आशाराम बापू कौन हैं, और वे कैसे बने संत ? एवं उनकी संस्था क्या कार्य करती है ? जानिए

10  Apirl 2023

 

🚩बापू आशारामजी के बचपन का नाम आसुमल था । उनका जन्म अखंड भारत के सिंध प्रांत के बेराणी गाँव में चैत्र कृष्ण षष्ठी विक्रम संवत् 1994 के दिन हुआ था। उनकी माता महँगीबा व पिताजी थाऊमल नगरसेठ थे ।

 

🚩बालक आसुमल को देखते ही उनके कुलगुरु ने भविष्यवाणी की थी, “आगे चलकर यह बालक एक महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा।”

 

🚩बापू आशारामजी का बाल्यकाल संघर्षों की एक लंबी कहानी है । 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण अथाह सम्पत्ति को छोड़कर बालक आसुमल का परिवार गुजरात, अहमदाबाद शहर में आ बसा । उनके पिताजी द्वारा लकड़ी और कोयले का व्यवसाय आरम्भ करने से आर्थिक परिस्थिति में सुधार होने लगा । तत्पश्चात् उनका शक्कर का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया।

🚩माता-पिता के अतिरिक्त बालक आसुमल के परिवार में एक बड़े भाई तथा दो छोटी बहनें थीं ।

 

🚩बालक आसुमल को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी। प्रतिदिन सुबह 4 बजे उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था।

 

🚩दस वर्ष की नन्हीं आयु में बालक आसुमल के पिताजी थाऊमलजी देहत्याग कर स्वधाम चले गये।

 

🚩पिता के देहत्यागोपरांत आसुमल को पढ़ाई (तीसरी कक्षा) छोड़कर छोटी-सी उम्र में ही कुटुम्ब को सहारा देने के लिये सिद्धपुर में एक परिजन के यहाँ नौकरी करनी पड़ी । 3 साल तक नौकरी के साथ-साथ साधना में भी प्रगति करते रहे । 3 साल बाद वे वापिस अहमदाबाद आ गए और भाई के साथ शक्कर की दुकान पर बैठने लगे ,वे शक्कर होलसेल में बेचने लगे और उनको शक्कर के व्यवसाय में करोड़ों का लाभ होने लगा ।

 

🚩लेकिन उनका मन सांसारिक कार्यों में नहीं लगता था, वे ज्यादातर जप-ध्यान में ही समय निकालते थे । 21 साल की उम्र में घर वाले आसुमल जी की शादी करना चाहते थे,लेकिन उनका मन संसार से विरक्त और भगवान में तल्लीन रहता था। इसलिए वे घर छोड़कर भरुच के अशोक आश्रम चले गए, पर घरवालों ने उन्हें ढूंढकर जबरदस्ती उनकी शादी करवा दी ।

 

🚩लेकिन मोह-ममता का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति की लगन मन में लिए शादी के बाद भी उन्होंने तुरंत पुनः घर छोड़ दिया और आत्म-पद की प्राप्ति हेतु जंगलों-बीहड़ों में घूमते और साधना करते हुए ईश्वर प्राप्ति के लिए तड़पते रहे। नैनीताल के जंगल में योगी ब्रह्मनिष्ठ संत साईं लीलाशाहजी बापू को उन्होंने सद्गुरु के रूप में स्वीकार किया।

 

🚩ईश्वरप्राप्ति की तीव्र तड़प देखकर सद्गुरु लीलाशाहजी बापू का हृदय छलक उठा और उन्हें 23 वर्ष की उम्र में सद्गुरु की कृपा से आत्म-साक्षात्कार हो गया। तब सद्गुरु लीलाशाहजी ने उनका नाम आसुमल से आशारामजी रखा ।

 

🚩अपने गुरु लीलाशाहजी बापू की आज्ञा शिरोधार्य कर संत आसारामजी बापू समाधि-अवस्था का सुख छोड़कर,संसारी लोगों के हृदय में शांति का संचार करने हेतु समाज के बीच आ गये।

