दिवाली पर लक्ष्मी पूजन : लक्ष्मी माता का जन्म दिवस और समुद्र मंथन की अद्भुत कथा

31 October 2024

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दिवाली पर लक्ष्मी पूजन : लक्ष्मी माता का जन्म दिवस और समुद्र मंथन की अद्भुत कथा

 

दिवाली का पर्व केवल दीपों और मिठाइयों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह समृद्धि और धन की देवी लक्ष्मी माता के स्वागत का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन किया जाता है, जिसे हम लक्ष्मी जन्म दिवस भी कहते है। यह दिन देवी लक्ष्मी के समुद्र मंथन से प्रकट होने की कहानी से जुड़ा है जो उनकी महिमा और महत्व को दर्शाता है।

 

समुद्र मंथन की महाकथा :

भारतीय पौराणिक कथाओं में, देवी लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। यह घटना भागीरथी महासागर के किनारे घटित हुई, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने का निर्णय लिया। यह मंथन एक अद्भुत और रहस्यमय प्रक्रिया थी जिसमें कई दिव्य वस्तुओं का प्रकट होना तय था।

 

समुद्र मंथन की प्रक्रिया :

1. मंथन की योजना : देवताओं ने इन्द्र के नेतृत्व में असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन का निर्णय लिया। इस मंथन के लिए उन्होंने मंदराचल पर्वत को मथने वाली छड़ी और वासुकी नाग को रस्सी के रूप में उपयोग करने का निश्चय किया।

2.मंथन की कठिनाई : मंथन के दौरान कई दिव्य वस्तुएं प्रकट हुई, लेकिन मंथन का यह कार्य सरल नहीं था। मंदराचल पर्वत कई बार डूबने लगा, जिससे समुद्र में हलचल मच गई। भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार धारण कर मंदराचल पर्वत को अपने पीठ पर थाम लिया, ताकि मंथन जारी रह सके।

3.देवी लक्ष्मी का प्रकट होना : अंततः समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई , जो अपनी सुन्दरता, आभूषणों और धन के साथ थी। उनके प्रकट होते ही चारों ओर का वातावरण रौशन हो गया। देवी लक्ष्मी ने सभी देवताओं को आशीर्वाद दिया और कहा कि वे उन्हें हमेशा अपने दिलों में बसाएं।

 

लक्ष्मी पूजन का महत्व :

लक्ष्मी माता का जन्म दिवस और लक्ष्मी पूजन का महत्व केवल धन और समृद्धि ही नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शुद्धता भी है। इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा करके भक्तजन अपने घरों में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते है।

 

पूजा की विधि :

1.घर की सफाई: लक्ष्मी पूजन से पहले घर की सफाई करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह लक्ष्मी माता का स्वागत करने का एक तरीका है।

2.दीप जलाना : रात्रि में दीप जलाकर घर को रोशन करें। यह अंधकार को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

3.लक्ष्मी माता की मूर्ति : लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र को सजाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें। उन्हें फूल, फल और मिठाईयां अर्पित करें।

4.मंत्रों का जाप : लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और समृद्धि की प्रार्थना करें।

 

आध्यात्मिक संदेश :

लक्ष्मी पूजन और देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस का यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्ची समृद्धि केवल बाहरी धन में नहीं बल्कि आंतरिक संतोष और खुशी में है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन में केवल भौतिक सम्पत्ति की नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक समृद्धि की भी आवश्यकता है।

 

निष्कर्ष :

दिवाली का यह पर्व लक्ष्मी माता के जन्म का उत्सव है, जो हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देता है। इस दिन देवी लक्ष्मी का स्वागत कर, हम अपने जीवन को खुशियों और समृद्धियों से भरने की प्रार्थना करते है। लक्ष्मी पूजन के माध्यम से, हम केवल धन की देवी का सम्मान नहीं करते बल्कि आत्मिक और मानसिक शुद्धता की भी ओर अग्रसर होते है। इस दिवाली, माता लक्ष्मी का स्वागत करें और अपने जीवन को अनंत खुशियों से भर दें।

 

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