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं।
गीला पीला रंगः एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पड़ने वाले रंग जो खाने के काम आते हैं, उनका भी उपयोग कर सकते हैं। अमलतास या गेंदे के फूलों को रात को पानी भिगोकर रखें, सुबह उबालें।
लाल रंगः लाल चंदन (रक्त चंदन) पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है। दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलायें।
पीला गुलाल : (१) ४ चम्मच बेसन में २ चम्मच हल्दी चूर्ण मिलायें। (२) अमलतास या गेंदा के फूलों के चूर्ण के साथ कोई भी आटा या मुलतानी मिट्टी मिला लें।
पीला रंग : (१) २ चम्मच हल्दी चूर्ण २ लीटर पानी में उबालें  (२) अमलतास, गेंदा के फूलों को रातभर भिगोकर उबाल लें।
जामुनी रंग : चुकंदर उबालकर पीस के पानी में मिला लें।
काला रंग : आँवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रातभर भिगोयें।
लाल रंग : (१) आधे कप पानी में दो चम्मच हल्दी चूर्ण व चुटकीभर चुना मिलाकर १० लीटर पानी में डाल दे | (२) २ चम्मच लाल चंदन चूर्ण १ लीटर पानी में उबाले।
लाल गुलाल : सूखे लाल गुडहल के फूलों का चूर्ण उपयोग करें।
 हरा रंग : (१) पालक, धनिया या पुदीने की पत्तियों के पेस्ट को पानी भिगोकर उपयोग करें।
हरा गुलाल : गुलमोहर अथवा रातरानी की पत्तियों को सुखाकर पीस लें।
भूरा हरा गुलाल : मेहँदी चूर्ण के साथ आँवला चूर्ण मिला लें।
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