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सितंबर 27 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी चतुराई और सुनियोजित ढंग से एक के बाद एक फैसले दिए, जिसमे पहला फैसला था धारा 497 को खत्म करना अर्थात अब विवाह के बाद पर पुरुष गमन/ परस्त्री गमन साधारण भाषा मे कहें तो पति के अलावा गैर मर्दों से शारीरिक सम्बन्ध बनाना कानूनन अपराध नहीं है ।
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इसके तुरंत बाद कोर्ट ने #राम_मंदिर से जुड़ा #मस्जिद के मुद्दे पर भी फैसला सुनाया ताकि लोगों का ध्यान राम मंदिर पर उलझाकर पिछले दरवाजे से व्याभिचार को वैध कर, उससे जनता के ध्यान को हटाया जा सके और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया ने भी #राम के नाम पर इस समाचार को छोटा कर दिया और जितना दिखाया वो बस महिलाओं के अधिकार के नाम पर इसको वैध कर दिया ।
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Removal of Section 497 is not only for men , but for women also, trouble has committed suicide. |
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सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं का पक्ष लेते हुए कहा कि पति महिला का गुलाम नहीं है, पर इस कानून के हटने से केवल पुरुषों को ही पीड़ा है ऐसी बात नहीं है महिलाओं को भी है क्योंकि कोई भी पतिव्रता महिला नहीं चाहेगी कि उसका पति अन्य महिलाओं के साथ संबंध बनाए । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण इस खबर से देख लीजिए, जहाँ इस कानून का बुरा प्रभाव साफ देखने को मिला और पत्नी ने आत्महत्या तक कर ली ।
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विवाहेत्तर संबंध को अपराध से बाहर करने के बाद पहली आत्महत्या:-
इस आत्महत्या के लिए अब किसे जिम्मेदार ठहराना चाहिए, इसका उत्तर काैन देगा ?
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चेन्नई में एक 24 वर्षी शादीशुदा लड़की पुष्पलता ने छत से कूदकर जान दे दी । उसने दो वर्ष पहले जॉन पॉल फ्रैंकलिन नामक एक सिक्योरिटी गार्ड से शादी की थी । लड़की अच्छे परिवार की थी । उसके परिवार ने इस शादी का विरोध भी किया था, किंतु उसने परिवार से विद्रोह करके प्रेम विवाह कर लिया । फ्रैंकलिन का किसी अन्य लड़की से इस बीच संबंध बन गया या पहले से ही था, पता नहीं । पुष्पलता को बाद में इसका पता चला । इस बीच पुष्पलता को टी.बी. हो गया । हालांकि टी.बी. का आजकल इलाज सामान्य है । इससे कोई समस्या होनी नहीं चाहिए ।
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किंतु फ्रैंकलिन जो कि एक सिक्योरिटी गार्ड है, दूसरी लड़की के साथ कुछ ज्यादा घुलने मिलने लगा । पुष्पलता उसे ऐसा करने से रोकती रही । अपने प्रेम का हवाला दिया । जाहिर है, उसने काफी समझाया होगा, लड़ाई भी हुई होगी । विद्रोह करके शादी करने के बाद तो पुष्पलता के पास अपने परिवार या रिश्तेदारों से बात करने या उनकी सहायता लेने का विकल्प था नहीं इसलिए वह अपने दम पर पति को दूसरी लड़की से संबंध बनाने से रोकती रही । वह माना नहीं, उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद फ्रैंकलिन ने साफ कह दिया कि, अब तुम मुझे कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि अब तो न्यायालय ने कह दिया है कि विवाहेत्तर यौन संबंध अपराध नहीं है । तुम मेरे पर केस भी दर्ज नहीं करा सकती ।
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पुष्पलता ने अपने आत्महत्या नोट में ये सारी बातें लिखीं हैं । हालांकि धारा 497 में भी विवाहेत्तर सम्बंध रखने वाले पति पर उसकी पत्नी केस नहीं कर सकती थी, किंतु इतनी विस्तृत जानकारी तो सबको नहीं होती । फ्रैंकलिन को लगा कि अब वह कुछ भी करने को आजाद है । पत्नी इसे सहन नहीं कर पाई, क्योंकि उसे लगा कि अब तो पुलिस और कोर्ट भी उसकी मदद नहीं कर सकता । अब यहां उच्चतम न्यायालय का फैसला लागू होगा । इसमें यह मान लिया है कि पहले की तरह आत्महत्या करने पर यदि यही कारण हुआ तो पति पर इसके लिए उकसाने का मामला चलेगा । तो चलाइए आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला । एक 24 वर्षीय लडकी को अपना जीवन समाप्त कर देना पड़ा । स्त्रोत : स्पेशल कवरेज
