21 मई 2019
निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है ।
न्यायाधीश निवेदिता शर्मा ने बताया कि पुरूषों के खिलाफ रेप के झूठे मामलों से बचाने के लिए ऐसे कानून बनाये जाएं, जो उन्हें बचा सके ।
रेप केस ओर 20 लाख मांगने पर आत्महत्या-
नाहन बाल्मीकि बस्ती निवासी 32 वर्षीय योगेश राजगढ़ न्यायालय से एक महीना पहले ट्रांसफर होकर शिलाई के जेएमआईसी कोर्ट में तैनात हुआ था।बीते 11 मई को अचानक योगेश ने अपने घर पर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी।
13 मई को मृतक योगेश की पत्नी किरण जब घर में बिस्तर झाड़ रही थी तो उसे चादर के नीचे योगेश के हाथ से लिखा सुसाइड नोट मिला।
मृतक की पत्नी कुछ सुसाइड नोट को लेकर कच्चा टैंक पुलिस चौकी पहुंच गई। सुसाइड नोट को पढ़ने के बाद पुलिस भी सकते में आ गई। क्योंकि सुसाइड नोट में राजगढ़ की कथित महिला के द्वारा झूठे रेप केस में फंसाने की एवज में 20 लाख रुपए की मांग की गई थी।
मृतक के द्वारा महिला के साथ साथ राजगढ़ के ही दो व्यक्ति के नाम भी शामिल किए हैं।पुलिस ने सुसाइड को आधार मानते हुए उसकी पत्नी की ओर से अंतर्गत धारा 306 तथा 34 भारतीय दंड संहिता के तहत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है ।
रेप का झूठा केस दर्ज कराया, दो महिलाओं को 7-7 साल की सजा-
राजगढ़ (अलवर).रैणी थाना क्षेत्र के परवैणी गांव की दो महिलाओं को ज्यादती की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने पर कोर्ट ने 7-7 वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी है। दोनों महिलाओं को आईपीसी की धारा 211 में दोषी मानते हुए 50-50 हजार रु. का अर्थदंड भी लगाया गया है।
परवैणी की सीता देवीबैरवा ने गांव के ही शिवदयाल बैरवा तथा अंजू देवी बैरवा ने जगदीश बैरवा के खिलाफ दुष्कर्म करने के अलग-अलग मामले 5 जनवरी 2015 को दर्ज कराए थे। पुलिस ने दोनों के मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान कराए। इन महिलाओं ने बयान में कहा कि आरोपियों ने दुष्कर्म नहीं किया, रंजिश के कारण झूठे केस दर्ज कराए हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सीमा जुनेजा ने दोनों महिलाओं को यह सजा सुनाई।
फर्जी रेप केस करके लाखों रुपये ऐठने का धंधा-
जयपुर : ग्राम पुरुषोत्तम पुरा निवासी कृष्ण गुर्जर ने रिपोर्ट में बताया कि वह निजी अस्पताल के बाहर चाय की थड़ी संचालित करता है। वहां नारनौल निवासी तेजादेवी बावरिया आई। उसने उसके साथ मेलजोल बढ़ा लिया। वह उससे मोबाइल फोन पर बात करने लग गई। इसके बाद तेजादेवी व महिला वकील ज्योति शर्मा व एक अन्य महिला उसके पास आई और उसे बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी।
इन्होंने इस मामले में राजीनामे के लिए 6 लाख रुपए की मांग की। उसे लगातार उसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकियां मिलने पर उसने परिजनों व रिश्तेदारों से व्यवस्था करके एक लाख 80 हजार रुपए महिला वकील को दे दिए। इसके बाद आरोपियों ने एक शपथ पत्र नोटेरी से तस्दीक करवा कर उसे दे दिया जिसमें महिला ने स्वीकार किया कि उसके साथ बलात्कार नहीं किया गया है। आरोपियों ने उससे कहा कि यदि इस मामले में कोई शिकायत थाने में की तो उसे दूसरे झूठे मामले में फंसा देंगे।
गौरतलब है इससे पहलेे सुनील कुमार स्वामी ने नाथी देवी उसके पति हिम्मत, वकील ज्योति शर्मा व राजेन्द्र गुर्जर के खिलाफ बलात्कार के झूठे मामलें में फंसाने की देकर धमकी देने व राजीनामा के लिए रुपए देने का दबाव बना उनसे 5 लाख 50 हजार रुपए ऐंठ लिए थे। इसके बाद दूसरे मामले में सुरेश सिंह उसके साथी से भी आरोपियों ने 7.5 लाख हड़प लिए थे।
उम्रकैद की सजा से 2 भाई बरी, लेकिन जेल में गुजरे 10 साल-
फरीदाबाद जिले में एक नाबालिग लड़की पास के ही एक लड़के से प्रेम करती थी, और उसे प्रेम पत्र भी लिखे थे । ये पत्र उसके चाचाओं के हाथ लग गए और उन्होंने लड़की को समझाया और जब वो नहीं मानी तो थप्पड़ जड़ दिए । इससे तिलमिलाई लड़की ने 22 अगस्त 2001 को दोनों चाचाओं जय सिंह और शाम सिंह पर रेप का आरोप लगाया ।
पंचायत में दोनों ने लड़की को थप्पड़ मारने का बयान देते हुए हाथ उठाने की बात स्वीकार कर ली जिसके लिए उन्होंने लिखित में माफी भी मांगी, लेकिन पंचायत से नाखुश लड़की ने पुलिस को रेप की कहानी सुनाई और चाचाओं को जेल भिजवा दिया । हालांकि मेडिकल जांच में ना तो रेप की पुष्टि हुई ना ही कपड़ों पर या कहीं भी कोई ऐसा निशान या सबूत मिला जिससे रेप की तस्दीक हो सके ।
ट्रायल कोर्ट ने सुनाई सजा-
जिसके बाद मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने शुरुआती जांच में आरोपों और बचाव पक्ष की ओर से पेश सबूतों को बिल्कुल अलग-अलग माना, अर्थात आरोपों की पुष्टि नहीं होने पर आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन फिर से ट्रायल की जरूरत बताई।
ट्रायल कोर्ट ने फिर से मामला सुना और दोनों आरोपी भाइयों को दोषी मानते हुए जून 2011 में उम्रकैद की सजा सुनाई। फैसले के खिलाफ आरोपी भाइयों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की तो वहां भी निराशा हाथ लगी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत की सजा बरकरार रखी।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील हुई, लेकिन तब तक जय सिंह को जेल में 10 साल और शाम सिंह को 7 साल हो चुके थे । सुप्रीम कोर्ट का फैसला लिखने वाले जस्टिस एम शांतानागोदार ने साफ लिखा है कि अभियोजन की सारी दलीलें और सबूत फिसड्डी और कृत्रिम है क्योंकि ना तो मेडिकल रिपोर्ट से कोई पुष्टि हुई और ना ही बयानों में मेल दिखा। ऐसे में बेंच इस नतीजे पर पहुंची कि अभियोजन ने आरोपियों को जबरन फंसाने के लिए मनगढ़ंत और संदेह के आधार पर कहानियां गढ़ीं।
आपने देखा लड़कियां पैसे ऐंठने या बदला लेने की भवनाओं से कैसे झूठे रेप केस लगा देती हैं ऐसे कई अंतराष्ट्रीय गिरोह काम कर रहे हैं जो राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है ।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावनाओं से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है । इसको रोकने के लिए कानून में संशोधन करना अत्यंत जरूरी है ।
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