01 October 2018
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दैनिक समाचार पत्रों में सदा यह खबर छपती रहती है कि बॉलीवुड का कोई प्रसिद्द अभिनेता, अभिनेत्री अथवा क्रिकेट के खिलाड़ी अथवा राजनेता अजमेर की दरगाह पर चादर चढ़ाकर अपनी फिल्म को सुपर हिट करने की अथवा आने वाले मैच में जीत की अथवा आने वाले चुनावो में जीत की दुआ मांगता रहा है ।
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भारत की नामी गिरामी हस्तियों के दुआ मांगने से साधारण जनमानस में एक भेड़चाल सी आरंभ हो गयी है कि अजमेर में दुआ मांगने से जीवन बरकत हो जाएगी, किसी की नौकरी लग जाएगी, किसी के यहाँ पर लड़का पैदा हो जाएगा, किसी का कारोबार नहीं चल रहा हो तो वह चल जाएगा, किसी का विवाह नहीं हो रहा हो तो वह हो जाएगा ।
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Know that the grave worship is the foolishness or superstition of Muslims? |
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कुछ सवाल हमें अपने दिमाग पर जोर डालने को मजबूर कर रहे हैं जैसे कि आखिर यह गरीब नवाज़ कौन थे ? कहाँ से आये थे ? इन्होने हिंदुस्तान में क्या किया और इनकी कब्र पर चादर चढ़ाने से हमे सफलता कैसे प्राप्त होती है ?
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गरीब नवाज़ भारत में लूटपाट करने वाले, हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करने वाले, भारत के अंतिम हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान को हराने वाले व जबरदस्ती इस्लाम में धर्म परिवर्तन करने वाले मुहम्मद गौरी के साथ भारत में शांति का पैगाम लेकर आए थे ।
पहले वे दिल्ली के पास आकर रुके फिर अजमेर जाते हुए उन्होंने करीब 700 हिन्दुओं को इस्लाम में दीक्षित किया और अजमेर में वे जिस स्थान पर रुके उस स्थान पर तत्कालीन हिन्दू राजा पृथ्वी राज चौहान का राज्य था ।
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ख्वाजा के बारे में चमत्कारों की अनेकों कहानियां प्रसिद्ध हैं कि जब राजा पृथ्वीराज के सैनिकों ने ख्वाजा के वहां पर रुकने का विरोध किया क्योंकि वह स्थान राज्य सेना के ऊँटो को रखने का था तो पहले तो ख्वाजा ने मना कर दिया फिर क्रोधित होकर शाप दे दिया कि जाओ तुम्हारा कोई भी ऊंट वापिस उठ नहीं सकेगा । जब राजा के कर्मचारियों ने देखा की वास्तव में ऊंट उठ नहीं पा रहे है तो वे ख्वाजा से माफ़ी मांगने आए और फिर कहीं जाकर ख्वाजा ने ऊँटो को दुरुस्त कर दिया ।
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दूसरी कहानी अजमेर स्थित आनासागर झील की है । ख्वाजा अपने खादिमों के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने एक गाय को मारकर उसका कबाब बनाकर खाया । कुछ खादिम पनसिला झील पर चले गए कुछ आनासागर झील पर ही रह गए । उस समय दोनों झीलों के किनारे करीब 1000 हिन्दू मंदिर थे, हिन्दू ब्राह्मणों ने मुसलमानो के वहां पर आने का विरोध किया और ख्वाजा से शिकायत कर दी ।
ख्वाजा ने तब एक खादिम को सुराही भरकर पानी लाने को बोला । जैसे ही सुराही को पानी में डाला तभी दोनों झीलों का सारा पानी सुख गया। ख्वाजा फिर झील के पास गए और वहां स्थित मूर्ति को सजीव कर उससे कलमा पढवाया और उसका नाम सादी रख दिया ।
