24 जुलाई 2019
भारत की संस्कृति इतनी महान है कि यदि कोई भी मनुष्य उसे समझकर थोड़ा भी उस रास्ते पर चले तो लाखों-करोड़ों लोगों को सुखी-स्वस्थ्य और सम्मानित कर सकता और भगवान को भी प्रकट कर सकता है । अरे नई सृष्टि तक बना सकता है, ये है इस संस्कृति की अलौकिक महानता पर उसको समझने वाले बहुत कम लोग हैं, अगर हैं तो उस मार्ग पर कम लोग चल पाते हैं ।
अमेरिकी लेखक डॉ. डेविड फ्रॉली कहते हैं : हिंदुत्व बहुत पावरफुल कल्चर है, ‘‘भारत को अपने लक्ष्य तक पहुँचना है और वह लक्ष्य है अपनी आध्यात्मिक संस्कृति का पुनरुद्धार । इसमें न केवल भारत का अपितु मानवता का कल्याण निहित है । यह तभी सम्भव है जब भारत के बुद्धिजीवी आधुनिकता का मोह त्यागकर अपने हिन्दू धर्म और अध्यात्म की कटु आलोचना से विरत होंगे ।
आपको बता दें कि हिंदू धर्म से प्रभावित होकर अमेरिका के इंडियाना से आए अमेरिकी नागरिक सेथ डे हिंग्गीकरन को भारतीय नागरिकता मिल गई है। सचिवालय स्थित गृह विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को उन्हें यह नागरिकता प्रदान की। अमेरिकी नागरिक सेथ डे हिंग्गीकरन 17 साल पहले हिंदू धर्म को समझने के लिए तीन सप्ताह के लिए भारत आए थे, लेकिन हिंदू धर्म से इतने प्रभावित हुए कि यहीं के होकर रह गए।
भारतीय धर्म ग्रंथ को बताया अद्भुत-
हिंग्गीकरन शुरुआत में तमिलनाडु में रहे, लेकिन गत दो वर्षों से वे जयपुर में रह रहे हैं । गृह विभाग से नागरिकता प्रमाण पत्र लेने के बाद अमेरिकी नागरिक ने सेथ डे हिंग्गीकरन कहा कि वे बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय धर्म ग्रंथ अद्भूत है। उन्हें समझने एवं पढ़ने में आनंद की प्राप्ति है। अमेरिकी नागरिक सेथ डे हिंग्गीकरन हिंदू धर्म से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य धारण कर लिया।
तमिलनाडू में योग और साधना सीखना शुरू किया था ।
सेथ डे पेशे से सीए थे। भारत आने से पहले वे नामी कंपनियों में काम कर चुके हैं । उनकी वार्षिक आय लाखों में थी । 2002 में भारत आने के बाद उन्होंने तमिलनाडू में योग और साधना सीखना शुरू किया था। बाद में इसमें इतने रम गए कि उन्होंने भारतीय नागरिकता लेने के लिए आवेदन कर दिया। भारत से पैसा कमाने के लिए विदेशों में जाने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है, लेकिन सेथ डे जैसे लोग भी हैं जो योग और साधना से प्रभावित होकर पैसा छोड़कर भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए ललायित हैं।
स्त्रोत : न्युज18
स्त्रोत : न्युज18
प्रो. ब्राइन के अनुसार अमेरिकी विवि में रिलीजियस स्टडीज में हिंदुत्व के बारे में सबसे पहले हिंदुत्व का इतिहास पढ़ाया जाता है । हिंदू दर्शन को समझा सकने वाले वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण, महाभारत सहित अन्य रचनाएं पाठ्क्रम में शामिल हैं । इसके अलावा स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर जैसी शख्सियतें भी पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं । प्रोफेसर ने स्पष्ट किया कि हिंदुत्व के बारे में जो भी पढ़ाया जाता है, वह प्रमाणों और तथ्यों पर आधारित होता है। इसके लिए शोध भी किया जाता है।
प्रो. ब्राइन का मानना है कि सकारात्मक आस्था के मामले में हिंदू धर्म सभी धर्मों में श्रेष्ठ है। उन्होंने कहा, इसका उदाहरण गंगा नदी के रूप में देखा सकता है। गंगा को माता का दर्जा दिया गया है, लेकिन उसका जल सभी के लिए बराबर है। #हिंदुत्व में मानव सभ्यता के उच्चतम आदर्शों व मूल्यों का समावेश है और प्रकृति पूजा इसके मूल में है ।
हिन्दू धर्म की महिमा अमेरिका के प्रोफेसर व लोग भी समझ रहे हैं तो भारत के हिन्दू कब समझेंगे ? गीता पढ़कर हिन्दू धर्म की महत्ता विदेशों के लोग समझ गये तो भारत में हिन्दू गीता, उपनिषद आदि हिन्दू धर्मग्रंथों को क्यों नही पढ़ रहे हैं? हिंदुओं ने अपने धर्म की उपेक्षा करने लगे है और पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे हैं इसलिए आज हिंदुत्व पर प्रहार होने लगा है और विदेशी ताकतें हिन्दुओं का #धर्मान्तरण करवा रहे हैं ।
यदि अभी भी हिन्दू नहीं जागा और अपने धर्म की महिमा समझकर लौटा नहीं तो आगे जाकर बहुत भुगतना पड़ेगा। अतः हिन्दू धर्म की महिमा समझकर उस अनुसार आचरण करें और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें और पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण छोड़ें।
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