 

🚩सन् 1972 में अहमदाबाद में साबरमती के तट पर आश्रम स्थापित किया।

उसके बाद देश-विदेश में बढ़ते गए आश्रम । आज उनके आश्रम लगभग  450 से अधिक हैं और समितियां 1400 से अधिक हैं, जो देश-समाज और संस्कृति के उत्थान कार्य कर रही हैं। भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व शांति के लिए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने राष्ट्र के कल्याणार्थ अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

 

🚩आशारामजी बापू द्वारा किए गए कार्य:

 

🚩1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर धर्म के संस्कार, मकान, जीवनोपयोगी सामग्री दी, जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया ।

 

🚩2). कत्लखाने में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।

 

🚩3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।

 

🚩4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथिक के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया ।

 

🚩5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया ।

 

🚩6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया ।

 

🚩7). वैलेंटाइन डे का कुप्रभाव रोकने हेतु “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का प्रारम्भ करवाया।

 

🚩8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।

 

🚩9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया।

 

🚩10). नशामुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसनमुक्त कराया।

 

🚩11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाए।

🚩12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के “शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी” बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया।

 

🚩13. बच्चों के लिए “बाल संस्कार केंद्र”, युवाओं के लिए “युवा सेवा संघ”, महिलाओं के लिए “महिला उत्थान मंडल” खोलकर उनका जीवन धर्ममय व उन्नत बनाया।

 

🚩हजारों कत्लखाने जाने वाली गायों को बचाकर गोशालए खुलवाई, जहाँ गौसेवा को सबसे अधिक महत्व दिया गया।

 

🚩कहा जाता है कि हिन्दू संत आशारामजी बापू का बहुत बड़ा साधक-समुदाय है। लगभग करीब 8 करोड़ साधक देश-विदेश में हैं और इतने सालों से जेल में होते हुए भी उनके अनुयायियों की श्रद्धा टस से मस नहीं हुई है और उन करोड़ों भक्तों का एक ही कहना है कि हमारे गुरुदेव (संत आशारामजी बापू) निर्दोष हैं उन्हें षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है। वे जल्द से जल्द निर्दोष छूटकर हमारे बीच शीघ्र ही आयेंगे।

Pujya Bapuji

 

🚩गौरतलब है- संत आशारामजी बापू का जन्म दिवस 11 अप्रैल को हैं। अभी उनका 86वाँ साल चल रहा है, पिछले 10 साल से जेल में बन्द होने पर भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा देश-विदेश में “विश्व सेवा दिवस” के रूप में मनाया जाता हैं ।

 

🚩वैसे तो हर साल इस दिन देशभर में जगह-जगह पर निकाली जाती हैं- भगवन्नाम संकीर्तन यात्रायें और वृद्धाश्रमों,अनाथालयों व अस्पतालों में निशुल्क औषधि, फल व मिठाई वितरित की जाती है। गरीब व अभावग्रस्त क्षेत्रों में होता है- विशाल भंडारा जिसमें वस्त्र,अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता है। उस दिन जगह जगह पर छाछ, पलाश व गुलाब के शरबत के प्याऊ लगाये जाते हैं एवं सत्साहित्य आदि का वितरण किया जाता है।

 

🚩मीडिया ने दिन-रात हिन्दू संत आशारामजी बापू के खिलाफ समाज को भ्रमित करने और उनकी छवि को धूमिल करने का भरसक प्रयास किया, लेकिन उनको मानने वाले करोड़ों अनुयायियों की आज भी अटल श्रद्धा उनमें हैं। जनता भी प्रश्न कर रही है कि बापू निर्दोष हैं तो उनकी रिहाई क्यों नहीं की जा रही है ? सरकार को उसपर ध्यान देना ही  चाहिए।

 

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