CJI चंद्रचूड़ :हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा

चीफ जस्टिस बोले : सभी को मिलना चाहिए न्याय, ‘मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों’ का भी किया जिक्र…

 

22 August 2023

 

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🚩DY Chandrachud , भारत के चीफ जस्टिस (CJI) ने स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के मौके पर न्यायपालिका से जुड़ी कई बातें लोगों के सामने रखीं।

 

🚩उन्होंने मंगलवार (15 अगस्त) को अपने भाषण के दौरान ‘मनमाने ढंग से गिरफ्तारियों और संपत्तियों के विध्वंस’ मुद्दे का भी जिक्र किया और साथ ही यह भी कहा , कि लाइन में खड़े हर एक व्यक्ति तक न्याय पहुंचना जरूरी है। साथ ही उन्होंने देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे में व्यापक बदलाव की जरूरत पर भी जोर डाला।

 

🚩चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “न्याय प्रणाली की ताकत न्याय प्रदान करना है। किसी व्यक्ति की मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, विध्वंस की धमकी, संपत्तियों को अवैध रूप से कुर्क किया गया है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जजों से सांत्वना मिलनी चाहिए।”

 

🚩क्या कुछ बोले चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ?

 

🚩डीवाई चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली में “स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम” के अवसर पर वकीलों और अन्य अतिथियों/आगंतुकों के मध्य अपनी ये बातें रखीं। गौरतलब है कि , इस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे। CJI ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार, देश के अग्रणी बार के रूप में कानून के शासन की सुरक्षा के लिए खड़ा है।

 

🚩” अदालती बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत ”

 

🚩CJI ने कहा, “हमारा संविधान यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना करता है कि शासन की संस्थाएं परिभाषित संवैधानिक सीमाओं के अंदर काम करें। न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंचने में बाधाओं को खत्म करना है । इसके लिए अदालती बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत है।”

 

🚩” …हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले ”

 

🚩CJI चंद्रचूड़ ने कहा, “हमें न्याय देने की कोर्ट की क्षमता में विश्वास पैदा करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले। हमें अदालत के बुनियादी ढांचे में सुधार करने की जरूरत है। सभी तीन अंग, न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका राष्ट्रीय निर्माण के लिए सामान्य कार्य में जुड़े हुए हैं। ”

 

🚩गुस्ताख़ी माफ़ हो… पर एक बात तो तय है कि , न्यायपालिका के इस बेढंगे तौर के चलते कितने ही बेगुनाह सालों तक कैद में ही भगवान की दी हुई अपनी अनमोल जिंदगी के दिन गँवाने को मजबूर हैं ।

हजारों बेगुनाह तो सालो तक चलते केस के बीच ही , बिना अपराध सिद्ध हुए, जेल मे ही आख़िरी सांसे गिन लेते हैं…

 

🚩उस पर विडंबना ये कि हमारी न्यायपालिका का मुख्य सूत्र है कि चाहे सौ मुजरिम छूट जाएं … पर एक बेकसूर को सजा कभी नही होनी चाहिए !

बावजूद इसके , आए दिन तो हम देखते/सुनते ही हैं , कि फलां हाई प्रोफाइल व्यक्ति पर बड़ी ही संगीन धाराओं के तहत वारंट जारी हुआ है…

अब क्या होता है कि पहले तो उसको अरेस्ट ही नहीं किया जाता ( बेशक किसी न किसी दबाव या स्वार्थवश) और अगर गिरफ़्तार हो भी गया तो , कुछ न कुछ ऊटपटांग कारणों/परिस्थितियों ( किसी को BP बढ़ जाता है तो किसी के परिजनों की शादी पार्टी में जाना अत्यावश्यक होता है तो किसी को अधूरी बनी फिल्म पूरी करने के लिए) को सामने रखकर जमानत और या पैरोल मिल जाती है। कभी कभी तो एक दो दिन में ही , या कभी हफ्ते – दस दिन में वह घोर अपराधी बाहर खुली हवा में न सिर्फ सांस ले रहा होता है बल्कि अपनी आपराधिक गतिविधियों को निर्बाध रूप से अंजाम दे रहा होता है।

 

🚩वहीं दूसरी ओर किसी बेकसूर मासूम इन्सान जो कि मध्यमवर्गीय हो , उस पर एक छोटा-सा आरोप लगने भर की देर है , उसे अरेस्ट से लेकर जेल मे सड़ाने तक की प्रक्रिया बड़ी शीघ्रता से अंजाम दी जाती है।

