17 नवंबर 2021
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🚩आज पंजाब नेशनल बैंक देश के प्रमुख बैंकों में से एक है। PNB की स्थापना प्रसिद्ध आर्यसमाजी नेता एवं शेरे-पंजाब लाला लाजपतराय द्वारा 19 अप्रैल 1895 को लाहौर के प्रसिद्ध अनारकली बाजार में हुई थी। इस बैंक की स्थापना करने वालों में लाला हरकिशन लाल (पंजाब के प्रथम उद्योगपति), दयाल सिंह मजीठिया (ट्रिब्यून अख़बार के संस्थापक), लाला लालचंद (DAV कॉलेज के संस्थापक), राय मूल राज (लाहौर आर्यसमाज के प्रधान), पारसी महोदय जेस्सावाला (प्रसिद्ध व्यापारी), बाबू काली प्रसन्न रॉय (प्रसिद्ध वकील एवं कांग्रेस नेता)आदि थे। उस काल में केवल अंग्रेजों द्वारा संचालित बैंक ही देश में थे। अंग्रेज सरकार बहुत कम ब्याज दर पर देशवासियों का रुपया बैंक में रखती थी और बहुत अधिक ब्याज दर पर ऋण देती थी। देश के संसाधनों के ऐसे दुरुपयोग को देखकर राय बहादुर मूलराज ने लाला लाजपतराय को स्वदेशी बैंक की स्थापना करने की सलाह दी थी। स्वामी दयानन्द के समाज सुधार आंदोलन का एक पृष्ठ PNB की स्थापना को कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि इसकी स्थापना करने वाले अधिकतर लोग आर्यसमाजी थे अथवा राष्ट्रवादी। इसलिए PNB ने अंग्रेज सरकार से किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं लिया। उस समय 2 लाख रुपये की धनराशि से बैंक को आरम्भ किया गया था। PNB देश का ऐसा एकमात्र स्वदेशी बैंक है जो आज भी कार्यरत है। तत्कालीन सभी स्वदेशी बैंक या तो बंद हो चुके हैं अथवा अधिकृत हो चुके हैं।
🚩PNB की स्थापना लाला लाजपतराय ने सामाजिक उत्थान एवं राष्ट्रप्रेम की भावना के चलते की थी। उस काल में निर्धन भारतीय साहूकारों से ऋण लिया करते थे। अशिक्षित किसानों से मनचाही बहियों पर अंगूठा लगवाकर साहूकार मनमाना ब्याज वसूलते थे। अकाल, बाढ़ आदि आ जाते तो किसान पूरा जीवन उस ऋण से कभी मुक्त न होता, न ही अंग्रेजों की कोर्ट कचहरी से न्याय प्राप्त कर पाता। अधिकतर साहूकार अंग्रेजों के पिट्ठू थे। इसलिए उनका कुछ नहीं बिगड़ता था। अंग्रेजों द्वारा स्थापित बैंक केवल प्रभावशाली लोगों को ऋण देते थे। गरीब भारतीयों की वहां तक कोई पहुँच नहीं थी। लालाजी ने जब इस शोषण और अत्याचार को देखा तो इसका व्यवहारिक समाधान निकालने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने राष्ट्रवादी मित्रों के साथ मिलकर PNB की स्थापना की। इसका उद्देश्य गरीबों को साहूकार और अंग्रेज- दोनों के अत्याचारों से मुक्त करवाना था। लालाजी का प्रयोग अत्यंत सफल रहा। शीघ्र ही पूरे पंजाब में PNB की शाखाएं फैल गईं। इससे गरीबों को कर्ज के जाल से मुक्ति मिली। लालाजी का संकल्प पूरा हुआ।
समाज सुधार के इस सफल उदाहरण को न किसी इतिहास की पुस्तक में, न ही किसी अर्थशास्त्र की पुस्तक में पढ़ाया जाता है। इसके दो कारण हैं।
पहला तो वोट बैंक की राजनीति। इस सुधारवादी कदम का बखान करने से वोट नहीं मिलते।
दूसरा कारण- कम्युनिस्ट मानसिकता वाले साम्यवादी लेखक हैं। वे गरीबों के हक, शोषण की बात तो करते हैं परन्तु उसका समाधान कभी नहीं करते। वे केवल अपने राजनीतिक हितों को साधने में लगे रहते हैं। आजतक साम्यवादियों ने ऐसा कोई सामाजिक सुधार किया हो तो बतायें।
🚩जिस PNB बैंक की स्थापना का उद्देश्य समाज सुधार था उस बैंक में आज महाघोटाले होते हैं- यह खेद का विषय है।
फिर भी इतिहास में PNB की स्थापना सामाजिक उत्थान की एक प्रेरणादायी घटना है। लाला लाजपतराय को उनके इस महान पुरुषार्थ के लिए नमन।
– डॉ. विवेक आर्य
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