1 दिसंबर 2021
azaadbharat.org
कानून की एक बात समझ से परे है; बोला जाता है कि कानून सबके लिए समान है लेकिन देखने को तो विपरीत ही मिलता है।
पत्रकार तरुण तेजपाल के सी.सी टीवी फुटेज में मिला था कि लकड़ी के साथ रेप किया है, पादरी बिशप फ्रैंको के खिलाफ नन ने प्रूफ कर दिया कि पादरी ने रेप किया है फिर भी ये बाहर घूम रहे हैं और निर्दोष हिन्दू संत आशाराम बापू के खिलाफ किए गए FIR में रेप का जिक्र नहीं बल्कि छेड़छाड़ का आरोप था और जब लड़की का मेडिकल करवाया तो रिपोर्ट में आया कि लड़की को टच भी नहीं किया गया और जिस समय का जिक्र लड़की ने आरोप में किया है उस समय तो आशाराम बापू एक कार्यक्रम में व्यस्त थे, वहाँ 50-60 लोग थे उन्होंने न्यायालय में बताया, फ़ोटो दिया फिर भी उनको आजीवन कारावास सुना दिया और 9 साल से आजतक उनको जमानत तक नहीं दी जबकि उनकी उम्र 85 वर्ष की है। क्या यही समान कानून है? क्या उनको समाज-देश-धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा करने की ये सजा मिल रही है?
पादरी की सजा कम की गई!
केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को कोट्टियूर रेप केस (Kottiyoor Rape case), जिसमें 2016 में एक नाबालिग के साथ बलात्कार और गर्भवती होने पर दोषी पाए गए सेंट सेबेस्टियन चर्च के पूर्व पादरी फादर रॉबिन वडक्कमचेरिल (Father Robin Vadakkamcheril) को दी गई सजा को कम कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पॉक्सो एक्ट के तहत अपराधों के परीक्षण के बाद विशेष न्यायाधीश थालास्सेरी ने आईपीसी की धारा 376 (2) (एफ) और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी पाए गए पादरी फादर रॉबिन वडक्कमचेरिल को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी और तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
इस मामले में, अभियोजन पक्ष के अनुसार मई 2016 में एक दिन, पहले आरोपित पादरी ने नाबालिग पीड़िता को अपने शयनकक्ष में जाने के लिए कहा। इसके बाद पादरी ने उसका यौन शोषण और उसके साथ दुष्कर्म किया। नतीजतन, पीड़िता गर्भवती हो गई और 2 फरवरी, 2017 को एक बच्चे को जन्म दिया।
वहीं, अब केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति नारायण पिशारदी ने दोषी पादरी की सजा को कम करके 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने विशेष पॉक्सो अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ दोषी पादरी द्वारा दायर अपील पर यह आदेश जारी किया।
गौरतलब है कि इस मामले में जब बलात्कार पीड़िता द्वारा आरोपित पादरी से शादी करने की इच्छा व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था तो लोगों ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया था। वहीं पादरी रॉबिन वडक्कमचेरिल ने भी एक याचिका दायर कर पीड़िता से शादी करने के लिए सजा पर रोक लगाने की माँग की थी। हालाँकि, शीर्ष अदालत ने तब दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
रेप कर नाबालिग को प्रेग्नेंट करने वाले पादरी की सजा हाई कोर्ट ने आधी कर दी, केरल की पीड़िता ने 2017 में दिया था बच्चे को जन्म#keralahighcourthttps://t.co/KplkorNTbB
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) December 1, 2021
भारत का कानून केवल गरीब नागरिकों और राष्ट्र एवं संस्कृति की सेवा करने वाले साधु-संतों के ऊपर ही काम करता है? कितने ही नेता-अभिनेता, पत्रकारों एवं बिजनेसमैन को जमानत मिली है लेकिन धर्मांतरण पर रोक लगाने वाले और समाज, राष्ट्र एवं सनातन संस्कृति की सेवा करने वाले एक निर्दोष संत आशाराम बापू को 9 सालों से जेल में रखा गया है, ये कैसा कानून है?
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