भारत के युवाओं का भविष्य: डिलीवरी बॉय या टेक लीडर?

04 July 2025

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भारत के युवाओं का भविष्य: डिलीवरी बॉय या टेक लीडर?

“जब एक देश अपने बच्चों को गेम खेलना सिखाता है, और दूसरा देश उन्हें गेम बनाना – तब दोनों की दिशा और दशा अलग हो जाती है।”

भारत एक युवा राष्ट्र है, जहां 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। यह ऊर्जा, उत्साह और नवाचार का बेजोड़ स्रोत है। लेकिन सवाल है — इस ऊर्जा को हम किस दिशा में ले जा रहे हैं?

Startup Mahakumbh से उठे सवाल

Startup Mahakumbh के मंच से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का एक बयान सामने आया जिसने पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम को सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में स्टार्टअप्स का ज़्यादा ध्यान अब फूड डिलीवरी, फैंसी डेसर्ट, और लाइफस्टाइल सर्विसेज पर है। युवा केवल सुविधा आधारित बिज़नेस मॉडल चुन रहे हैं — जो अमीरों के लिए काम आसान करें, लेकिन समाज की बड़ी समस्याओं को हल नहीं करते।

क्या यही है स्टार्टअप की असली आत्मा?

जब स्टार्टअप शब्द आता है, हम सोचते हैं — आइडिया, इनोवेशन, समस्या का समाधान। लेकिन अगर अधिकांश स्टार्टअप्स केवल खाने की डिलीवरी, फैंसी कॉफी, या तेज़ शॉपिंग तक सीमित हो जाएं, तो शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, एग्रीटेक और डीपटेक जैसी असली समस्याएं पीछे रह जाती हैं।

चीन से भारत क्या सीख सकता है?

  • कक्षा 1 से कोडिंग: चीन में स्कूल स्तर पर कोडिंग, रोबोटिक्स अनिवार्य है।
  • राष्ट्रीय नवाचार प्रतियोगिताएं: बच्चों को स्टार्टअप आइडिया पिच करने के लिए मंच मिलता है।
  • ‘Made in China 2025’ मिशन: एआई, बायोटेक, सेमीकंडक्टर्स जैसे क्षेत्रों में वैश्विक लीडर बनने की योजना।
  • सरकारी और निजी निवेश का तालमेल: शिक्षा, उद्योग और नीति में नवाचार पर जोर।

भारत: संभावना है, दिशा की ज़रूरत है

भारत में ISRO, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी क्रांतियाँ हो रही हैं। लेकिन जब हर गली में फूड डिलीवरी ऐप खुलता है, तो AI, हेल्थटेक और क्लाइमेटटेक जैसी क्रांति की आवाज़ दब जाती है।

भारत को तय करना है:

  • क्या हमारे युवाओं को सिर्फ डिलीवरी पार्टनर बनाना है?
  • या उन्हें सुंदर पिचाई, सत्य नडेला, और कल्पना चावला जैसे वैश्विक लीडर बनाना है?

आगे का रास्ता: भारत को क्या करना चाहिए?

  • शिक्षा में नवाचार जोड़ें: स्कूल स्तर से कोडिंग, डिज़ाइन थिंकिंग, एंटरप्रेन्योरशिप को शामिल करें।
  • लॉन्ग टर्म इनोवेशन में निवेश: गहरे शोध आधारित स्टार्टअप्स को फंडिंग मिले।
  • राष्ट्रीय मिशन: ‘Make in India’ को ‘Innovate in India’ में बदलना होगा।
  • मीडिया और समाज: स्टार्टअप्स को केवल वैल्यूएशन से नहीं, उनके प्रभाव से मापें।

निष्कर्ष:

अगर आज हम अपने युवाओं को केवल खाना डिलीवर करने या मेकअप ऐप बनाने में लगा देंगे, तो कल वे केवल उपभोक्ता समाज का हिस्सा बनेंगे।

लेकिन अगर आज हम उन्हें इनोवेट करने का हौसला देंगे, तो कल वे दुनिया को बदलने वाले लीडर बनेंगे।

भारत को तय करना है — क्या वह अगली पीढ़ी को रिंग बेल सुनाने वाले बनाएगा, या रॉकेट और रोबोट बनाने वाले?


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