श्रीकृष्ण के मंदिर में पाकिस्तान ने गिराए थे 156 बम, कर न सकें बाल भी बांका।

06 सितंबर 2020

 
भारत का गौरवशाली इतिहास तो हमें पढ़ाया ही नहीं जाता है बस केवल मुग़लों और अंग्रेजों के इतिहास पढ़ाकर भारतवासियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है। गलत इतिहास पढ़ाने के कारण आज आईपीएस और आईएएस जैसे बुद्धिमान अधिकारी भी उसको ही सच मानने लगते हैं पर भारत का गौरवशाली इतिहास भूल गए। हमारा भारत सोने की चिड़िया था, आज के वैज्ञानिक जो खोज कर रहे हैं वो हमारे ऋषि मुनि पहले से ही कर चुके हैं।
 

 

 
भारत के राजा विक्रमादित्य का राज अरब देश तक फैला था और उसके पहले भी ऐसे कई राजा थे जिनका पूरी दुनिया में राज था, उनको एकछत्र सम्राट बोलते थे और सनातन धर्म जब से सृष्टि का उद्गम हुआ तब से है यह सब बाते हमें नही पढ़ाई जा रही हैं जिसके कारण हम लोग वास्तविक इतिहास नहीं जानते हैं जिसके कारण अंग्रेजों और मुग़लो को महान समझने लगते हैं।
 
एक आपको ऐसा इतिहास बता रहे हैं जिसमे पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकल गई थी।
 
आपको बता दें कि पश्चिम भारत के महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और चार धामों में से एक द्वारकाधीश (गुजरात) मंदिर पर 7 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान की नेवी ने जमकर बम बरसाए थे। मंदिर पर 156 बम फेंके गए थे, लेकिन फिर भी ये बम मंदिर का बाल-बांका न कर सकें। मंदिर पर 156 बम फेंके जाने की बात खुद पाकिस्तान के रेडियो में प्रसारित की गई थी। रेडियो में पाक नेवी के सैनिकों ने हर्षोल्लास के साथ कहा था… ‘मिशन द्वारका कामयाब, हमने द्वारका का नाश कर दिया। हमने कुछ ही मिनटों के अंदर मंदिर पर 156 बम फेंक कर मंदिर को तबाह कर दिया’। हालांकि यह पाक नैवी की गलतफहमी मात्र थी। दरअसल, जब नैवी ने सब-मरीन से मंदिर पर बम बरसाने शुरू किए, उस समय भगवान श्री कृष्ण की कृपा से समुद्र किनारे विशाल पत्थरों की ओट थी। हमले के समय ओट और ऊंची हो चुकी थी, जिसके चलते बम मंदिर तक पहुंच ही नहीं सकें और पानी में डिफ्यूज हो गए थे।
 
बंटवारे के बाद सन् 1965 में भारत-पाक के बीच हुआ यह दूसरा युद्ध था। इस जंग में पाकिस्तान ने तीनों मोर्चों पर जंग लड़ी थी, जिसमें तीनों जगह उसे मुंह की खानी पड़ी थी। द्वारका मंदिर पर हमला कमोडोर एस एम अनवर के नेतृत्व में पाकिस्तानी नेवी के एक बेड़े ने किया था।
 
इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय एयरबेस पर घुसपैठ और इन्हें तबाह करने के लिए कई गोपनीय ऑपरेशन भी चलाए थे। 7 सितंबर 1965 को स्पेशल सर्विसेज ग्रुप के कमांडो पैराशूट के जरिए भारतीय इलाकों में भी घुस आए थे। पाकिस्तानी आर्मी के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मुहम्मद मुसा के मुताबिक करीब 135 कमांडो भारत के तीन एयरबेस (हलवारा, पठानकोट और आदमपुर) पर उतारे गए। हालांकि पाकिस्तानी सेना को इस दुस्साहस की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी और उसके केवल 22 कमांडो ही अपने देश लौट सके थे। 93 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया। इनमें एक ऑपरेशन के कमांडर मेजर खालिद बट्ट भी शामिल थे।
 
ऐसे कई मंदिरों का इतिहास था कि मुगल नष्ट नहीं कर सकें थे और मुग़लो व अंग्रेजो ने भारत को 2000 साल तक गुलाम रखा, मार काट की, धर्मपरिवर्तन करवाया, बंटवारा करवाया, संपत्ति लूटकर ले गए फिर भी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा सुख शांति भारत में है और आज भी सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति जगमगा रही है यही असली भारत की पहचान है।
 
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