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ख्वाजा के इस चमत्कार की सारे नगर में चर्चा फैल गई । पृथ्वीराज चौहान ने अपने प्रधान मंत्री जयपाल को ख्वाजा को काबू करने के लिए भेजा । मंत्री जयपाल ने अपनी सारी कोशिश कर डाली पर असफल रहा और ख्वाजा नें उसकी सारी शक्तिओं को खत्म कर दिया । राजा पृथ्वीराज चौहान सहित सभी लोग ख्वाजा से क्षमा मांगने आए । काफी लोगो नें इस्लाम कबूल किया पर पृथ्वीराज चौहान ने इस्लाम कबूलने इंकार कर दिया । तब ख्वाजा नें भविष्यवाणी की कि पृथ्वीराज को जल्द ही बंदी बना कर इस्लामिक सेना के हवाले कर दिया जाएगा । निजामुद्दीन औलिया (जिसकी दरगाह दिल्ली में स्थित है) ने भी ख्वाजा का स्मरण करते हुए कुछ ऐसा ही लिखा है ।
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बुद्धिमान पाठकगण स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि इस प्रकार के करिश्मों को सुनकर कोई मुर्ख ही इन बातों पर विश्वास कर सकता है । भारत में जगह-जगह पर स्थित कब्रें उन मुसलमानों की हैं, जो भारत पर आक्रमण करने आए थे और हमारे वीर हिन्दू पूर्वजों ने उन्हें अपनी तलवारों से परलोक पंहुचा दिया था । ऐसी ही एक कब्र बहरीच गोरखपुर के निकट स्थित है । यह कब्र गाज़ी मियां की है । गाज़ी मियां का असली नाम सालार गाज़ी मियां था एवं उनका जन्म अजमेर में हुआ था । इस्लाम में गाज़ी की उपाधि किसी काफ़िर यानि गैर मुसलमान को क़त्ल करने पर मिलती थी ।
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गाज़ी मियां के मामा मुहम्मद गजनी ने ही भारत पर आक्रमण करके गुजरात स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का विध्वंश किया था । कालांतर में गाज़ी मियां अपने मामा के यहाँ पर रहने के लिए गजनी चला गया । कुछ काल के बाद अपने वज़ीर के कहने पर गाज़ी मियां को मुहम्मद गजनी ने नाराज होकर देश निकाला दे दिया । उसे इस्लामिक आक्रमण का नाम देकर गाज़ी मियां ने भारत पर हमला कर दिया । हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करते हुए, हजारों हिन्दुओं का क़त्ल अथवा उन्हें गुलाम बनाते हुए, नारी जाति पर अमानवीय कहर बरपाते हुए गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारो तरफ अपनी फौजें भेजी ।
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कौन कहता है कि हिन्दू राजा कभी मिलकर नहीं रहे ?
मानिकपुर, बहराइच आदि के 24 हिन्दू राजाओं ने राजा सोहेल देव पासी के नेतृत्व में जून की भरी गर्मी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और उसकी सेना का संहार कर दिया । राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खींच कर एक तीर मारा जिससे की वह परलोक पहुँच गया । उसकी लाश को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया गया । हिन्दुओं ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था, बल्कि अगले 200 सालों तक किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी का भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं हुआ ।
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कालांतर में फ़िरोज़ शाह तुगलक ने अपनी माँ के कहने पर बहरीच स्थित सूर्य कुण्ड नामक तालाब को भरकर उस पर एक दरगाह और कब्र गाज़ी मियां के नाम से बनवा दी जिस पर हर जून के महीने में सालाना उर्स लगने लगा । मेले में एक कुण्ड में कुछ बेहरुपिए बैठ जाते हैं और कुछ समय के बाद लाइलाज बीमारियों को ठीक होने का ढोंग रचते हैं । पूरे मेले में चारों तरफ गाज़ी मियां के चमत्कारों का शोर मच जाता है और उसकी जय-जयकार होने लग जाती है । हजारों की संख्या में मुर्ख हिन्दू, औलाद की, दुरुस्ती की, नौकरी की, व्यापार में लाभ की दुआ गाज़ी मियां से मांगते हैं, शरबत बांटते है , चादर चढ़ाते हैं और गाज़ी मियां की याद में कव्वाली गाते है ।
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कुछ सामान्य से 10 प्रश्न हम पाठको से पूछना चाहेंगे?
