20 August 2024
संस्कृत दिवस: महत्त्व, हिन्दू संस्कृति में योगदान और धार्मिक ग्रंथों में इसकी भूमिका
संस्कृत, जिसे ‘देववाणी’ के रूप में जाना जाता है, न केवल भारत की बल्कि पूरी दुनियां की सबसे प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में से एक है। यह भाषा भारतीय संस्कृति, धर्म और दर्शन की आत्मा मानी जाती है। संस्कृत दिवस प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य संस्कृत भाषा के महत्त्व को उजागर करना और इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना है।
संस्कृत दिवस का इतिहास और उद्देश्य
संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने और इसके महत्त्व को समझाने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1969 में संस्कृत दिवस की शुरुआत की। यह दिन संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और नई पीढ़ी को इसके अध्ययन के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास है। संस्कृत दिवस का मुख्य उद्देश्य इस प्राचीन भाषा की धरोहर को सहेजना और इसे जन-जन तक पहुँचाना है।
संस्कृत का हिन्दू संस्कृति और धार्मिक ग्रंथों में महत्त्व
1. वेदों की भाषा:
संस्कृत भाषा का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण योगदान वेदों के रूप में है। वेद, जिन्हें सनातन धर्म का मूल आधार माना जाता है, संस्कृत में ही लिखे गए है। ऋग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद और अथर्ववेद—ये चारों वेद हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है और इन्हें समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है।
2. उपनिषद और दर्शन:
संस्कृत भाषा में ही उपनिषदों और दर्शनशास्त्र का सृजन हुआ, जो हिन्दू धर्म के गहन दार्शनिक विचारों को प्रस्तुत करते है। उपनिषदों में आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष और कर्म के सिद्धांतों की गहन व्याख्या की गई है। भगवद्गीता, जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, संस्कृत में ही रची गई है और इसे हिन्दू धर्म का प्रमुख ग्रंथ माना जाता है।
3. पुराण और महाकाव्य:
रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों और पुराणों की रचना संस्कृत में हुई है। रामायण, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखा, हिन्दू संस्कृति और धर्म का एक अनमोल ग्रंथ है। महाभारत, जिसे महर्षि वेदव्यास ने संस्कृत में लिखा, न केवल धर्म और अधर्म की लड़ाई का वर्णन करता है, बल्कि इसमें भगवद्गीता जैसी महत्वपूर्ण शिक्षाएँ भी समाहित है।
4. अनुष्ठान और मंत्र:
संस्कृत हिन्दू धर्म के अनुष्ठानों, पूजा-पाठ और यज्ञों में उपयोग होने वाले मंत्रों की भाषा है। ये मंत्र वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों से लिए गए हैं और इन्हें संस्कृत में ही उच्चारित किया जाता है। संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से होने वाली ध्वनि तरंगों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करने वाला माना जाता है।
5. हिन्दू संस्कृति का संरक्षण:
संस्कृत भाषा हिन्दू संस्कृति के संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भाषा उन मूल्यों, सिद्धांतों और रीतियों को संजोने का कार्य करती है, जो सनातन धर्म की नींव है। संस्कृत के माध्यम से ही हिन्दू धर्म के कई महान संतों, ऋषियों और मुनियों ने अपने ज्ञान और शिक्षा का प्रसार किया।
6. शास्त्रों और स्मृतियों की रचना:
धर्मशास्त्र, न्यायशास्त्र, व्याकरणशास्त्र, योगशास्त्र, और अन्य विविध शास्त्रों की रचना संस्कृत में हुई है। मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, और अन्य स्मृतियाँ भी संस्कृत में लिखी गई हैं, जो समाज के नियम और नीतियों का मार्गदर्शन करती है।
7. आध्यात्मिक और धार्मिक धरोहर:
संस्कृत भाषा में रचित धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों ने हिन्दू धर्म की आध्यात्मिक और धार्मिक धरोहर को संरक्षित रखा है। ये ग्रंथ न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का मार्गदर्शन करते है बल्कि वे जीवन के प्रत्येक पहलू में नैतिकता, धर्म और सदाचार को भी सिखाते है।
संस्कृत दिवस पर होने वाले कार्यक्रम
संस्कृत दिवस पर विभिन्न शिक्षण संस्थानों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में संस्कृत के महत्त्व को उजागर करने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इनमें संस्कृत श्लोक पाठ, निबंध लेखन प्रतियोगिता, भाषण, वाद-विवाद और संस्कृत नाट्य प्रस्तुतियाँ शामिल होती है। इसके साथ ही, संस्कृत शिक्षकों और विद्वानों को सम्मानित करने के लिए विशेष समारोह भी आयोजित किए जाते है।
संस्कृत का योगदान और भविष्य
संस्कृत न केवल अतीत में बल्कि वर्तमान में भी हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। आधुनिक युग में संस्कृत के प्रति रुचि फिर से जागरित हो रही है। कई देशों में संस्कृत के अध्ययन और शोध के लिए संस्थान स्थापित किए गए है। इसके साथ ही योग, आयुर्वेद और अन्य भारतीय परंपराओं के पुनर्जागरण के साथ-साथ संस्कृत भी पुनः वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक होती जा रही है।
संस्कृत दिवस हमें हमारी प्राचीन धरोहर की ओर लौटने और संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने का एक अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम संस्कृत के अध्ययन को अपने जीवन का अंग बनाएं और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का प्रयास करें।
संस्कृत दिवस की प्रासंगिकता
आज के युग में जब भारतीय संस्कृति और परंपराएँ वैश्विक मंच पर पहचान बना रही हैं, संस्कृत दिवस का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। यह दिवस हमें स्मरण दिलाता है कि संस्कृत न केवल हमारी पहचान का हिस्सा है बल्कि यह हमारी जड़ों से जुड़े रहने और दुनियां को हमारी प्राचीन संस्कृति और ज्ञान से परिचित कराने का माध्यम भी है।
संस्कृत भाषा को जीवित रखें, इसे सीखें और सिखाएं। संस्कृत दिवस पर इस अद्वितीय धरोहर का सम्मान करें और इसे आगे बढ़ाने का संकल्प लें।
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