चीना (चीणा) – विलुप्त होती एक पोषक फसल

26 March 2025

Home

चीना (चीणा) – विलुप्त होती एक पोषक फसल

भारत की पारंपरिक फसलों में से एक चीना (चीणा) आज के समय में शायद विलुप्ति के कगार पर पहुँच चुका है या बहुत ही सीमित मात्रा में उगाया जा रहा है। वर्षों पहले, यह अनाज आमतौर पर खेतों में उगाया जाता था और इसे चावल के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता था। इसकी खासियत यह थी कि यह न केवल स्वादिष्ट होता था बल्कि पोषण से भरपूर भी था।

जो भी सौभाग्यशाली लोग चीना का भात खा चुके हैं, वे जानते हैं कि इसका स्वाद कितना लाजवाब होता है। यह खासतौर पर दाल और दही के साथ खाया जाता था, लेकिन इसे खाने के दौरान सावधानी रखनी पड़ती थी क्योंकि इसके हल्के और भुरभुरे होने के कारण यह आसानी से गिर सकता था।

चीना – सूखा प्रतिरोधी और कम समय में पकने वाली फसल

चीना भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण लघु अनाज फसल (Small Millet) है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बहुत जल्दी पक जाती है (60-90 दिन में तैयार हो जाती है) और इसे उगाने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। इस कारण यह सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी तरह उगती है।
असिंचित (बिना सिंचाई वाली) परिस्थितियों में इसे खरीफ मौसम में उगाया जाता है।
जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा होती है, वहाँ इसे ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में भी उगाया जाता है।
यह एक सीधा, शाकीय वार्षिक पौधा होता है जिसकी ऊँचाई 45-100 सेंटीमीटर तक होती है।
इसके तने पतले होते हैं और इन पर स्पष्ट रूप से सूजे हुए गांठें होती हैं।
इसकी जड़ें रेशेदार और उथली होती हैं।
इसकी पत्तियाँ लंबी, पतली होती हैं, और पत्ती आवरण पूरे इंटर्नोड (तना) को ढकता है।

चीना की पौष्टिकता – स्वास्थ्य के लिए अमृत समान

चीना की पौष्टिकता इसे एक सुपरफूड बनाती है। यह प्रमुख अनाजों से कहीं अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, आयरन और जिंक जैसे कई आवश्यक खनिज पाए जाते हैं।

पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम चीना में मात्रा
प्रोटीन 13.11 ग्राम
फाइबर 11.18 ग्राम
आयरन उच्च मात्रा में
कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में

इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड पाए जाते हैं।
इसका अमीनो एसिड इंडेक्स 51% है, जो गेहूं से अधिक होता है।
यह ब्लड प्रेशर और मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण साबित होता है।
यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर को लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखता है।

चीना के उपयोग और स्वादिष्ट व्यंजन

चीना को कई प्रकार से खाया जाता है:
भात – चीना का चावल (भात) बहुत स्वादिष्ट होता है और इसे दाल या दही के साथ खाया जाता है।
खीर – दूध और गुड़ के साथ मिलाकर स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर बनाई जाती है।
रोटी – इसका आटा बनाकर रोटी भी तैयार की जाती है।
भूनकर – इसे पहले भिगोकर सुखाया जाता है और फिर भूनकर खाया जाता है। इसमें गुड़ मिलाकर इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।

चीना के विलुप्त होने का कारण

चीना जैसे पारंपरिक अनाज अब बहुत कम मात्रा में उगाए जाते हैं क्योंकि:
किसान अब नए हाईब्रिड और व्यावसायिक फसलों की ओर अधिक झुक रहे हैं।
हरित क्रांति के बाद गेहूं और चावल की खेती को अधिक प्राथमिकता दी जाने लगी।
इसका उत्पादन छोटे स्तर पर होता है, जिससे यह बाज़ार में दुर्लभ हो गया।
आधुनिक खानपान की आदतों ने इन पारंपरिक अनाजों को पीछे छोड़ दिया।

निष्कर्ष – चीना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता

चीना सिर्फ एक अनाज नहीं, बल्कि भारत की पारंपरिक विरासत है। यह न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरण के अनुकूल भी है। आज जब स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ रही हैं और लोग पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थों की तलाश कर रहे हैं, तो हमें चीना जैसी विलुप्त हो रही फसलों की ओर लौटना चाहिए।

सरकार और कृषि वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे इस अनाज को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाएँ और किसानों को इसे उगाने के लिए प्रेरित करें। इससे न केवल हमें एक अत्यंत पौष्टिक आहार मिलेगा, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन और सूखे की समस्या से निपटने में भी मदद करेगा।

आपका क्या विचार है? क्या आपने कभी चीना खाया है? अगर हाँ, तो अपना अनुभव साझा करें!

Follow on

Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/

Instagram:
http://instagram.com/AzaadBharatOrg

Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg

Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

http://youtube.com/AzaadBharatOrg

Pinterest: https://goo.gl/o4z4