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धारा 497 हटाने के बाद यह पहला मामला सामने आया है लेकिन अभीतक न जाने कितने मामले देश में हो गए होंगे और आगे होते रहेंगे, उसको न मीडिया कवरेज करेगी और न न्यायालय या सरकार सुनेगी ।
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अमेरिका जैसे विकसित देश समेत दुनिया भर के कई देशों में व्यभिचार को अब भी अपराध माना जाता है ।
इन देशों में व्यभिचार पर है कड़ी सजा
अधिकतर इस्लामिक देशों में व्यभिचार एक अपराध है और इसकी कड़ी सजा है ।
अमेरिका के भी 20 राज्यों में व्यभिचार एक अपराध है, हालांकि वहां इसे लेकर मामले कम ही दिखते हैं ।
सऊदी अरब में व्यभिचार पर मौत की सजा का प्रावधान है ।
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जब विदेशो में भी व्यभिचार को लेकर कड़े कानून हैं तो फिर भारत में वर्तमान में जो कानून बनाए जा रहे हैं, उसे भारतीय संस्कृति कभी भी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि हमारे शास्त्रों में लिखा है कि अपनी पत्नी के अलावा किसी से संबंध बनाना पाप है और उसे नर्क में जाना पड़ता है ।
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ऐसे कानून भारत में नहीं बल्कि विदेशों में चलते हैं वे लोग पशु जैसा जीवन जीते हैं, पशु की नाई कुछ भी खा लिया, कहीं भी किसी से भी शारीरिक संबंध बना लिया, ये सब भारतीय संस्कृति में नहीं है । भारतीय संस्कृति सभ्य संस्कृति है जो मानव से महेश्वर की तरफ ले जाती है और पाश्चात्य संस्कृति मनुष्यता से पशुता की तरफ ले जाती है ।
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भारत में आज जो ऐसे कानून बन रहे हैं इससे तो साफ पता चलता है कि भारतीय संस्कृति को तोड़ने का एक घिनौना षड्यंत्र चल रहा है, विदेशी शक्तियों द्वारा कानून के जरिए पश्चिमी संस्कृति लाने का प्रयास चल रहा है, इससे विदेशी कम्पनियों को अरबों-खबरों का फायदा होगा क्योंकि व्यभिचार करेंगे तो गर्भनिरोधक दवाइयों की बहुत बिक्री होगी एवं लोग ज्यादा बीमार पड़ेंगे, जिससे उनके व्यापार में बहुत फायदा होगा ।
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दूसरा धर्मान्तरण वालों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि लोग व्यभिचारी हो जाएंगे तो अपने धर्म को नहीं मानेंगे, जिससे उनको अपने ईसाई धर्म में ले जाने में आसानी होगी, जिससे उनकी वोटबैंक बढ़ेगी और वे फिर से भारत में राज कर सकेंगे ।
भारत मे ऐसे कानूनो को खत्म कर देना चाहिए, नहीं तो आगे जाकर भयंकर नुकसान होगा ।
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भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों पर चलनेवाले हजारों योगासिद्ध महापुरुष इस देश में हुए हैं, अभी भी हैं और आगे भी होते रहेंगे, जबकि पश्चिमी संस्कृति के मार्ग पर चलकर कोई योगसिद्ध महापुरुष हुआ हो ऐसा हमने तो नहीं सुना, बल्कि दुर्बल हुए, रोगी हुए, एड्स के शिकार हुए, अकाल मृत्यु के शिकार हुए, खिन्न मानस हुए, अशांत हुए । उस मार्ग पर चलनेवाले पागल हुए हैं, ऐसे कई नमूने हमने देखे हैं ।
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अतः पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करके ऐसे कानून नहीं बनाएं जिससे व्यक्ति, समाज, देश और धर्म को नुकसान हो । कानून ऐसे हों कि सभी की उन्नति हो और देश आगे बढ़े ।
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