भोजन बनाने के लिए कौनसे बर्तनों का उपयोग करना चाहिए ? जिससे आप रहेंगे स्वस्थ..

29 Apirl 2023

 

🚩सभी मनुष्य की चाहत होती है कि वो जीवनभर स्वस्थ रहे। सेहत को बनाए रखने के लिए लोग योग, एक्सरसाइज और कई तरह की फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देते हैं। इसके अलावा लोग अपने खानपान को भी हेल्दी रखने की कोशिश करते हैं। इसके लिए तरह तरह की हेल्दी चीजें सुबह से रात तक बनाते-खाते हैं। लेकिन एक चीज जिस पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है, वो है खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन। जी हां, हेल्दी खाना बनाने के लिए जितना सब्जियों और मसाले का ध्यान रखना जरूरी है, उतना ही सही धातु का बर्तन सेलेक्ट करना भी है। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि किस धातु के बर्तन में खाना पकाने से भोजन की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है।

 

🚩भोजन को शुद्ध, पौष्टिक, हितकर व सात्त्विक बनाने के लिए हम जितना ध्यान देते हैं उतना ही ध्यान हमें भोजन बनाने के बर्तनों पर देना भी आवश्यक है। भोजन जिन बर्तनों में पकाया जाता है उन बर्तनों के गुण अथवा दोष भी उसमें समाविष्ट हो जाते हैं। अतः भोजन किस प्रकार के बर्तनों में बनाना चाहिए अथवा किस प्रकार के बर्तनों में भोजन करना चाहिए, इसके लिए भी शास्त्रों ने निर्देश दिये हैं।

🚩भोजन करने का पात्र सुवर्ण का हो तो आयुष्य को टिकाये रखता है, आँखों का तेज बढ़ता है। चाँदी के बर्तन में भोजन करने से आँखों की शक्ति बढ़ती है, पित्त, वायु तथा कफ नियंत्रित रहते हैं। काँसे के बर्तन में भोजन करने से बुद्धि बढ़ती है, रक्त शुद्ध होता है। पत्थर या मिट्टी के बर्तनों में भोजन करने से लक्ष्मी का क्षय होता है। लकड़ी के बर्तन में भोजन करने से भोजन के प्रति रूचि बढ़ती है तथा कफ का नाश होता है। पत्तों से बनी पत्तल में किया हुआ भोजन, भोजन में रूचि उत्पन्न करता है, जठराग्नि को प्रज्जवलित करता है, जहर तथा पाप का नाश करता है। पानी पीने के लिए ताम्र पात्र उत्तम है। यह उपलब्ध न हों तो मिट्टी का पात्र भी हितकारी है। पेय पदार्थ चाँदी के बर्तन में लेना हितकारी है लेकिन लस्सी आदि खट्टे पदार्थ न लें।

 

🚩लोहे के बर्तन में भोजन पकाने से शरीर में सूजन तथा पीलापन नहीं रहता, शक्ति बढ़ती है और पीलिया के रोग में फायदा होता है। लोहे की कढ़ाई में सब्जी बनाना तथा लोहे के तवे पर रोटी सेंकना हितकारी है परंतु लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए इससे बुद्धि का नाश होता है। स्टेनलेस स्टील के बर्तन में बुद्धिनाश का दोष नहीं माना जाता है। सुवर्ण, काँसा, कलई किया हुआ पीतल का बर्तन हितकारी है। एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें।

 

🚩केला, पलाश, तथा बड़ के पत्र रूचि उद्दीपक, विषदोषनाशक तथा अग्निप्रदीपक होते हैं। अतः इनका उपयोग भी हितावह है।

 

🚩पानी पीने के पात्र के विषय में ‘भावप्रकाश ग्रंथ’ में लिखा है।

 

🚩जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।

पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।

काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।

 

🚩अर्थात् पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैङूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।

 

🚩 एल्युमिनियम के बने बर्तन में खाना बनाने के नुकसान

 

🚩कुछ मामलों में शरीर में एल्युमिनियम की मात्रा अधिक होने की वजह से किडनी फेल की समस्या हो सकती है।

एल्युमिनियम के बर्तन में बना खाना खाने से लिवर सिस्टम को भी नुकसान पहुंच सकता है।

 

🚩अगर हमारे शरीर में ज्यादा मात्रा में एल्युमिनियम जाता है, तो ये मांसपेशियों, किडनी और हड्डियों की कोशिकाओं में जमा हो जाती है, जो दर्द समेत कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

 

🚩इसलिए एल्युमिनियम के बर्तन कभी भी उपयोग नहीं करे।

 

🚩हमेशा स्टील, लोहे,ताम्बा, पित्तल के बर्तन उपयोग करना स्वस्थ जीवन का आधार हैं।

 

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