1st October 2024
सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध – पितरों को प्रसन्न करने का आखिरी अवसर और श्रीमद्भगवद्गीता का सातवां अध्याय
हिंदू धर्म में पितरों का सम्मान और उनका तर्पण एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना जाता है। सर्वपितृ दर्श अमावस्या, जिसे महालय भी कहा जाता है, पितरों को प्रसन्न करने का अंतिम दिन होता है। यह अमावस्या पितृ पक्ष का समापन करती है और उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है जिन्होंने अपने पितरों का श्राद्ध उनकी पुण्यतिथि पर नहीं कर पाया हो। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी और यह पितरों की आत्मा की तृप्ति और सद्गति के लिए अत्यंत शुभ दिन माना जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या का महत्व : पितृ पक्ष में 16 दिनों तक लोग अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध करते है और सर्वपितृ अमावस्या इस अवधि का समापन करती है। यह तिथि उन सभी पितरों के लिए होती है जिनका श्राद्ध किसी कारणवश न हो पाया हो, चाहे उनकी पुण्यतिथि ज्ञात न हो। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान करने से पितरों की आत्माएं संतुष्ट होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पूरे पितृ पक्ष में श्राद्ध करने में असमर्थ हो, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकता है और अपने पितरों को तृप्त कर सकता है।
श्रीमद्भगवद्गीता का सातवां अध्याय और पितरों की सद्गति
सर्वपितृ अमावस्या के अवसर पर पितरों की सद्गति और मोक्ष के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का सातवां अध्याय, जिसे “ज्ञान-विज्ञान योग” कहा जाता है, विशेष रूप से प्रासंगिक है। भगवान श्रीकृष्ण इस अध्याय में अर्जुन को ज्ञान और भक्ति का मार्ग दिखाते है। वे कहते है कि जो लोग श्रद्धा और भक्ति से पितरों का तर्पण और श्राद्ध करते है उनके पितर सद्गति की ओर बढ़ते है और मोक्ष प्राप्त करते है।
भगवान श्रीकृष्ण का यह उपदेश बताता है कि पितरों की संतुष्टि के लिए मनुष्य का कर्तव्य क्या होना चाहिए और किस प्रकार उनके प्रति श्रद्धा और तर्पण करके उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाया जा सकता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया तर्पण पितरों की आत्माओं को संतुष्टि प्रदान करता है और वे अपने परिजनों को आशीर्वाद देते है।
श्राद्ध और तर्पण का महत्व :
श्राद्ध और तर्पण विधियां जो विशेष रूप से सर्वपितृ अमावस्या पर की जाती है, पितरों के मोक्ष और सद्गति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन कराने, पिंड दान करने और जल तर्पण करने से पितरों की आत्माएं तृप्त होती है। यदि किसी व्यक्ति ने अपने पितरों का श्राद्ध पूरे पितृ पक्ष में नहीं किया हो तो सर्वपितृ अमावस्या पर किया गया श्राद्ध सभी पितरों के लिए किया जा सकता है।
पितरों की सद्गति और मोक्ष का मार्ग : श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण यह भी बताते है कि भक्ति और श्रद्धा के साथ पितरों का स्मरण और उनके लिए श्राद्ध करना ही उनके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। जब पितरों को विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण अर्पित किया जाता है तो उन्हें सद्गति प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
सर्वपितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त : इस वर्ष 2 अक्टूबर 2024 को सर्वपितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन उन सभी के लिए एक अंतिम अवसर है जो अपने पितरों का ऋण चुकाना चाहते है और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में समृद्धि लाना चाहते है।
पितरों की प्रसन्नता का साधन – तर्पण, पिंड दान और भक्ति : श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, तर्पण और श्राद्ध के साथ-साथ पितरों के प्रति सच्ची भक्ति का भाव ही उनकी सद्गति का वास्तविक मार्ग है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन विधिपूर्वक इन सभी विधियों का पालन करके हम अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते है।
इस प्रकार, सर्वपितृ अमावस्या का दिन न केवल पूर्वजों का सम्मान करने का अवसर है, बल्कि श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय में बताए गए मोक्ष के मार्ग पर चलकर पितरों की सद्गति प्राप्त करने का भी शुभ समय है।
Follow on
https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/
Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg
Twitter:
twitter.com/AzaadBharatOrg
Telegram:
https://t.me/ojasvihindustan
http://youtube.com/AzaadBharatOrg
Pinterest : https://goo.gl/o4z4