04 july 2018
भ्रष्टाचार करने के कारण कांग्रेस सरकार ने सरकार खजाना खाली कर दिया, बाद में धन प्राप्ति के लिए हिन्दू मंदिरों का सरकारीकरण शुरू कर दिया जिससे श्रद्धालु हिन्दुओ ने मंदिरो में दिए पैसे जो गरीब जनता में, शिक्षा में, धर्म के कार्य मे, समाज कि सेवा में लगने चाहिए थे वे पैसे भ्रष्टाचार में जाने लगे और देशविरोधी कार्य करने वाले ईसाई चर्चो एवं मस्जिदों में पैसे लगने लगे ।
कांग्रेस कि नीतियों से हिन्दू जनता त्रस्त होकर भाजपा को बहूमत से जीता दिया लेकिन अब भाजपा भी उनके ही राह पर चलने लगी ऐसा लगने लगा है ।
Prevent governmentalization of temples or otherwise suffer consequences in elections: Hindu organizations |
महाराष्ट्र शासनद्वारा हाल ही में शनिशिंगणापुर देवस्थान पंजीकृत सार्वजनिक न्यास होते हुए भी उसे सरकार के नियंत्रण में लाने के लिए स्वतंत्र कानून बनाकर मंदिर को नियंत्रण में लेने के निर्णय की घोषणा की गई है, साथ ही ऐसी भी जानकारी मिली है कि सरकार और कुछ प्रमुख मंदिरों को भी नियंत्रण में लेने पर विचार कर रही है ! सरकार की इस धर्मद्रोही नीति का निषेध करने हेतू वहां के समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर इस धर्मद्रोही सरकार के प्रतिकात्मक पुतले को लेकर निषेध के नारे देते हुए आंदोलन किया गया !
इस अवसर पर धर्मप्रेमियों ने ‘सरकार अपना मंदिर सरकारीकरण का सिलसिला यहीं रोकें, अन्यथा उसे आनेवाले चुनाव में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे’, ऐसी चेतावनी भी दी !
सरकार के इस निर्णय के संदर्भ में आंदोलन में उपस्थित किए गए कुछ प्रश्न . . .
*1.* आज के दिन सरकारी नियंत्रणवाले मंदिरों में बडी मात्रा में भ्रष्टाचारों के प्रकरण उजागर हो रहें हैं ! शासनद्वारा नियुक्त सदस्य एवं अधिकारीयों के विरोध में अनेक घोटाले और मंदिरों की प्रतिमा मलिन करने के आरोप लगाए जा रहें हैं, ऐसे में सरकार और मंदिरों को नियंत्रण में लेने का हठ क्यों कर रही है ?
*2.* मंदिर हिन्दू धर्म के अधिष्ठान हैं ! स्वयं को निधर्मी कहलानेवाली सरकार को केवल हिन्दुओं की मंदिरों के संदर्भ में हस्तक्षेप करने का अधिकार किसने दिया ? सरकार अन्य धर्मियों के प्रार्थनास्थलों को अपने नियंत्रण में लेने का साहस क्यों नहीं दिखाती ?
*3.* शिक्षा के नाम पर बने शिक्षासम्राटों ने शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया ! इससे त्रस्त होकर अनेक छात्र एवं अभिभावक आत्महत्याएं कर रहे हैं ! ऐसे शिक्षा संस्थानों को अपने नियंत्रण में लेने का विचार सरकार नहीं करती !
*4.* किसानों के ही पैसों पर खड़े किये गए करोडों रुपए के कारखाने जब वहीँ कारखाने किसानों को ही दिवालिया बना रहें हैं, ऐसी स्थिति में किसानों को हानि न पहुंचे; इसके लिए कारखानों पर नियंत्रण हो, ऐसा सरकार को क्यों नहीं लगता ?
*5.* हिन्दुओं के मंदिरों को नियंत्रण में लेने के लिए लोगोंद्वारा मंदिरों के संदर्भ में की जानेवाली मामुली शिकायतों का हौव्वा खडा किया जाता है एवं भक्तों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर सरकार मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेती है, किंतु इसका वास्तव भीषण है !
पंढरपुर देवस्थान समिति के सदस्य पर मंदिर की गोशाला की गायों को कसाईयों को बेच देने का आरोप लगा है, तो कुछ गायों के पेट में प्लास्टिक होने से उनकी मृत्यु हुई ऐसी बातें सामने आई हैं !
सरकारी नियंत्रणवाली मंदिरों में दर्शन के लिए की जानेवाली कालाबाजारी जैसे मंदिर सरकारीकरण के दुष्परिणाम ज्ञात होते हुए भी और नए मंदिरों को नियंत्रण में लेकर शासन को निश्चित रूप से क्या साध्य करना है ? स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
हिन्दू श्रद्धालु मंदिरों में दान, सामाजिक और शासकीय कामों के लिए नहीं करता, धर्मकार्य के लिए करता है । इस दान का उपयोग धर्मकार्य में ही होना चाहिए ऐसा कार्य वास्तविक भक्त ही कर सकते हैं । इसलिए शासन आज तक अधिग्रहित किए सभी मंदिर भक्तों को सौंप दें । भ्रष्टाचार हुए मंदिर के दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई करे अन्यथा हिन्दू जनजागृति समिति सडक पर उतरकर राज्यव्यापी आंदोलन करेगी ऐसी चेतावनी भी श्री. घनवट ने दी ।
सरकारी कामकाज मे लगभग सभी जगा भ्रष्टाचार मिलता है अब वे हिन्दुओ की आस्था के प्रीतक मंदिरो को भी सरकारी करण करने लगे है तो फिर उसमें भ्रष्टाचार होना स्वाभाविक ही है।
हिन्दू कितना भी आर्थिक रूप से कमजोर हो लेकिन फिर भी अपनी जिस देवस्थान में आस्था रखता है वहाँ कुछ के कुछ भेट चढाता ही है वे इसलिए चढ़ाता है कि उन पैसे का सही इस्तेमाल होगा और सत्कर्म में लगेगा जिससे उसका और उसके परिवार का उद्धार होगा और ऐसे भी हिन्दू धर्म मे कमाई का दसवां हिस्सा दान करने का शास्त्र का नियम है तो लगभग सभी हिन्दू मंदिरो या आश्रमों में जाकर दान करते है और उन दान के पैसे से धर्म, राष्ट्र और समाज के उत्थान के लिये कार्य होते है ।
सरकार अगर इन मंदिरों को सरकारी करण कर लेती है तो धर्म और राष्ट के हित के कार्य रुक जाएंगे और भ्रष्टाचार में पैसे चले जायेंगे इसलिए सरकार को मंदिरो को सरकारी तंत्र से मुक्त कर देना चाहिए ।
सरकार कभी चर्च या मस्जिद को नियंत्रिण में लेने के लिए विचार करती है? अगर नही तो फिर मन्दिरों को ही नियंत्रण में लेना चाहती है? जबकि चर्चो और मस्जिदों में धर्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है जो देश के लिए हानिकारक है और मंदिरों में शांति का पाठ पढ़ाया जाता है जो देश के लिए हितकारी है अतः अभी सरकार को शिघ्र मंदिरो को सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त कर देना चाहिए ।
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hindu sadhu sainto ke khilaf sadyantr chal rha hai kafi samay se
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