01 November 2024
दिवाली पर अभ्यंग स्नान का महत्व : हिंदू धर्म में दिवाली का महत्व
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह पर्व न केवल रौशनी का उत्सव है बल्कि शुद्धि, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक भी है। इस दिन एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है। अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है और इसे कई धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य संबंधी दृष्टिकोण से देखा जाता है।
अभ्यंग स्नान क्या है?
अभ्यंग स्नान का अर्थ है “तेल से स्नान करना।” यह एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसमें विभिन्न प्रकार के औषधीय तेलों का उपयोग किया जाता है। यह स्नान न केवल शारीरिक सफाई के लिए है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक शुद्धता के लिए भी आवश्यक है।
दिवाली पर अभ्यंग स्नान का महत्व :
1.शुद्धता और पवित्रता :
दिवाली के दिन अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति अपने शरीर और मन को शुद्ध करता है। यह एक प्रकार से आत्मिक सफाई का प्रतीक है, जो लक्ष्मी माता के स्वागत के लिए आवश्यक माना जाता है।
2.स्वास्थ्य लाभ :
अभ्यंग स्नान से त्वचा की सेहत में सुधार होता है। यह रक्त संचार को बढ़ाता है, त्वचा को निखारता है, और तनाव को कम करता है। तेल से स्नान करने से शरीर में गर्मी बनी रहती है और यह सर्दियों में बहुत फायदेमंद होता है।
3.धार्मिक महत्व :
हिन्दू धर्म में, दिवाली पर अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
4.उत्सव का आरंभ :
दिवाली पर अभ्यंग स्नान करने के बाद व्यक्ति नए कपड़े पहनता है और लक्ष्मी पूजन की तैयारी करता है। यह एक प्रकार से त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है, जो नए आनंद और ऊर्जा का संचार करता है।
5.मानसिक संतुलन:
अभ्यंग स्नान करने से मन को शांति मिलती है। यह तनाव को कम करने में मदद करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। दिवाली पर जब हम लक्ष्मी माता की पूजा करते है तो मानसिक संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है।
दिवाली का महत्व हिंदू धर्म में : दिवाली का पर्व हिंदू धर्म में अनेक अर्थ और महत्व रखता है। यह मुख्यतः देवी लक्ष्मी के स्वागत का पर्व है जो धन, समृद्धि और खुशियों की देवी मानी जाती है। इसके अलावा, यह पर्व भगवान राम के अयोध्या लौटने, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लौटने की खुशी को भी दर्शाता है।
रामायण का संदेश :
दिवाली का पर्व भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी का प्रतीक है। जब राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तो शहरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। यह दिन हमें सिखाता है कि अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना चाहिए, जैसे राम ने अन्याय और अधर्म पर विजय प्राप्त की।
लक्ष्मी माता का पूजन :
दिवाली पर लक्ष्मी माता की पूजा करके हम अपने घरों में सुख और समृद्धि की कामना करते है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें सदैव अपने जीवन में सकारात्मकता और धर्म का पालन करना चाहिए।
परिवार और एकता :
दिवाली का पर्व परिवारों को एक साथ लाता है। लोग एक-दूसरे को मिठाईयां बांटतें है और एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते है। यह एकता और भाईचारे का संदेश फैलाता है।
अभ्यंग स्नान की विधि :
अभ्यंग स्नान के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जा सकता है
1. तेल का चयन :
आमतौर पर, तिल का तेल, नारियल का तेल या औषधीय तेल का उपयोग किया जाता है।
2.तेल की मालिश :
स्नान से पहले पूरे शरीर पर तेल की मालिश करें। यह रक्त संचार को बढ़ाने में मदद करेगा।
3.स्नान करना :
इसके बाद, गर्म पानी से स्नान करें। यह तेल को अच्छी तरह से धोने और शरीर को शुद्ध करने में मदद करेगा।
4.नए कपड़े पहनना :
स्नान के बाद नए कपड़े पहनें और पूजा की तैयारी करें।
अभ्यंग स्नान और उबटन का महत्व :
दिवाली पर अभ्यंग स्नान के साथ उबटन (एक प्रकार की स्नान प्रक्रिया जिसमें जड़ी-बूटियां और औषधियां मिलाई जाती है) का भी विशेष महत्व है। उबटन के फायदे निम्नलिखित हैं :
1.त्वचा को निखारना
उबटन से त्वचा को न केवल साफ किया जाता है, बल्कि यह उसे निखारने और चमकदार बनाने में भी मदद करता है। यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाकर नई कोशिकाओं का निर्माण करता है।
2.आराम और सुखद अनुभव :
उबटन बनाते समय इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटियां और औषधियां न केवल शरीर को आराम देती है बल्कि मन को भी शांति प्रदान करती है। यह तनाव को कम करने का एक प्राकृतिक तरीका है।
3.प्राकृतिक तत्वों का उपयोग :
उबटन में हल्दी, चंदन, और अन्य प्राकृतिक तत्वों का प्रयोग होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते है। यह शरीर में रक्त संचार को बढ़ाने में मदद करता है और त्वचा को स्वस्थ बनाता है।
निष्कर्ष :
दिवाली पर अभ्यंग स्नान केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है। यह हमें अपने भीतर की शुद्धता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करता है। इस दिवाली, अभ्यंग स्नान और उबटन करें, और लक्ष्मी माता का स्वागत करें, ताकि आपके जीवन में समृद्धि और खुशियों का आगमन हो। यह पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने, सुख और समृद्धि की प्राप्ति की प्रेरणा देता है।
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