अर्णब गिरफ्तारी मामला : क्या अंग्रेजों व मुग़लों का सपना साकार हो रहा है?

05 नवंबर 2020

 
रिपब्लिक भारत चैनल के चीफ एडीटर अर्णब गौस्वामी की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थन में कई लोग सड़कों पर आ गए। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी गिरफ्तारी की निंदा की और ज़ी न्यूज़ के पत्रकार सुधीर चौधरी भी उनके समर्थन में आये सभी का एक ही कहना है कि अर्नब गौस्वामी के पालघर के साधुओं की हत्या, सुशांत सिंह राजपूत की हत्या आदि हिंदुत्व के मुद्दे उठाने पर पुराने केस का आधार बनाकर बदले की भावना से महाराष्ट्र सरकार कार्यवाही कर रही है।
 

 

 
आपने महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई आदि का इतिहास पढ़ा होगा उसमें अंग्रेज और मुग़ल हिंदुओं को आपस मे कैसे भिड़ाते हैं। उस समय हिंदू आपस में नहीं बंटते तो मुगल और अंग्रेज भारत में राज कर ही नहीं सकते थे। कुछ सत्ता लोलुप हिंदू मुग़लो और अंग्रेजो के हाथ बिक जाते थे जिसके कारण देशभक्त हिंदू हार जाते थे। आज भी वही स्थिति है।
 
महाराष्ट्र में शिवसेना के मुख्यमंत्री है और कार्यवाही की जा रही है हिंदुत्व के मुद्दे उठाने वाले पत्रकार अर्णब गौस्वामी की। इसके मूल में जायेगे तो पता चलेगा कि इसके पीछे हाथ होगा राष्ट्र विरोधी ताकतों का क्योंकि उनको भारत में अपना राज कायम करना है, इसलिए वे लोग “फुट डालो और राज करो” का रूल्स अपना रहे हैं जिसके कारण हम लड़ते रहे और उनकी सत्ता कायम बनी रहे।
 
केवल एक अर्नब की ही बात नही है, चलो अर्णब पहले हिंदू विरोधी थे वे भी सब जानते ही है लेकिन अब हिंदू जागरूक हुए तो वे हिंदुओं के मुद्दे उठाने लगे उसके लिए उनको धन्यवाद है लेकिन सुदर्शन न्यूज़ के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके करीब 15 साल से सतत हिंदुओं के लिए आवाज उठा रहे है। उनको लव जिहाद का मुद्दा लेकर 1 नवम्बर को दिल्ली में धरना देने पर गिरफ्तार कर लिया पर उनके समर्थन में कोई आया नहीं और न ही कोई बड़े नेताओँ ने निंदा की ।
 
यह तो पत्रकारों की बात हो गई लेकिन 50 वर्ष से समाज, हिंदू संस्कृति व राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य करने व धर्मान्तरण की कमर तोड़ने वाले, लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाने वाले, राहुल गांधी का पप्पू नाम रखने वाले ओर सोनिया मेडम भारत छोड़ो का नारा देने वाले, 14 फ़रवरी को वेलेंटाइन डे को खत्म करके मातृ-पितृ पूजन लाने वाले, करोड़ों लोगों को व्यभिचार और व्यसनों को छुड़ाकर विदेशी कम्पनियों को अरबो-खबरों का घाटा करवाने वाले और विदेशो में भारतीय संस्कृति का परचम लहराने वाले और करोड़ो हिंदुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक करने वाले 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू पर झूठे केस लगाकर आधी रात को जब गिरफ्तार किया जाता है तब पूरी मीडिया उनके खिलाफ हल्ला बोलती है केवल सुदर्शन न्यूज़ को छोड़कर क्योंकि उन सभी चैनलों को विदर्शों से भारी फंडिग मिलती है तब बापू आशारामजी के पक्ष में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, श्री अशोक सिंघल जैसे कुछ नेता आये बाकी सब चुपचाप बैठ गए इससे राष्ट्र विरोधी ताकतों को बल मिल गया ओर धर्मांतरण वालो की फिर से दुकानें चालू हो गई, विदेशी कंपनियों का घाटा अब नहीं होने लगा फिर से वे अपना साम्राज्य बढ़ाने लगी क्योंकि मिशनरी चाहती है की जितना ज्यादा धर्मांतरण होगा उतना ही उनकी वोटबैंक बढ़ेगी ओर विदेशी कंपनियों को भी भारत मे काफी मुनाफ़ा होगा इन सबको भोले भारतवासी नहीं समझने के कारण हिंदू संत आशारामजी बापू को मीडिया की झूठी खबरे देखकर उनको गलत बोलने लगे जबकि वास्तविकता कोई जानने के प्रयास नहीं किया।
 
शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, डीजी वंजारा, स्वामी असीमानंद आदि आदि सभी एक एक करके निशाने पर लिया गया और सालो भर जेल में भेजा गया लेकिन उनके समर्थन में हिंदू नहीं आये।
 
हमारा कहने का तात्पर्य इतना है कि राष्ट्र विरोधी ताकते हमारे हिंदू योद्धाओं को एक एक करके खत्म कर रहे है उनका मुख्य उद्देश्य यही है कि भारत मे उनका साम्राज्य स्थापना करना है उसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते है पैसे फेक कर मीडिया में बदनामी कवाएग, जेल में ठूस देंगे, हत्या करवा देंगे इसलिए अभी भी समय है किसी भी हिंदुनिष्ठ पर षडयंत्र तरह अत्याचार किया जाए तो सभी को एकजुट होकर उसका विरोध करना चाहिए तभी अपना देश व अस्तित्व बचा पाएंगे।
 
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