मातृ-पितृ पूजन दिवस की आवश्यकता क्यों पड़ी और उसका उद्देश्य क्या हैं ?

07 February 2024

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फरवरी 14 को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ विश्वव्यापी हो चुका है और सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाये जानेवाला पर्व बन गया है। इस पर्व को 2006 में हिंदू संत आशाराम बापू ने शुरू किया था, अब इस पर्व को सर्जित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी तथा इसको मनाने से क्या लाभ होते हैं यह खुद बापू आशारामजी ने बताया है आप भी जान लिजिए….

 

उन्होने कहा कि…

प्रेमी-प्रेमिका ‘आई लव यू, आई लव यू…’ करके काम-विकार में गिरते हैं, थोड़ी देर के बाद ठुस्स हो जाते हैं । मैंने इससे लाखों- लाखों बच्चों की जिंदगी तबाह होते हुए सुनी है ।

28 विकसित देशों में ‘आई लव यू व वेलेंटाइन डे’ के चक्कर में हर वर्ष 13 से 19 साल की 12 लाख 50 हजार कन्याएँ स्कूल जाते-जाते गर्भवती हो जाती हैं । जिनमें से 5 लाख कन्याएँ तो चुपचाप गर्भपात करा लेती हैं और जो नहीं करा पाती हैं ऐसी 7 लाख 50 हजार कन्याएँ कुँवारी माँ बनकर नर्सिंग होम, सरकार व माँ बाप के लिए बोझा बन जाती हैं अथवा वेश्यावृत्ति धारण कर लेती हैं ।

 

अमेरिका और अन्य विकसित देशों के करोड़ों रुपये वेलेंटाइन डे में तबाह हुए ऐसे लड़के लड़कियों की जिंदगी बचाने में खर्च होते हैं । ऐसा काहे को करना !

 

लेकिन विदेशियों ने फैशन चला दिया: ‘आई लव यू, आई लव यू…’ बड़ी बेशर्माई है । बच्चे माँ-बाप को पूछें ही नहीं, लोफर-लोफरियाँ बन जायें । वे खुद बरबाद हो जायें तो माँ-बाप की क्या सेवा करेंगे ?

 

इसमें सबका भला है

 

कुछ मनुष्य तो अक्लवाले होते हैं और कुछ अक्ल खो के प्रेमिकाओं के पीछे, प्रेमियों के दिवस : 14 फरवरी पीछे तबाह होते हैं, उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है ।

 

सुंदरी सुंदरे जितने कामी होते हैं उतनी ही उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है । ऐसे कामी सँभल जायें तो अच्छा है, नहीं तो फिर ऐसे लोग मरने के बाद पतंगे होते हैं । पतंगे दीये में जलते हैं। एक जल रहा है यह दूसरों को दिख रहा है फिर भी दे धड़ाधड़… और जल मरते हैं ।

 

वेलेंटाइन डे’ वाले तो अपनी ईसाइयत का प्रचार करते हैं परंतु लोगों की जिंदगी तबाह होती है । फिर मैं भगवान का ध्यान करके भगवान में डूब गया, एकाकार हो गया और उपाय खोजा । उपाय मिल गया – गणपति और कार्तिकेय स्वामी की चर्चा का प्रसंग । उसे मैंने अच्छी तरह समझ लिया । मैंने सत्संग में बोला कि ‘माँ की प्रदक्षिणा करने से सारे तीर्थों का फल होता है और पिता का आदर व प्रदक्षिणा करने से सब देवों की पूजा का फल मिलता है ।

सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता ।

 

इसका प्रचार करेंगे तो बच्चे-बच्चियों का, माँ-बाप का सबका भला हो जायेगा ।’ मैं भी आशाओं का राम हूँ, आशाओं का गुलाम नहीं हूँ । मैं जब चाहूँ मेरा प्यारा मेरे लिए ज्ञान के दरवाजे खोल देता है ।

 

मैंने इस विषय पर सत्संग चालू किये फिर घोषणा कर दी: ‘वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ ।’

 

फिर मैंने यह भी बता दिया कि ‘हम ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, सिख तथा और भी जो जाति-धर्म-पंथ हैं सभी का भला चाहते हैं । हम किसी का बुरा नहीं चाहते हैं । बच्चे-बच्चियाँ तबाह न हों, इसलिए 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन दिवस चालू किया है।’ अब तो यह विश्वव्यापी हो गया है ।

 

आप सभी को  वेलेंटाइन डे नही बल्कि माता पिता की पूजा करके मातृ पितृ पूजन दिवस मनाना चाहिए।

 

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