1 .क्या एक कब्र जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चूँकि है वो किसी की मनोकामनापूरी कर सकती है?
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2. सभी कब्र उन मुसलमानों की है जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं है, जिन्होंने अपने प्राण धर्म रक्षा करते की बलि वेदी पर समर्पित कर दिए थे ?
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3. क्या हिन्दुओ के राम, कृष्ण अथवा 33 कोटि देवी देवता शक्तिहीन हो चुकें है, जो मुसलमानों की कब्रों पर सर पटकने के लिए जाना आवश्यक है ?
4. जब गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती है तो मजारों में दुआ मांगने से क्या हासिल होगा ?
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5. भला किसी मुस्लिम देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, हरी सिंह नलवा आदि वीरों की स्मृति में कोई स्मारक आदि बनाकर उन्हें पूजा जाता है तो भला हमारे ही देश पर आक्रमण करने वालो की कब्र पर हम क्यों शीश झुकाते है ?
6. क्या संसार में इससे बड़ी मुर्खता का प्रमाण आपको मिल सकता है ?
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7. हिन्दू जाति कौन सी ऐसी अध्यात्मिक प्रगति मुसलमानों की कब्रों की पूजा कर प्राप्त कर रही है, जिसका वर्णन पहले से ही हमारे वेदों- उपनिषदों आदि में नहीं है ?
8. कब्र पूजा को हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल और सेकुलरता की निशानी बताना हिन्दुओं को अँधेरे में रखना नहीं तो ओर क्या है ?
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9. इतिहास की पुस्तकों में गौरी – गजनी का नाम तो आता हैं जिन्होंने हिन्दुओ को हरा दिया था पर मुसलमानों को हराने वाले राजा सोहेल देव पासी का नाम तक न मिलना क्या हिन्दुओं की सदा पराजय हुई थी, ऐसी मानसिकता को बना कर उनमें आत्मविश्वास और स्वाभिमान की भावना को कम करने के समान नहीं है ?
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10. क्या हिन्दू फिर एक बार 24 हिन्दू राजाओं की भांति मिल कर संगठित होकर देश पर आए संकट जैसे कि आंतकवाद, जबरन धर्म परिवर्तन, नक्सलवाद,लव जिहाद, बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपैठ आदि का मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते ?
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आशा है इस लेख को पढ़ कर आपकी बुद्धि में कुछ प्रकाश हुआ होगा । अगर आप भगवान राजा राम और कृष्ण जी महाराज की संतान हैं तो तत्काल इस मुर्खता पूर्ण अंधविश्वास को छोड़ दें और अन्य हिन्दुओं को भी इस बारे में प्रकाशित करें ।
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बुतों को समझा खुदा किसी ने, तो संग-ए असवद किसी ने चूमा।
जबां पर तौहीद के हैं किस्से, पर अमल सब का है काफिराना।।
इन झूठे मजहबों ने झूठे किस्सों, को भी हकीकत बना दिया है।
प्रभु के सत रूप को भुलाया, बनाया इसको है इक फसाना।।
बुतों, मजारों को पूजने का, बनाया मजहबों ने आशियाना।
धर्म से गुमराह हुए हैं सब ही,मजहब का गाते हैं जो तराना।। लेखक : डॉ. विवेक
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भारत में सभी कब्रें उन मुसलमानों की हैं, जो हमारे पूर्वजों से लड़ते हुए मारे गए थे, उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना, क्या उन वीर पूर्वजों का अपमान नहीं है?*
जिसमे मुर्दे की लाश मिट्टी में बदल चुकी है वो किसी की मनोकामना पूरी कर सकती है?*
*हिन्दू कब जगेंगे?*