रेप की कोशिश व हत्या के मामले में मौत की मिली थी सजा, हाइकोर्ट ने 11 साल बाद किया निर्दोष बरी

रेप की कोशिश व हत्या के मामले में मौत की मिली थी सजा, हाइकोर्ट ने 11 साल बाद किया निर्दोष बरी

8 July 2024

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संयम और सदाचार की शिक्षा नही देने के कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ती जा रही है इसलिए महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाये गये लेकिन इसका दुरुपयोग भी भयंकर हो रहा है ।

न्यायालय में बलात्कार के केस अधिकतर साबित ही नही हो पाते है । अधिक्तर न्यायालयों का मानना है कि कुछ लड़कियां बदला लेने या पैसे ऐठने के लिए झूठे केस दर्ज करवाती है । झूठे केस दर्ज करवाने के लिए कई गिरोह भी काम कर रहे है, इसी कारण घरेलू महिलाएं परेशान हो गई है आज किसी भी निर्दोष पुरुष पर झूठे केस दर्ज करने पर उसके साथ जुड़ी माँ, बहन, पत्नी, बेटियां को परेशानी होती है उनका पालन करने वाले को ही जेल भेज दिया जाता है तो फिर उनको घर सँभालना मुश्किल हो जाता है और कई निर्दोष साधु संतों को भी इस कानून के द्वारा फसाया जाता हैं।

11 साल बाद निर्दोष बरी

केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में मौत की सजा पा चुके एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया। वह 2013 से ही जेल में बंद था और 11 वर्षों की सजा काट चुका था। उसे निचली अदालत ने 2018 में मौत की सजा तक सुना दी थी। कोर्ट ने उसे ₹5 लाख का मुआवजा भी दिया है और कहा है कि उसके खिलाफ जाँच ढंग से नहीं हुई।

केरल हाई कोर्ट की जस्टिस नाम्बियार और जस्टिस स्याम कुमार की एक बेंच ने यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की गड़बड़ जाँच इस तरफ इशारा करती है कि अभियुक्त गिरीश कुमार को झूठे तरीके से इस केस में फंसाया गया हो। कोर्ट ने जाँच वाले पहलू को गंभीरता से लिया।

कोर्ट ने कहा, “निचली अदालत के सामने इस व्यक्ति को IPC की किसी भी धारा के तहत दोषी ठहराने के लिए कोई भी सबूत नहीं था जैसा उस पर आरोप लगाया गया था, उसे धारा 302 के तहत मौत की देना तो दूर की बात थी।” कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा देते वक्त निचली अदालत ने गंभीरतम में भी गंभीर अपराध का मानक नहीं देखा।

कोर्ट ने कहा कि किसी आदमी को भारतीय संविधान द्वारा दिए गए जीने के अधिकार केवल एक आधी अधूरी जाँच और फिर बिना सबूतों को देखे दिए गए फैसले के आधार पर नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों से जनता का विश्वास व्यवस्था में घटता है।

कोर्ट ने इसी के साथ गिरीश कुमार को रिहा कर दिया और 11 वर्षों तक उसे जेल में रहने के कारण हुई पीड़ा को देखते हुए ₹5 लाख का मुआवजा भी दिए जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य की तरफ से दलीलों को नहीं माना और निचली अदालत का मौत की सजा देने का निर्णय पलट दिया।

मौत की सजा पाने वाले इस व्यक्ति गिरीश कुमार को 2013 में कोल्लम में एक महिला के घर में घुस कर उसे मारने का आरोप था। उस पर आरोप लगाया गया था कि वह महिला के घर में उसे मारने और उसका रेप करने की नीयत से घुसा था। उस पर ₹6 लाख की चोरी का भी आरोप था।

इसे इसके बाद गिरफ्तार करके 2015 में मामला चलाना चालू किया गया था। 2018 में उसे मामले की सुनवाई पूरा करके दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी। उसने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। उसे मौत की सजा देने वाली निचली अदालत ने भी अपना निर्णय हाई कोर्ट को भेजा था।

हाई कोर्ट ने कहा कि उसने जेल के भीतर बिना किसी अपराध किए ही इतने दिन गुजार दिए और इसमें लंबा समय उसके सर पर मौत की तलवार लहराती रही। हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करके उसे निर्दोष करार दिया है और रिहा कर दिया है।

आपको बता दे की प्रतापगढ़ जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 90 प्रतिशत बलात्कार के केस साबित ही नही हो पाते है । दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं।

इन कानूनों का निर्माण महिला उत्थान के लिये किया गया था मगर आज पथभ्रष्ट महिलाएं इसका धड़ल्ले से दुरुपयोग कर रही हैं । सरकार को इन पथभ्रष्ट महिलाओं द्वारा किये जा रहे हर फर्जी केस पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए तथा ऐसी महिलाओं को कठोर से कठोर दंड देने चाहिए जो अपनी स्वार्थपूर्त्ति के लिए किसी के जीवन से खेल रही हैं ।

महिलाओं उत्थान मंडल अध्यक्ष ने कहा कि हिन्दू संत आसारामजी बापू सदा हर वर्ग, हर प्राणी को ईश्वरीय सुख-शांति, आत्मिक निर्विकारी आनंद पहुँचाने का अथक प्रयास करते रहे हैं । समाज, संस्कृति और विश्वसेवा के दैवी कार्य में बापू आसारामजी का योगदान अद्वितीय है ।

बापू आसारामजी के ओजस्वी जीवन एवं उपदेशों से असंख्य लोगों ने व्यसन, मांस आदि बड़ी सहजता से छोड़कर संयम-सदाचार का रास्ता अपनाया है ।

एक 88 वर्षीय बुजुर्ग संत, जिन्हें करोड़ों लोगों के जीवन में संयम-सदाचार जागृत करने व उन्हें भगवान के रास्ते चलाने तथा करोड़ों दुःखियों के चेहरों पर मुस्कान लाने का श्रेय जाता है उनको झूठे केस में फसाया गया है अब तो उन्हे रिहा करना ही चाहिए ।

आम जनता के अलावा राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करनेवाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के लिए आगे आने वाले के खिलाफ बलात्कार कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है। इसमे जो खामियां है उसको दूर करना चाहिए । तभी निर्दोष पुरूष बच सकेंगे।

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