10 july 2018

ईसाई मिशनरियां अपने काले धंधे को छुपाने के लिए अनेक तरह की चाल चल रहे है, भले वे चर्च में बलात्कार करें या धर्मान्तरण करवाये या बच्चों की बिक्री कर दे या मानव तस्करी करे लेकिन न मीडिया दिखायेगी और नही कोई अधिकारी या नेता कुछ बोलेगा क्योंकी कुछ बोलेंगे तो उनके ऊपर घिनौने आरोप लगाकर बर्खास्त करवा दिया जाता है ।

ईसाई मिशनरियां अंग्रेजो के साथ भारत में जब से आयी थी तब से हिन्दुओ का धर्मांतरण कराना, हिन्दुओ को लूटना, बलात्कार करना और मानव तस्करी जैसे कामो में ये मिशनरियां लिप्त है ।
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Seeing the black business of Christian missionaries, your sicknesses will stand up … |

मिशनरियों का कोई काले कारनामो पर बात करे तो इनका पूरा संगठन रोने लग जाता है की भारत में हम खतरे में है और इनके द्वारा पोषित मीडिया चिल्लाना शुरू कर देता है ।

झारखण्ड की राजधानी रांची में निर्मल ह्रदय नाम का ईसाई मिशनरी है जहाँ पर पिछले दिनों पुलिस ने ईसाई मिशनरियों के लोगों को बच्चों को बेचने के जुर्म में गिरफ्तार किया है, इसी 1 मिशनरी से 280 बच्चे गायब है ।

औसतन 1 बच्चे को 1 लाख 50 हज़ार रुपए में बेचा गया, इस मिशनरी में कई बच्चों का जन्म हुआ जिसमे से 280 बच्चे गायब कर दिए गए, अब इस मामले में बड़े खुलासे हो रहे है ।

जिन बच्चों को गायब किया गया ये सभी बच्चे उन माताओं के है जो की इसी ईसाई मिशनरी में रहती थी, ये मिशनरियां अनाथालय, अस्पताल इत्यादि चलाते है ।

अपने अनाथलय की नाबालिग लड़कियों को मिशनरियों ने रेप कर प्रेग्नेंट कर दिया और उनके जो बच्चे जन्मे उनकी तस्करी कर पैसा बनाया, ये है इन मिशनरियों का असल धंधा ।

मिशनरियां परोपकार और अनाथलय, वृद्ध आश्रम के नाम पर अनाथलय की नाबालिग बच्चियों का रेप कर प्रेग्नेंट करना और उनके बच्चे बेचकर पैसा बनाना, इसके अलावा वृद्ध आश्रम में जो वृद्ध रहते है उनके अंगों की तस्करी करना, ये है इन मिशनरियों के परोपकार वाले धंधे का सच ।

ऐसे ही शैतानियत भरे धंधों से ये मिशनरियां पैसा बनाती है और भारत में धर्मांतरण के उद्योग में इस पैसे का इस्तेमाल करती है, और बड़े बड़े चर्च बनाये जाते है, पूरी मीडिया और बुद्धिजीवी इनकी मदद करते है क्यूंकि शैतानियत से कमाया हुआ धन ये मीडिया वालो को भी देते है।

आपको बता दे कि ईसाई मिशनरियों द्वारा बच्चों का गायब होने का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। इस काले धंधे से जुड़े लोगों की पहुंच इतनी है कि बच्चों की खरीद-बिक्री के खेल पर हाथ डालनेवाले सीडब्ल्यूसी के तत्कालीन अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह और सदस्य मु. अफजल को इन्होंने बर्खास्त करा दिया था। इन दोनों अधिकारियों पर छेड़छाड़ का आरोप मढ़कर सुनियोजित साजिश रचकर हटवा दिया गया था। मामला 2015 का है। अध्यक्ष और सदस्य डोरंडा स्थित शिशु भवन का निरीक्षण करने गए थे। इस दौरान उन्हें वहां घुसने से रोका गया था। जबरन जांच की बात कह घुसे तो छेड़छाड़ का आरोप लगाकर बर्खास्त करा दिया गया ।

बता दे कि रांची के ईस्ट जेल रोड की मिशनरी ‘निर्मल हृदय’ से बच्चों की बिक्री का मामला अब देशव्यापी मानव तस्करी का पर्दाफाश कर रहा है ! झारखंड ही नहीं अपितु उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में बच्चों को बेचने की बात सामने आ रही है !

पहले इन आंकड़ों पर गौर कर लीजिए

देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों के चोरी हो जाने का जो डर है उसे पूरी तरह बेबुनियाद नहीं कहा जा सकता। खासतौर पर गृह मंत्रालय की ओर से जारी वर्ष 2016 के आंकड़ों को देखते हुए जिनके अनुसार, उस वर्ष भारत से करीब 55,000 बच्चों को अगवा किया गया है। यह आंकड़ा एक वर्ष पहले के आंकड़ों के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक है ! गृह मंत्रालय की 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 में 54,723 बच्चे अगवा हुए किंतु केवल 40.4 प्रतिशत मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए।

वर्ष 2016 में बच्चों के अपहरण के मामलों में दोष साबित होने की दर महज 22.7 प्रतिशत रही। वर्ष 2015 में ऐसे 41,893 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या 37,854 थी। वर्ष 2017 के आंकड़े अभी पेश नहीं किए गए हैं।

मानव तस्करी के 8000 मामले

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में देश में मानव तस्करी के 8132 मामले दर्ज किए गए। बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.06 लाख मामले भी दर्ज किए गए। ये साल 2015 की तुलना में 13.6 प्रतिशत अधिक थे ।

ईसाई मिशनरियां बच्चे बेच रहे है, बलात्कार कर रहे है, धर्मांतरण करवा रहे है, मानव तस्करी कर रहे है फिर भी उनके खिलाफ न मीडिया बोलती है और नही ठीक से कोई कार्यवाही होती है।

देशविरोधी तत्वों को भारत से बाहर इनकरना होगा तभी देश बच पायेगा नही तो मिशनरियां देश को खा जायेंगे । सभी हिन्दुस्तानियो को इनके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ।

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Bharat me isai mitionriya teji se dharm.pariwartan krwa rhi hai is par kde karwai hona chahiye