एक बार जरूर पढे बॉलीवुड ने भारत को इतना सब कुछ दिया है, तभी तो आज देश यहाँ है ……

27 July 2023

 

🚩1. बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।

2. विवाह किये बिना लड़का लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।

3. विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना।

4. चोरी डकैती करने के तरीके।

5. भारतीय संस्कारों का उपहास उड़ाना।

6. लड़कियो को छोटे कपडे पहने की सीख देना….जिससे फैशनेबुल और मॉडर्न दिखा सकें खुद को ।

7. दारू, सिगरेट, चरस ,गांजा कैसे पिया और लाया जाये।

8. गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।

9. हिन्दुओं के भगवान / संतों का मजाक बनाना और अपमानित करना।

10. पूजा पाठ यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।

11. भारतीयों को अंग्रेज बनाना।बोलचाल, उठना बैठना सभी में भारतीय तरीको को पुराने दकियानूसी बता कर , विदेशी अंधानुकरण करना।

12. भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।

13. बूढ़े माँ बाप को वृद्धाश्रमों में छोड़ के ,खुद चैन से मनमाना जीवन जीना।

14.  दुःखी, चिंतित, व्यथित, परेशान हो तो…नशा करना,उसी में डूब जाना।

15. दाल,रोटी खाना ओल्ड फैशन्ड, बल्कि रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा बर्गर कोल्ड ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।

16. पंडित जनों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है। मगर बालो के अजीबोगरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते है।

 

🚩हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और अभिनेत्रियों का अपना आदर्श मानती है।

 

🚩अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति व सभ्यता की महानता दिखाए ..तो सत्य मानिये हमारी युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नही भटकेगी…

 

🚩समझिये ..जानिए और आगे बढिए…

 

🚩ये संदेश उन हिन्दू लड़कों के लिए है… जो फिल्में देखने के बाद गले में क्रॉस , मुल्ले जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर खुद को मॉडर्न समझते हैं। हिन्दू नौजवानौं के रगो में धीमा जहर भरा जा रहा है इस फिल्मी जेहाद के द्वारा।

 

🚩विरोधाभास के जरिए हिन्दूधर्म को नीचा दिखाने हुए अन्य को श्रेष्ठ साबित किया जाता रहा है।

 

 

🚩सलीम – जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मो को देखे, तो उसमें आपको अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक बनाकर व बुरा साबित करके, मुस्लिम व इसाई समुदाय को महान दिखाया जाता था। इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते हैं।

 

🚩”हरे रामा हरे कृष्णा”

में जीनत अमान रुद्राक्ष की माला पहनकर गाँजा फूंकती दिखाई देती हैं।

वो तथाकथित नायिका महिलाओं को नशे के लिए प्रेरित नहीं करती तो और क्या कर रही हैं उस दृश्य के माध्यम से !? और रूद्राक्ष का अपमान वो भी फ्री में । 😰

 

🚩”शोले”

इसमें धर्मेन्द्र मंदिर में भगवान् शिव की प्रतिमा की आड़ लेकर “हेमा मालिनी” को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है। जिसका मकसद यह साबित करना है कि – मंदिर में लोग लडकियां छेड़ने जाते हैं। इसी फिल्म में ए. के. हंगल इतना पक्का नमाजी है कि – बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढने चल देता है। कि- उसे अल्लाह ने और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए।

 

🚩”दीवार”

का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता ह। लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है।

 

🚩”जंजीर”

में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है । लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है।

 

🚩”शान”

में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधू के वेश में जनता को ठगते हैं। लेकिन इसी फिल्म में “अब्दुल” जैसा सच्चा इंसान है, जो सच्चाई के लिए जान दे देता है।

 

🚩”क्रान्ति”

में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीमखान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।

 

🚩अमर-अकबर-एन्थोनी में तीनों बच्चो का बाप किशनलाल एक खूनी स्मग्लर है । लेकिन उनके बच्चों अकबर और एन्थोनी को पालने वाले दो किरदार, जो कि एक मुस्लिम और दूसरा इसाई … दोनो बड़े महान इंसान हैं।

 

🚩फिल्म “हाथ की सफाई” में चोरी – ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी।

 

🚩कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा और इनमें धर्म का उपहास करता हुआ कोई न कोई दृश्य जरूर दिखेगा।

…और इसके साथ साथ आपको शेरखान पठान, DSP डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेबिड, आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे ही…..

 

🚩हो सकता है, आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार ज़रा ध्यान से देखियेगा….

केवल सलीम / जावेद की ही नहीं बल्कि, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट, आदि की फिल्मो का भी यही हाल है….

🚩हमारी फिल्म इंडस्ट्री पर शुरू से दाउद जैसों का नियंत्रण रहा है। इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कामेडियन, आदि ही दिखाया जाता है।

 

🚩”फरहान अख्तर” की फिल्म “भाग मिल्खा भाग” में “हवन करेंगे” का आखिर क्या मतलब था ?

 

🚩”PK” में भगवान् का राँग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के राँग नंबर 786 पर भी कोई फिल्म बनायेंगे !?

 

यह सब महज इत्तेफाक नहीं है , बल्कि सोची समझी साजिश है । एक चाल है ।

 

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