27th September 2024
कोकिलाक्ष: आयुर्वेदिक औषधि और इसके चमत्कारी लाभ
कोकिलाक्ष क्या है?
आयुर्वेद,जो कि भारतीय चिकित्सा पद्धति का प्राचीन और समृद्ध स्रोत है, उसमें कई औषधियों का उल्लेख मिलता है जो प्राकृतिक रूप से शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त बनाने में सहायक होती है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण औषधि है कोकिलाक्ष, जिसे तालमखाना के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेदीय निघण्टु एवं संहिताओं में कोकिलाक्ष का उल्लेख प्राप्त होता है। चरक-संहिता में शुक्रशोधन महाकषाय के अंतर्गत इसका उल्लेख मिलता है। यह औषधि शरीर की पोषण क्षमता को बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों के इलाज में सहायक होती है।
कोकिलाक्ष के औषधीय गुण
कोकिलाक्ष के पत्ते, जड़ और बीज तीनों का ही आयुर्वेद में औषधीय महत्व है। इसके पत्ते मधुर, कड़वे और शोफ(Dropsy), दर्द, विष,पीलिया, कब्ज,मूत्र रोग और वात को कम करने में सहायक होते है। इसकी जड़ शीतल,दर्दनिवारक और मूत्रल होती है जो मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करती है। वहीं,इसके बीज कड़वे,ठंडे तासीर के और गर्भ को पोषण देने वाले होते है।
कोकिलाक्ष का मुख्य उपयोग यौन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा इसका प्रयोग शरीर की कमजोरी,मूत्र संबंधी विकार, पीलिया और पाचन तंत्र की समस्याओं में भी लाभकारी होता है।
कोकिलाक्ष के फायदे
कोकिलाक्ष का उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित है :
1. खांसी में फायदेमंद
मौसम के बदलाव से होने वाली खांसी से राहत पाने के लिए कोकिलाक्ष के पत्तों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से आराम मिलता है। 1-2 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर लेने से खांसी में राहत मिलती है।
2.सांस संबंधी समस्याओं में लाभकारी
अगर किसी को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो कोकिलाक्ष के बीज का चूर्ण शहद और घी के साथ लेने से तुरंत आराम मिलता है। यह उपाय श्वास की तकलीफों में बहुत प्रभावी है।
3. जलोदर में लाभकारी
पेट में जल या प्रोटीन का ज्यादा जमाव होने के कारण पेट फूलने और दर्द होने की समस्या को जलोदर कहा जाता है। इस स्थिति में तालमखाना की जड़ से बना काढ़ा बहुत प्रभावी होता है। 10-20 मिलीलीटर काढ़े का सेवन जलोदर में लाभकारी होता है। यह काढ़ा लीवर और मूत्राशय से संबंधित समस्याओं में भी सहायक है।
4. रक्त विकारों में लाभकारी
रक्त विकारों से परेशान व्यक्तियों के लिए कोकिलाक्ष का सेवन भी बहुत फायदेमंद होता है। 1-2 ग्राम कोकिलाक्ष बीज का चूर्ण सेवन करने से रक्त संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
5. मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी
मूत्र रोगों में दर्द,जलन,मूत्र का रुक-रुक कर आना या मूत्र का कम आना जैसी समस्याएं बहुत आम है। कोकिलाक्ष का सेवन इन समस्याओं को दूर करने में कारगर है।गोखरू, तालमखाना और एरण्ड की जड़ का मिश्रण दूध के साथ लेने से मूत्र संबंधी विकारों में काफी आराम मिलता है।
तालमखाना के बीज के फायदे
तालमखाना या कोकिलाक्ष के बीज औषधीय गुणों से भरपूर होते है। इनका उपयोग कई तरह की यौन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसके बीज ठंडे तासीर के होते है , जो शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद करते है। गर्भपोषण के लिए भी इन बीजों का सेवन लाभकारी होता है।
निष्कर्ष
कोकिलाक्ष या तालमखाना एक बहुआयामी आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका प्रयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है। इसके पत्ते, जड़ और बीज सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते है। चाहे वह खांसी,सांस संबंधी समस्या हो मूत्र विकार हो या रक्त विकार,कोकिलाक्ष इन सभी बीमारियों का प्राकृतिक और प्रभावी इलाज प्रदान करता है। हालांकि, इसका सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए ताकि इसका पूर्ण लाभ मिल सके और स्वास्थ्य बेहतर हो सके।
आयुर्वेद के समृद्ध ज्ञान का यह अनुपम उदाहरण कोकिलाक्ष आज भी कई लोगों के लिए प्राकृतिक उपचार का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है।
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