 

🚩उससे भी अधिक आश्चर्यजनक और दुखपूर्ण परिस्थितियों का सामना उन्हें करना पड़ता है, जो देश समाज और संस्कृति की रक्षा और सेवा में जीवन समर्पित किए रहते हैं।फिर चाहे वो हाई-प्रोफाइल व्यक्तित्व हों या सर्वसाधारण नागरिक। उन पर एक झूठा आरोप ही काफी होता है कि , गहरी नींद मे सोई हमारी पुलिस, मीडिया और न्यायपालिका…सभी अचानक से अटेंशन मोड में आ जाते हैं।

 

🚩बात तब और खास हो जाती है यदि वह आरोपी हिन्दू समुदाय से हुआ तो…. तब तो उसे किसी भी कीमत पर बेल और या पैरोल मिलना नामुमकिन हो जाता है। आइए आज ऐसे ही चंद उदाहरण देखते हैं…

 

🚩शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी पर आरोप लगे , तो उन्हे दिवाली की रात ही अर्जेंटली अरेस्ट किया गया और कोरोना फैलाने वाला मौलाना साद आराम से आजाद घूमता रहा।

 

🚩साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी पर बम विस्फोट और हिंसा के आरोप लगे तो उन्हे 9 साल तक कैद मे रखकर बुरी तरह प्रताड़ित किया गया और अंततः वो भी बाइज्जत बरी हुईं। पर उन्होंने करावास में जो कष्ट सहे और जीवन के 9 साल उनसे छीने गए, उसकी भरपाई कौन करेगा।

 

🚩नित्यानंद जी पर झूठे आरोप लगे ,उनके विरुद्ध षड्यंत्रों की आंधी चली ,तो उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा , इस केस की निष्पक्ष जांच में विलंब का खामियाजा स्वामी जी ने ही भुगता । और बाद में निर्दोष साबित हुए।

 

🚩संत आशाराम जी बापू पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें आज 10 साल से कैद में रखा गया है। कई बार गंभीर अस्वस्थ होने पर भी उन्हें अच्छे इलाज तक के लिए परोल नहीं मिली । इसी बीच उनकी पत्नी बुरी तरह बीमार हुईं पर 1 दिन की भी बेल नहीं मिली।

बावजूद इसके कि आरोपो के विरुद्ध सभी साक्ष्य कोर्ट में पेश किए गए, जिससे षड़यंत्र का खुलासा भी हो गया ।आज देश विदेश में तकरीबन हर व्यक्ति इस सच्चाई को जान/समझ चुका है…फिर भी उन्हें आज तक मिल रही हैं तो सिर्फ तारीख पर तारीख।

 

🚩हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रबल समर्थक और रक्षक दारासिंह जी को हिंसक प्रवृत्तियों के झूठे आरोप लगे और आज वो 25+ साल से जेल में हैं।उन्हें भी 1 दिन की बेल नहीं दी गई। यहां तक कि उनकी मां की अन्त्येष्टी तक के लिए उन्हे जमानत नहीं मिली…जैसे कि वो कोई खूंखार आतंकी हो।

 

🚩वहीं एक अभिनेत्री का बिजनेसमैन पति पॉर्न फिल्में बनाकर देश के युवाधन को खोखला करने के घृणित अपराध करता है और आराम से पैरोल मिल जाती है उसे। आखिर क्यों !?

 

🚩आखिर क्यों , क्यों ऐसी पक्षपातपूर्ण और संभ्रम है हमारी न्यायिक प्रणाली !?

 

🚩ये तो कुछेक ही उदाहरण दिए हैं अजीबोगरीब फैसलों के… ऐसे तो हजारों -लाखों सुने-अनसुने केसेज दफन होंगे हमारे देश के न्यायालयों की इमारतों में ।

…..और हजारों बेगुनाहों के साथ उनके परिजन भी घुट-घुट कर जीते/मरते होंगे !!

 

🚩मानना ही होगा कि , हमारी न्यायिक व्यवस्था में अंदर तक घुन लग चुका है।इस दिशा में शीघ्रातिशीघ्र ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि अब और निर्दोषों की जिंदगियां बली न चढ़ें और देश में अमन-चैन का महौल बने।

 

🚩जय हिन्द ! जय भारत !!🚩

 

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