4 November 2024
कार्तिक मास के रहस्य : क्यों है तेल लगाना निषेध और क्या है इसके खास नियम?
हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष पवित्रता का महीना माना गया है। इस महीने का हर दिन धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा-पाठ, और नियमों से जुड़ा हुआ है। कार्तिक मास में कुछ ऐसे नियम और परंपराएं है जिनका पालन करने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। इन्हीं में से एक मुख्य नियम है – इस महीने में तेल का प्रयोग न करना। आइए जानते है इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं और कार्तिक मास के अन्य अनूठे नियमों के बारे में।
क्यों वर्जित है कार्तिक में तेल लगाना?
कार्तिक महीने में शरीर पर तेल लगाने से भगवान विष्णु नाराज़ हो सकते है, ऐसी धार्मिक मान्यता है। इस नियम का पालन करने से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है। हालांकि, कार्तिक मास में केवल एक दिन, नरक चतुर्दशी पर, तेल लगाने का विशेष महत्व है। इस दिन तेल मालिश करके स्नान से शरीर की शुद्धि होती है और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
कार्तिक मास के अन्य महत्वपूर्ण नियम और परंपराएं
1. मांसाहार का त्याग :
कार्तिक मास में मांसाहार पूरी तरह से वर्जित माना गया है। इस महीने में शाकाहारी भोजन का सेवन करने से शरीर शुद्ध रहता है और मन को शांति मिलती है। यह आत्मसंयम और सरल जीवनशैली का प्रतीक है।
2.गरिष्ठ भोजन से बचें
इस महीने में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर और राई जैसी भारी चीज़ों का सेवन भी निषिद्ध है। इनका सेवन पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और धार्मिक दृष्टिकोण से कार्तिक मास में हल्का भोजन करना उत्तम माना जाता है।
3.बैंगन और करेला वर्जित
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस महीने में बैंगन और करेला जैसे खाद्य पदार्थ वर्जित माने जाते है क्योंकि इन्हें अनिष्टकारी और अशुद्ध सब्जियां समझा जाता है। इस नियम का पालन शरीर और मन को शुद्ध रखने के लिए किया जाता है।
4.बाल और नाखून काटने की मनाही :
इस महीने में बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। यह परंपरा प्राकृतिक शुद्धता और साधना का प्रतीक मानी जाती है।
5.पेड़-पौधों की कटाई वर्जित
कार्तिक मास में पर्यावरण की सुरक्षा को महत्व देते हुए पेड़-पौधों की कटाई वर्जित है। इस नियम का उद्देश्य पर्यावरण को संरक्षित रखना और प्रकृति के प्रति आदर प्रकट करना है।
6.स्नान-दान का महत्व
कार्तिक मास में रोज सुबह स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है। स्नान और दान से आत्मा की शुद्धि होती है और दैवीय आशीर्वाद प्राप्त होते है।
7.तुलसी पूजा :
इस महीने में तुलसी का विशेष पूजन किया जाता है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप और भगवान विष्णु की अत्यंत प्रिय मानी जाती है। इस दौरान तुलसी की नियमित पूजा से घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।
8.देसी घी का दीपक जलाना
हर सुबह और शाम को घर में देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और वातावरण पवित्र होता है।
9.गीता का पाठ :
कार्तिक मास में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना विशेष लाभकारी माना गया है। गीता के उपदेश हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते है, जिससे मानसिक शांति और आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
10.भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा :
इस महीने में विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की पूजा करना अति फलदायी होता है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, और वैभव की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास के नियमों का आध्यात्मिक महत्व :
कार्तिक मास के नियमों का पालन करने से न केवल भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि ये नियम हमें संयमित, स्वस्थ और पवित्र जीवन की ओर भी प्रेरित करते है। इस महीने का प्रत्येक नियम हमें प्रकृति, शरीर और मन की शुद्धता का महत्व सिखाता है। इसके साथ ही, यह महीना हमें आत्मसंयम, परोपकार और सात्विक जीवनशैली का पाठ भी पढ़ाता है।
कार्तिक मास में इन नियमों का पालन कर हम आध्यात्मिक उन्नति कर सकते है और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते है।
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