मुस्लिम युवती हिंदू के साथ नही रह सकती , हिंदू युवती मुस्लिम के साथ रह सकती है : हाईकोर्ट
26 May 2024
कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए एक हिन्दू लड़की को मुस्लिम व्यक्ति के साथ रहने की इजाजत दे दी। इससे कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम महिला को हिन्दू व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत देने से मना कर दिया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने दायर किए गए इस मामले में हिन्दू लड़की की माँ से उसे पेश करने की याचिका लगाई थी। हिन्दू लड़की के मुस्लिम पति के वकील ने लड़की को कोर्ट के सामने पेश कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने लड़की से उससे बातचीत की।
लड़की ने बताया कि उसने 1 अप्रैल, 2024 को मुस्लिम लड़के के साथ निकाह कर लिया था और अब वह अपने मुस्लिम पति के साथ केरल में रहना चाहती है। उसने कहा कि वह अपने हिन्दू परिवार में वापस नहीं लौटना चाहती। इसके बाद हाई कोर्ट ने उसे मुस्लिम पति के साथ रहने की इजाजत दे दी।
इससे पहले मार्च, 2024 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मुस्लिम महिला को उसके हिन्दू लिव इन पार्टनर के साथ रहने की अनुमति देने से मना कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह निर्णय शरिया के आधार पर दिया था, जिसमें महिला का हिन्दू व्यक्ति के साथ रहना गलत गुनाह था।
याचिका लगाने वाली महिला का निकाह एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ हुआ था, जिसने दो साल बाद एक और महिला से निकाह कर लिया था। इसके बाद मुस्लिम महिला अपने माता-पिता के पास रहने चली आई थी। इसके बाद उसका एक हिन्दू व्यक्ति से सम्पर्क हो गया और वह उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी।
महिला ने अपने पूर्व मुस्लिम पति के साथ जाने से मना कर दिया था, महिला का कहना था कि उसका मुस्लिम पति उसे मारता पीटता है। हिन्दू व्यक्ति के साथ रहने के कारण महिला को उसके घरवालों से धमकियाँ मिल रही थीं। उसने अपनी सुरक्षा को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका लगाई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए महिला को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि महिला का पहले निकाह हो गया और उसने तलाक नहीं लिया ऐसे में वह हिन्दू पुरुष के साथ नहीं रह सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला का हिन्दू पुरुष के साथ रहना शरिया के अनुसार हराम है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला पर हिन्दू पुरुष के साथ रहने के लिए मुकदमा भी चलाया जा सकता है। हाई कोर्ट ने इसी के साथ मुस्लिम महिला की हिन्दू पुरुष के साथ रहने की याचिका को खारिज कर दिया था और अनुमति नहीं दी थी।
पाकिस्तान की न्ययालय ऐसा फैसला दे तो मान सकते है लेकिन भारत की न्यायालय ऐसे फैसले सुनाए ये जनता को स्वीकार्य नहीं है। जनता इस तरीके फैसला का विरोध करती हैं।
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